Raigad भूस्खलन स्थल पर 119 लोग अभी भी लापता, तलाश अभियान जारी

नई दिल्ली : महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के इरशालवाड़ी गांव में बचाव और तलाश अभियान शुक्रवार सुबह फिर से शुरू हो गया, जहां भारी भूस्खलन के कारण कई घर दब गए और अब तक कम से कम 16 लोगों की जान चली गई है.

भूस्खलन 19 जुलाई रात करीब 11 बजे मुंबई से लगभग 80 किलोमीटर दूर तटीय जिले की खालापुर तहसील के अंतर्गत एक पहाड़ी ढलान पर स्थित आदिवासी गांव में हुआ. उन्होंने बताया कि गांव के कुल 228 निवासियों में से 16 के शव बरामद कर लिए गए हैं, जबकि 93 निवासियों का पता लगाया जा चुका है. हालाँकि, कुल 119 ग्रामीणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है. उन्होंने कहा, इनमें वे लोग भी शामिल हैं जो किसी शादी में शामिल होने या धान की रोपाई के काम से गांव से बाहर गए थे.

दुसरे दिन हुआ सर्च ऑपरेशन शुरू: 

अधिकारियों ने बताया कि गांव के लगभग 50 घरों में से 17 भूस्खलन के कारण जमींदोज हो गए. अधिकारी ने कहा, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) ने रायगढ़ पुलिस और स्थानीय अधिकारियों की टीमों के साथ सुदूर गांव में दूसरे दिन अभियान शुरू किया. एनडीआरएफ की कम से कम चार टीमें आज सुबह भूस्खलन स्थल पर पहुंचीं और ऑपरेशन शुरू किया. ठाणे आपदा प्रतिक्रिया बल (टीडीआरएफ), स्थानीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, रायगढ़ पुलिस की टीमें भी ऑपरेशन में लगी हुई हैं.

गुरुवार को हुए 16 शव बरामद: 

रायगढ़ के पुलिस अधीक्षक सोमनाथ घरगे ने कहा कि तलाशी अभियान सुबह 6.30 बजे शुरू हुआ. एनडीआरएफ के एक अधिकारी ने कहा कि हमने तलाशी अभियान में कर्मियों की सहायता के लिए एक डॉग स्क्वाड को शामिल किया है. गुरुवार को बचाव और खोज टीमों ने भूस्खलन से 16 शव बरामद किए, जबकि 21 लोगों को बचाया गया. मृतकों में एक से चार साल की उम्र के चार बच्चे और 70 साल का एक व्यक्ति शामिल है. उन्होंने बताया कि सात लोगों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है. 

बचवा ​कर्मियों को करना पड़ रहा बाधाओं का सामना: 

इलाके के कठिन पहाड़ी इलाके के कारण घटनास्थल पर खोज और बचाव कर्मियों को बाधाओं का सामना करना पड़ रहा था, जहां भारी उपकरण आसानी से नहीं ले जाए जा सकते थे. अधिकारी ने कहा कि पहाड़ी की चोटी पर लगातार बारिश, कोहरे और तेज़ हवाओं के कारण खोज और बचाव अभियान में शामिल लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. 

खराब मौसम के कारण रोकना पड़ा सर्च ऑपरेशन:

पहाड़ी क्षेत्र से इरशालवाड़ी तक पहुंचने में लगभग डेढ़ घंटे का समय लगता है, जहां पक्की सड़क नहीं है. अधिकारी ने कहा, चूंकि गांव में पक्की सड़क नहीं है, इसलिए मिट्टी खोदने वाली मशीनों और खुदाई करने वालों को आसानी से नहीं ले जाया जा सकता है और इसलिए काम मैन्युअल रूप से किया जा रहा है. खराब मौसम के कारण एनडीआरएफ कर्मियों को गुरुवार शाम को भूस्खलन स्थल पर अपना खोज और बचाव अभियान रोकना पड़ा.