Jaipur News: JDA की लोहा मंडी योजना का नहीं हो रहा विवाद खत्म, कैबिनेट एंपावर्ड कमेटी के फैसले के बाद बढ़ाई दर; जानिए आखिर योजना में विवाद क्यों कायम है?

जयपुर: जयपुर के माचेड़ा स्थित जयपुर विकास प्राधिकरण की लोहा मंडी योजना में विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. गृह निर्माण सहकारी समिति के आवंटी मनमर्जी से नई आरक्षित दर लागू करने का जेडीए पर आरोप लगा रहे और उधर जेडीए को 20 नवंबर को योजना की क्रियान्विति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जवाब देना है.

करीब तेईस साल पहले जयपुर विकास प्राधिकरण ने सीकर रोड स्थित ग्राम माचेड़ा में 157 हैक्टेयर भूमि पर लोहा मंडी योजना प्रस्तावित की थी. योजना के लिए जो भूमि अवाप्त की गई उसमें करीब 35 बीघा भूमि पर मोती भवन  निर्माण सहकारी समिति की योजना सृजित थी. वर्ष 1999 में जेडीए की ओर से इस योजना की कृषि भूमि का भू रूपांतरण आवासीय कर दिया गया. खातेदार व इस योजना के आवंटियों की मुआवजे की मांग को लेकर मामला अदालत में चलता रहा. इस योजना को धरातल पर लाने के लिए कैबिनेट एम्पावर्ड कमेटी की 14 फरवरी 2021 को बैठक हुई. आपको बताते हैं कि मुआवजे को लेकर कमेटी की बैठक में क्या फैसला किया गया था.

- कैबिनेट एम्पावर्ड कमेटी ने खातेदारों का मुआवजा 15 से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया.
- लेकिन जिन खातेदारों ने 15 प्रतिशत मुआवजा ले लिया है,उनके प्रकरण खोले नहीं जाएंगे.
- गृह निर्माण सहकारी समिति की योजना के आवंटियों को समरूप भूखंड दिए जाएंगे.
- जितने आकार के भूखंड अवाप्ति के दायरे में थे,उतने ही आकार के भूखंड दिए जाएंगे.
- कैबिनेट एम्पावर्ड कमेटी ने भूखंड आवंटन की दर के लिए अधिसूचना का हवाला दिया.
- यूडीएच की 30 नवंबर 2017 की अधिसूचना के अनुसार दर वसूलने का फैसला किया गया.
- इस अधिसूचना में आरक्षित दर के 25 प्रतिशत दर पर भूखंड आवंटन का प्रावधान है. 
- कमेटी ने यह भी तय किया कि भूखंड शर्त के साथ आवंटित किए जा सकेंगे. 
-  भूमि के स्वामित्व या मुआवजे के संबध में कोई मामला अदालत में लंबित है. 
- तो उसे विड्रो किया जाए या उस मामले को खारिज कराया जाए. 

खातेदारों और आवंटियों की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मामला चला. इस मामले में जेडीए के जोन उपायुक्त ने शपथ पत्र देकर कैबिनेट एम्पावर्ड कमेटी के फैसले को लागू करने की बात कही. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने जेडीए के शपथ पत्र पर विचार करते हुए मामले में उचित निर्णय लेने के लिए जेडीए को तीन महीने का समय दिया है. सुप्रीम कोर्ट में मामले अगली सुनवाई इस 20 नवंबर है. जबकि सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई डेडलाइन 7 नवंबर को खत्म हो रही है. आपको बताते हैं कि कैबिनेट एम्पावर्ड कमेटी के फैसले और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी आखिर योजना में विवाद क्यों कायम है?

- कैबिनेट एम्पावर्ड कमेटी के फैसले के बाद जेडीए ने अक्टूबर 2021 में आरक्षित दर बढ़ा दी.
- आरक्षित दर 11 हजार रुपए से बढ़ाकर 25 हजार 200 रुपए प्रति वर्गमीटर कर दी. 
- गृह निर्माण सहकारी समिति की योजना के कुल करीब 172 आवंटी बताए जा रहे हैं. 
- इनमें से 92 आवंटियों को जेडीए ने नई आरक्षित दर के अनुसार मांग पत्र भी जारी कर दिए हैं. 
- जेडीए ने खातेदारों और आवंटियों को भूमि देने के लिए योजना की रिप्लानिंग कर दी. 
- लेकिन कई आवंटी आरक्षित दर दुगुनी से अधिक बढ़ाने का जमकर विरोध कर रहे हैं. 
- इनका कहना है कि जिस दिन एम्पावर्ड कमेटी का फैसला हुआ था. 
- उस दिन की आरक्षित दर के अनुसार जेडीए को आवंटियों से राशि लेनी चाहिए. 
- यही कारण है कि अभी कई आवंटियों ने भूखंड को लेकर राशि जमा नहीं कराई है. 
- इन आवंटियों की यह भी मांग है कि राज्य सरकार के 16 जून 2023 के आदेश के तहत राशि ली जाए. 
- यह आदेश सरकारी भूमि पर बसी कॉलोनियों के भूखंडों के आवंटन को लेकर है. 
- इस आदेश के अनुसार आरक्षित दर या डीएलसी दर जो भी कम हो.
- उसके 10 प्रतिशत के हिसाब से 300 वर्गमीटर तक के भूखंडों के लिए राशि लेने का प्रावधान है.
- इससे बड़े भूखंडों के लिए आरक्षित दर या डीएलसी दर जो भी कम हो.
- उसके 25 प्रतिशत के हिसाब से राशि लेने का प्रावधान है.
- आवंटियों की मांग पर जेडीए ने राज्य सरकार से मार्गदर्शन मांगा है.
- जेडीए ने सरकार से पूछा है कि कैबिनेट एम्पावर्ड कमेटी के फैसले में दी गई दर से राशि ली जाए ?
- अथवा 16 जून 2023 के आदेश के अनुसार राशि ली जाए ?

जेडीए के जोन उपायुक्त सत्य प्रकाश कस्वां का कहना है कि भूखंड आवंटन की दर को लेकर राज्य सरकार से मार्गदर्शन मांगा गया है. हालांकि विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के चलते सरकार से मार्गदर्शन आने की संभावना कम लग रही है. ऐसे में यह मामला फिलहाल सुलझता नजर नहीं आ रहा है. देखने वाली बात यह होगी कि जेडीए सुप्रीम कोर्ट के आदेश की क्या पालना रिपोर्ट 7 नवंबर के बाद सुप्रीम कोर्ट में पेश करता है.