VIDEO: कॉपर स्क्रैप में जीएसटी फर्जीवाड़े का पर्दाफाश, फर्जी बिलों से लिया जा रहा था इनपुट टैक्स क्रेडिट

जयपुर: माल एवं सेवा कर आसूचना महानिदेशालय-डीजीजीआई की जयपुर जोनल इकाई ने कॉपर स्क्रैप में हो रहे एक देशव्यापी जीएसटी फर्जीवाड़े को उजागर करने की बड़ी कामयाबी हासिल की है. डीजीजीआई अधिकारियों ने बोगस फर्मों के माध्यम से जीएसटी कानून में मिलने वाली इनपुट टैक्स क्रेडिट के गोरखधंधे को न केवल उजागर किया, बल्कि इस गोरखधंधे से जुड़े दो कथित मास्टरमाइंड को भी गिरफ्तार करने की सफलता अर्जित की. बताया जाता है कि ये कथित मास्टरमाइंड कई कम्पनियों अथवा फर्मों की परतें बना कर इस फर्जीवाड़े को अंजाम देते रहे हैं, जिससे इन तक पहुंचना काफी कठिन और उबाऊ कार्य था, लेकिन महीनों के परिश्रम के बाद ना केवल इन परतों को खंगाल कर मास्टर माइंडों को उनके घरों से दबोचा, बल्कि इनके द्वारा किए गए करोड़ों के फर्जीवाड़े में से 23 करोड़ की वसूली भी की. 

विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कॉपर स्क्रैप के नाम पर हो रही जीएसटी चोरी की एक सूचना डीजीजीआई की जयपुर जोनल इकाई के अधिकारियों के पास आई. इस सूचना का विश्लेषण करने पर चौंकाने वाली जानकारी मिली कि जिस फर्म ने माल की खरीद दिखाई, उसने यह माल किसी अन्य फर्म से खरीदा और उस फर्म ने भी उस माल की खरीद किसी अन्य से करना दिखाया. माल के खरीदारों की परतें खंगालने पर पता लगा कि वास्तव में माल की ना तो बिक्री हुई और ना ही खरीद, केवल बिल ही एक फर्म से दूसरी और दूसरी से तीसरी का सफर करते रहे और इस पूरे लेनदेन में मिलने वाली जीएसटी कानून में इनपुट टैक्स क्रेडिट का दुरुपयोग होता रहा, जो जीएसटी कानून में प्रतिबंधित है.

सूचनाओं की कड़ियों को जोड़ते हुए डीजीजीआई अधिकारियों ने पिछले दो माह में गुरुग्राम, नई दिल्ली, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, रेवाड़ी और भिवाड़ी में 50 से अधिक ठिकानों पर छापे मारे. छापेमारी कार्रवाई में पता लगा कि जीएसटी पंजीयन के लिए फर्मों का जहां पता बताया गया है, उन पतों पर अधिकांश फर्में थीं ही नहीं और जहां फर्में मिली, वहां उन फर्मों में कॉपर स्क्रैप का कारोबार ही नहीं हो रहा था. सूचनाओं के बाद डीजीजीआई अधिकारियों ने जीएसटी पोर्टल पर उपयोग किए गए सैकड़ों आईपी एड्रेस की पड़ताल की, कई मोबाइल फोन को सर्विलांस पर लगाया और अनेक बैंक खातों को खंगाला. इसका असर यह हुआ कि अधिकारियों को इस गोरखधंधे में लिप्त नोएडा निवासी धीरज सिंघल और रेवाड़ी निवासी आशीष गोयल की जानकारी मिली. इन आरोपियों की ओर से संचालित 53 बोगस फर्मों में अधिकारियों ने अब तक 371 करोड़ की जीएसटी चोरी का पता लगाया है. इसके बाद अधिकारियों ने दोनों ही आरोपियों धीरज सिंघल और आशीष गोयल के आवास पर छापेमारी और उन्हें उनके आवास से गिरफ्तार कर जयपुर की आर्थिक अपराध न्यायालय में पेश किया, जहां उन्हें जेल भेजने का आदेश हुआ है.

सूत्र बताते हैं कि 6 शहरों में 50 से अधिक ठिकानों पर हुई छापेमारी में डीजीजीआई अधिकारियों ने अनेक लैपटॉप, मोबाइल फोन व इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस आदि जब्त किए हैं, जिनका विस्तृत विश्लेषण होगा. इसी तरह अब तक गिरफ्तार हुए दोनों आरोपियों के मोबाइल फोन को भी खंगाला जा रहा है, जिससे भी नए खुलासे हो सकते हैं. उम्मीद की जा रही है कि इस विश्लेषण के बाद डीजीजीआई इस मामले में करोड़ों रुपए के नए खुलासे भी कर सकती है.