Diwali Puja Muhurat: दिवाली पर बन रहा 700 साल के इतिहास का शुभ संयोग, जानें पूजा का मुहूर्त, महत्व और संपूर्ण विधि

नई दिल्लीः कल पूरे भारत में दिवाली मनायी जानी है. यह पर्व बड़े ही धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया जाता है. दीपावली को रोशनी, उल्लास और शुभकामनाओं का प्रतीक माना जाता है. इसके साथ ही दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन का अधिक महत्व होता है. मान्यता है कि यदि आप सच्चे मन और विधि विधान से पूजा करते हैं, तो धन की देवी मां लक्ष्मी और बुद्धि के देवता गणेश आपसे प्रसन्न रहेंगे. 

इस बार लक्ष्मी पूजा के लिए 6 मुहूर्त हैं जो दोपहर 1.15 से रात 2.32 तक रहेंगे. इनमें हर वर्ग के लोग (घर, दुकान, ऑफिस और कारखाने में) अपने हिसाब से खास मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं. ताकि हमेशा के लिए उनके घर और व्यापार में लक्ष्मी की वृद्धि बनी रहे.

दिवाली पर 8 शुभ योगः
दीपावली पर आठ शुभ योग बन रहे हैं. इनमें पांच राजयोग और अन्य 3 शुभ योग रहेंगे. ऐसा संयोग पिछले 700 साल में नहीं बना. दीपावली पर गजकेसरी, हर्ष, उभयचरी, काहल और दुर्धरा नाम के पांच राजयोग बन रहे हैं. जो शुक्र, बुध, चंद्रमा और गुरु की स्थिति से बनेंगे. इनके अलावा महालक्ष्मी, आयुष्मान और सौभाग्य भी बन रहे हैं. लक्ष्मी पूजा के वक्त ऐसा संयोग सदियों में बना है. 

दिवाली की पूजा का शुभ मुहूर्त 12 नवंबर की शाम 5 बजकर 40 मिनट से लेकर 7 बजकर 36 मिनट तक है. वहीं लक्ष्मी पूजा के लिए महानिशीथ काल मुहूर्त रात 11 बजकर 39 मिनट से मध्यरात्रि 12 बजकर 31 मिनट तक है. इस मुहूर्त में लक्ष्मी पूजा करने से जीवन में अपार सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी. 

उद्योगपति-व्यापारियों के लिए शुभः
दीपावली पर बन रहे शुभ योग उद्योगपति और व्यापारियों के लिए बेहद शुभ माने जा रहे हैं. आज बन रही ग्रह-स्थिति समृद्धि देने वाली होगी. जिससे दूरसंचार, शेयर मार्केट, सर्राफा, कपड़ा, तेल और लोहे से जुड़े मशीनरी काम करने वालों को फायदा होगा. चंद्रमा और बुध राहु-शनि के नक्षत्र में रहेंगे. जिससे उद्योग और टेली-कम्युनिकेशन फील्ड वालों के लिए बड़े बदलाव वाला समय रहेगा और उम्मीद से ज्यादा मिलने के भी योग बनेंगे. 

दिवाली पूजा मंत्रः
मां लक्ष्मी मंत्र
ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:॥
श्री गणेश मंत्र
गजाननम्भूतगभू गणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्।
उमासुतं सु शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।
कुबेर मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥