जयपुर: राजधानी के बाहरी इलाके में नियम-कायदों को ताक में रखकर धड़ल्ले से अवैध हॉस्टल सिटी आकार ले रही है. कृषि भूमि पर बेतरतीब तरीके से बन रही इस हॉस्टल सिटी से ना केवल जेडीए और राज्य सरकार को राजस्व की हानि हो रही है बल्कि नगर नियोजन को भी ग्रहण लग रहा है.
अजमेर रोड पर दहमीकलां में मणिपाल यूनिविर्सटी के पीछे करीब दस बीघा कृषि भूमि पर धड़ल्ले से बड़े पैमाने पर कई अवैध हॉस्टल्स का निर्माण किया जा रहा है. फर्स्ट इंडिया न्यूज की टीम ने मौके पर जाकर पड़ताल की तो सामने आया कि चार-चार,पांच-पांच मंजिल तक अवैध इमारतें खड़ी की जा रही है. कई निर्माणाधीन हैं और कई इमारताें का निर्माण किया जा चुका है. निर्मित इमारतों में हॉस्टल्स शुरू हो गए हैं. मणिपाल यूनिवर्सिटी के कारण यहां हॉस्टल्स की बहुत अधिक मांग है. लेकिन इस मांग को पूरा करने के लिए बेतरतीब तरीके से एक के बाद एक हॉस्टल्स का निर्माण किया जा रहा है. जयपुर विकास प्राधिकरण के जिम्मेदार अधिकारियों ने जानबूझकर आंखें मूंद रखी हैं. आपको बताते हैं कि इस मांग के चलते वहां मौके क्या हालात हैं और किस तरह जेडीए अधिकारी मामले में जानबूझकर लापरवाही बरत रहे हैं.
- अधिकतर हॉस्टल्स की इमारतों का निर्माण जीरो सेटबैक पर किया जा रहा है
- एक अनुमान के मुताबिक यहां चालीस से अधिक हॉस्टल्स हैं
-जिनमें से कई हॉस्टल्स तो बनकर तैयार हो चुके हैं और कई हॉस्टल्स का निर्माण परवान पर हैं
-ये हॉस्टल्स जितनी भूमि पर है उसका कुछ हिस्सा ही जेडीए से अनुमोदित है
-हॉस्टल्स बनाने की बाढ़ के कारण यहां जमीनों के भाव भी आसमान छू रहे हैं
- इलाके के जानकारों के अनुसार यहां बीस से तीस हजार रुपए प्रति वर्गगज के भाव हैं
- कोई हॉस्टल तीस कमरों का तो कोई हॉस्टल चालीस कमरों का है
-दो स्टुडेंट्स के एक कमरे का औसतन किराया 8 से 10 हजार रुपए तक है
- इसी इलाके में जेडीए के प्रवर्तन दस्ते के दस्ते ने पिछले वर्ष 14 नवंबर को यहां कार्रवाई की थी
- तब यहां तेजस्वनी नगर प्रथम और तेजस्वनी नगर द्वितीय के नाम से अवैध कॉलोनियों काटी जा रही थी
- जेडीए के प्रवर्तन दस्ते ने तब कॉलोनियां बसाने के लिए किए निर्माणों को ध्वस्त कर दिया था
- बाद में जेडीए के प्रवर्तन दस्ते ने कुछ निर्माणाधीन हॉस्टल्स को नोटिस भी दिए थे
-यह सब बताता है कि मामला जेडीए की प्रवर्तन शाखा की नजर में है
-इसके बावजूद मामले में जेडीए के जिम्मेदार अधिकारियों की खामोशी कई सवाल खड़े करती है
दहमीकलां में अवैध रूप से पांव पसार रही इस हॉस्टल सिटी से भूकारोबारी तो चांदी काटी रहे हैं. लेकिन जेडीए और राज्य सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व की चपत लग रही है. आपको बताते हैं कि कैसे हाे रहा है यह सब?
- कई हॉस्टल्स कृषि भूमि पर आकार ले रहे हैं
- जबकि नियमों के तहत कृषि भूमि पर गैर कृषि गतिविधि के लिए भू रूपांतरण की कार्यवाही जरूरी है
- इसके बाद लैंड यूज चेंज,योजना के ले आउट प्लान का अनुमादेन और
- फिर भूखंड के पट्टे जारी किए जाने का नियम है
- पट्टेशुदा भूखंड पर हॉस्टल्स के लिए भवन मानचित्र अनुमोदन का भी प्रावधान है
- अगर इस पूरी प्रक्रिया का पालन किया जाता तो भू रूपांतरण शुल्क,
- लैंड यूज चेंज शुल्क,ले आउट प्लान शुल्क और
- पट्टे जारी कराने संबंधी शुल्क और भवन मानचित्र अनुमोदन शुल्क देना पड़ता
- लेकिन सीधे ही कृषि भूमि पर हॉस्टल्स के निर्माण से ये तमाम शुल्क जेडीए को नहीं मिल रहे हैं
- इसके चलते जेडीए को करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि हो रही है
- इसी तरह कृषि भूमि होने के कारण भूखंडों के खरीद-बेचान की रजिस्ट्री कम डीएलसी दर पर हो रही है
- वर्तमान में यह रजिस्ट्री कृषि भूमि की डीएलसी दर पर हो रही है, जो कि बहुत कम है
- हॉस्टल्स के अनुसार डीएलसी दर कृषि भूमि की डीएलसी दर से कहीं अधिक है
- इस प्रकार अवैध हॉस्टल्स के इस कारोबार से स्टांप ड्यूटी की भी हानि हो रही है