राजस्थान को माइनिंग सेक्टर में अग्रणी प्रदेश बनाने की कवायद शुरू, अन्य प्रदेशों के अनुभवों को किया जाएगा साझा

जयपुरः माइनिंग सेक्टर में राजस्थान को अग्रणी प्रदेश बनाने के लिए राज्य सरकार ने कवायद शुरु कर दी है. खान सचिव आनन्दी ने कहा कि माइनिंग क्षेत्र में अग्रणी प्रदेशों की बेस्ट प्रेक्टिसेज को प्रदेश की परिस्थितियों के अनुसार परीक्षण कर अपनाया जाएगा. राजस्थान में विपुल खनिज संपदा है और इसको प्रदेश के आर्थिक विकास, माइनिंग सेक्टर में तेजी से विकास, औद्योगिकरण, राजस्व वृद्धि और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए किया जाएगा.

खान सचिव आनंदी ने बताया कि अवैध खनन गतिविधियों पर कारगर रोक लगाने के लिए अन्य प्रदेशों के अनुभवों को भी परीक्षण किया जाएगा. उन्होंने बताया कि माइनिंग क्षेत्र में राजस्थान देश का इकलोता प्रदेश हैं जहां माइंस विभाग के अधिकारियों की टीम ही बिना किसी ऑउट सोर्सिंग के माइनिंग ब्लॉकों की नीलामी की सभी आवश्यक तैयारियां करने से लेकर ऑक्शन तक का कार्य करती है. अन्य प्रदेशों में यह कार्य बाहरी संस्थाओं यानी कि थर्ड पार्टी के माध्यम से होता है. आनन्दी खनिज भवन में डीएमजी भगवती प्रसाद कलाल के साथ विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से उड़ीसा, कर्नाटक, छत्तीसगढ़़ और मध्यप्रदेश के खनिज विभागों की कार्यप्रणाली पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि राजस्थान में माइनर और मेजर मिनरल्स के एक्सप्लोरेशन और खनिज प्लॉटों की नीलामी में और अधिक तेजी से काम किया जाना है. राज्य सरकार ने कार्यभार संभालते ही अवैध खनिज गतिविधियों के खिलाफ संयुक्त अभियान चलाने के साथ ही मेजर और माइनर मिनरल्स के ब्लॉक तैयार कर नीलामी के कार्य में तेजी लाई गई है. इसी माह से प्रदेश में 79 मेजर मिनरल ब्लॉकों की ईनीलामी आरंभ कर दी गई है वहीं 339 माइनर मिलरल ब्लाकों की ई-नीलामी जारी है. इसी के साथ बजरी ब्लॉकों की नीलामी की जा रही है. 

खान सचिव श्रीमती आनन्दी ने कहा कि हमारा उद्देश्य मिनरल्स की खोज के साथ ही एमएल प्राप्त खदानों को कम समय में ऑपरेशनल बनाना है. वहीं माइनिंग ब्लॉक तैयार करते समय अन्य विभागों से बेहतर समन्वय व इस तरह की व्यवस्था सुनिश्चित करना है जिससे कार्य में अनावश्यक देरी ना हो सके. उन्होंने बताया कि उड़ीसा में हाई वेल्यू मिनरल्स होने के कारण वहां का मिनरल रेवेन्यू 40 से 50 हजार करोड़ तक है उसी तरह से प्रदेश में इस तरह के प्रयास किये जाएंगे अनावश्यक देरी व बाधाएं दूर हो सके ताकि प्रदेश का मिनरल सेक्टर भी राजस्व अर्जन में प्रमुख भूमिका निभा सके. उन्होंने कहा कि इसके लिए आधुनिकतम तकनीक और सूचना तकनीक का प्रयोग किया जाएगा. निदेशक भगवती प्रसाद कलाल ने बताया कि विभाग द्वारा मिनरल ऑक्शन सेल को मजबूत करने, उपलब्ध मानव संसाधन का बेहतर उपयोग कर और अधिक परिणाम प्राप्त करने, सेंपल्स सर्वें के परीक्षण और ब्लॉक्स तैयार करने में देरी के कारणों को चिन्हित कर उनका निराकरण खोजा जाएगा. कलाल ने कहा कि माइनिंग सेक्टर में सूचना तकनीक का बेहतर उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा ताकि छीजत की संभावनाएं ना रहे. शुरू में एडीजी एनपी सिंह ने कर्नाटक के माइंस विभाग की कार्यप्रणाली, एसएमई व टीए देवेन्द्र गौड ने छत्तीसगढ़, एमई जिनेश हुमड ने उड़ीसा की प्रक्रिया, ओएसडी श्रीकृष्ण शर्मा ने मध्यप्रदेश की मिनरल क्षेत्र की गतिविधियों व कार्यप्रणाली की विस्तार से जानकारी दी.