VIDEO: बीकानेर में अर्जुन राम मेघवाल और गोविंद राम मेघवाल आमने-सामने, जानिए क्या कहते है सियासी समीकरण? देखिए ये खास रिपोर्ट

बीकानेर: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बीकानेर में सियासी बिसात बिछ चुकी है. भाजपा से केंद्रीय क़ानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल चौथी बार चुनाव मैदान में हैं तो वहीं पूर्व मंत्री गोविन्द राम मेघवाल को कांग्रेस ने टिकट थमाया है. राजनीति के जानकार मानते हैं कि इस बार भले ही देश में मोदी मैजिक हो लेकिन गोविंद मेघवाल अर्जुन मेघवाल को अच्छी टक्कर दे सकते हैं. जीत हार को लेकर तो हालांकि अभी आकलन जल्दबाज़ी होगा. दोनों ही प्रत्याशियों की अपनी अपनी खूबियां और अपनी अपनी कमियां हैं. बीकानेर के सियासी समीकरणों पर खास रिपोर्ट. 

क्षेत्रफल के लिहाज़ से राजस्थान के बड़े संसदीय क्षेत्रों में शुमार बीकानेर संसदीय सीट इन दिनों केंद्रीय क़ानून मंत्री अर्जुन मेघवाल का चुनाव क्षेत्र होने के कारण सुर्ख़ियों में है, लेकिन इससे पहले कांग्रेस के दिग्गज जाट नेता बलराम जाखड़ और सिने अभिनेता धर्मेंद्र के चुनाव लड़ने और जीतने के दौरान भी ख़ासी चर्चित रही. बीकानेर संसदीय क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस की टिकट के साथ ही सियासी आबो हवा में सरगर्मियां बढ़ी हुई है यूं तो बीकानेर संसदीय सीट पर किसी एक दल के वर्चस्व का दावा नहीं किया जा सकता था. यहां से भाजपा और कांग्रेस ने बराबर ही मुक़ाबले जीते लेकिन पिछले 3 चुनावों से अर्जुन मेघवाल अजेय बने हुए है. 

बीकानेर संसदीय सीट पर अब तक 17 चुनाव हुए:
- पूर्व महाराजा करणी सिंह निर्दलीय के तौर पर पाँच बार चुनाव जीतने में सफल रहे 
- भाजपा ने पांच चुनाव जीते 
- अर्जुन मेघवाल तीन बार तो अभिनेता धर्मेंद्र और महेंद्र सिंह भाटी एक एक बार चुनाव जीतने में सफल रहे 
- कांग्रेस ने भी पाँच बार जीत हासिल की 
-  दिग्गज जाट नेता बलराम जाखड़ एक बार ,
रामेश्वर डूडी एक बार तो तीन बार मनफूल सिंह भादू चुनाव जीते
- CPM के श्योपत सिंह और भारतीय लोक दल से हारीराम मक्कासर भी एक बार जीते 

गोविंद मेघवाल और अर्जुन मेघवाल के बीच रिश्ते बनते बिगड़ते रहे हैं. हालांकि कहते हैं कि अर्जुन मेघवाल के पहले चुनाव में जीत का बड़ा कारण गोविंद मेघवाल कि भाजपा से बग़ावत रही. देश की राजनीति में दलित चेहरे के तौर पर अर्जुन मेघवाल की बड़ी पहचान भी बनी. मोदी और शाह का वरदान निश्चित तौर पर अर्जुन मेघवाल का क़द संसदीय क्षेत्र में भी मज़बूत बनाता है. अर्जुन मेघवाल पिछले चुनावों में भी ढाई लाख से अधिक मतों से चुनाव जीते थे. हालाँकि उनका मत प्रतिशत कम हुआ था लेकिन माना जाता है कि जाट समाज  में अर्जुन मेघवाल  की अच्छी पैठ है. सुमित गोदारा को मंत्री बनवाने में कहते हैं कि अगर मेघवाल ख़ास भूमिका रही.

पिछले तीन चुनावों से सूखा झेल रही कांग्रेस ने इस बार पूर्व मंत्री गोविंद मेघवाल के सहारे उम्मीद पाली है कि शायद इस बार कोई चमत्कार हो जाए. पिछले 3 चुनावों में भी कांग्रेस ने प्रत्याशी बदले लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात रहा. हालाँकि बात सही है कि गोविंद मेघवाल कि दलित समाज में पकड़ है फिर भी खाजूवाला में जिस तरह की हार हुई उसके बाद ये बेहद महत्वपूर्ण रहेगा की गोविंद मेघवाल क्या कांग्रेसियों को एकजुट कर इस चुनाव में उतरते हैं. भाजपा समर्थक दावा करते है कि  मोदी लोकप्रियता नेता है कि मोदी ने जो कहा है वो किया है मोदी का मतलब ही गारंटी है. ऐसे में अर्जुन मेघवाल चौथी बार दिल्ली जाएंगे. तो दूसरी तरफ़ गोविंद मेघवाल समर्थक बीकानेर में काम नहीं होने के आरोप लगाते हुए कहते हैं कि ऐसा कुछ भी नहीं है जनता अब समझ चुकी है मोदी का झूठ चलने वाला नहीं.