जम्मू कश्मीर में गुर्जर, बकरवाल, पहाड़ी समुदायों को आरक्षण का लाभ मिलेगा- अमित शाह

राजौरी: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को घोषणा की कि न्यायमूर्ति शर्मा आयोग की सिफारिशों के अनुसार जम्मू कश्मीर में गुर्जर, बकरवाल और पहाड़ी समुदायों को आरक्षण का लाभ मिलेगा. इस आयोग ने आरक्षण के मुद्दे पर विचार किया था.

शाह ने यहां एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि गुर्जर, बकरवाल और पहाड़ी समुदायों के (अनुसूचित जाति) आरक्षण में कोई कमी नहीं आएगी और सभी को उनका हिस्सा मिलेगा. उन्होंने कहा कि 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने से जम्मू कश्मीर में समाज के वंचित तबकों को आरक्षण का लाभ मुहैया कराने का मार्ग प्रशस्त हुआ है.

लोगों ने उनके इरादों को नाकाम कर दिया:
शाह ने कहा कि न्यायमूर्ति शर्मा आयोग ने सिफारिश की है और इसने एसटी आरक्षण के लाभ के लिए पहाड़ी, बकरवाल और गुर्जर को शामिल किया है. ये सिफारिशें मिल हुई हैं और कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के तुरंत बाद, गुर्जर, बकरवाल और पहाड़ी समुदायों को आरक्षण का लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने पहाड़ी लोगों को एसटी का दर्जा दिए जाने के नाम पर गुर्जरों और बकरवालों को उकसाने का प्रयास किया लेकिन लोगों ने उनके इरादों को नाकाम कर दिया.

एक पाई लोगों के कल्याण पर खर्च की जाती है:
गृह मंत्री ने जम्मू कश्मीर में विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि पहले सिर्फ तीन राजनीतिक परिवार तत्कालीन राज्य पर शासन करते थे, लेकिन अब सत्ता उन 30,000 लोगों के पास है जो निष्पक्ष चुनाव के जरिए पंचायतों और जिला परिषदों के लिए चुने गए हैं. शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर का विकास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि पहले, केंद्र द्वारा जम्मू कश्मीर के विकास के लिए भेजे जाने वाला सारा पैसा कुछ लोग हड़प लेते थे लेकिन अब एक-एक पाई लोगों के कल्याण पर खर्च की जाती है.

मजबूत बनाने की अपील करना चाहता हूं:
उन्होंने कहा कि मैं आप लोगों से जम्मू कश्मीर को इन तीन परिवारों के चंगुल से आजाद कराने और जम्मू कश्मीर की बेहतरी एवं कल्याण के लिए मोदी के हाथों को मजबूत बनाने की अपील करना चाहता हूं. उन्होंने हालांकि तीन परिवारों का नाम नहीं लिया. शाह ने कहा कि आतंकवादियों के खिलाफ मोदी सरकार द्वारा की गई सख्त कार्रवाई के कारण जम्मू कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति पहले से कहीं बेहतर हुई है. उन्होंने कहा कि इसके फलस्वरूप इस साल जान गंवाने वाले सुरक्षाकर्मियों की संख्या प्रति वर्ष 1,200 से कम होकर 136 रह गयी. सोर्स-भाषा