ब्रिटिश PM ऋषि सुनक ने भारतीय नागरिकों के लिए 3 हजार वीजा की मंजूरी दी

लंदन: ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने बुधवार को उस नई योजना को मंजूरी दी, जिसके तहत 18-30 वर्षीय डिग्रीधारी-शिक्षित भारतीयों को ब्रिटेन में आकर रहने और दो वर्ष तक काम करने के लिए हर साल 3,000 वीजा प्रदान किये जायेंगे. ‘युवा गतिशीलता साझेदारी योजना’ पारस्परिक होगी. इस योजना के तहत भारत में रहने और काम करने वाले ब्रिटिश नागरिक भी शामिल होंगे.

भारत-ब्रिटेन प्रवासन एवं गतिशीलता साझेदारी (एमएमपी) के तहत इस योजना पर पिछले साल सहमति बनी थी और अब इसे 2023 की शुरुआत में औपचारिक रूप से शुरू किया जायेगा. सुनक ने जी20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी और इसके कुछ घंटों बाद यह घोषणा की गई है. ब्रिटिश प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास एंव कार्यालय ‘डाउनिंग स्ट्रीट’ ने कहा कि भारत इस तरह की वीजा योजना से लाभान्वित होने वाला पहला देश है.

समृद्ध बनाने के लिए मददगार साबित होगा:
भारतीय मूल के पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री सुनक ने कहा कि मैं भारत के साथ हमारे मजबूत सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों के महत्व के बारे में जानता हूं. उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि भारत के और भी अधिक मेधावी युवाओं को अब ब्रिटेन में जीवन का वह सब अनुभव करने का अवसर मिलेगा, जो हमारी अर्थव्यवस्थाओं और समाजों को समृद्ध बनाने के लिए मददगार साबित होगा.

अपनी तरह का पहला सौदा होगा:
‘यूके-इंडिया यंग प्रोफेशनल्स स्कीम’ की शुरुआत को द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक ‘‘महत्वपूर्ण क्षण’’ और भारतीय और ब्रिटिश दोनों अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करने के लिए अहम बताया जा रहा है. इसे मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) वार्ता को आगे बढ़ाने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है. दोनों देशों के बीच अगर इसे लेकर सहमति बन जाती है तो यह भारत के किसी यूरोपीय देश के साथ किया गया अपनी तरह का पहला सौदा होगा.

ब्रिटेन में 95 हजार नौकरियां उपलब्ध हैं:
हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लगभग किसी भी देश की तुलना में ब्रिटेन के भारत के साथ महत्वपूर्ण संबंध हैं क्योंकि ब्रिटेन में सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों में से लगभग एक चौथाई हिस्सा भारत से हैं और भारतीय निवेश के समर्थन से ब्रिटेन में 95 हजार नौकरियां उपलब्ध हैं.‘डाउनिंग स्ट्रीट’ ने कहा कि मई 2021 में ब्रिटेन और भारत के बीच एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसका उद्देश्य हमारे देशों के बीच गतिशीलता बढ़ाना था. सोर्स-भाषा