कर्नाटक: सत्ता विरोधी लहर पर सवार कांग्रेस को मिला स्पष्ट बहुमत, भाजपा 64 सीटों पर सिमटती दिख रही

बेंगलुरु/नई दिल्ली: कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर पर सवार होकर कांग्रेस ने शनिवार को स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया. शाम छह बजे तक घोषित परिणामों के मुताबिक वह 224 सदस्यीय विधानसभा में 123 सीटों पर जीत हासिल कर चुकी है जबकि 13 सीटों पर वह बढ़त बनाए हुए है. बढ़त वाली सीटों को भी वह जीत लेती है तो वह 136 के आंकड़ें तक पहुंच सकती है. वर्ष 1989 के विधानसभा चुनाव के बाद यह कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत होगी. भाजपा ने अभी तक 58 सीटों पर जीत दर्ज की है जबकि 06 सीटों पर उसके उम्मीदवार आगे हैं. इस प्रकार वह 64 सीटों पर सिमटती दिख रही है. जनता दल (सेक्युलर) ने 19 सीटों पर जीत दर्ज की है जबकि एक सीट पर वह बढ़त बनाए हुए है.इसके साथ ही कर्नाटक में कांग्रेस ने 10 साल बाद अपने दम पर सत्ता में वापसी करते हुए भाजपा को उसके कब्जे वाले एकमात्र दक्षिणी राज्य से बाहर कर दिया. मतदाताओं ने 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले चुनावी पुनरुत्थान की कोशिशों में लगीं देश की सबसे पुरानी पार्टी का निर्णायक समर्थन किया है. पिछले साल दिसंबर में हिमाचल प्रदेश के बाद भाजपा की यह लगातार दूसरी हार है.

राज्य में 10 मई को मतदान हुआ था और अधिकांश एक्जिट पोल में त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी की गई थी. नतीजे आने के बाद मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने हार स्वीकार कर ली है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और पार्टी कार्यकर्ताओं सहित सभी के काफी प्रयासों के बावजूद भाजपा इस चुनाव में अपनी छाप नहीं छोड़ सकी. बोम्मई ने कहा कि भाजपा प्रधानमंत्री और पार्टी कार्यकर्ताओं समेत सभी के प्रयासों के बावजूद इस चुनाव में अपनी छाप छोड़ने में विफल रही है. निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार एक-एक सीट पर कल्याण राज्य प्रगति पक्ष तथा सर्वोदय कर्नाटक पक्ष के, जबकि दो सीट पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है.

इस चुनाव को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले दोनों पाटियों के लिए ‘अग्नि परीक्षा’ के रूप में देखा जा रहा था. इस अहम दक्षिणी राज्य में रुझानों में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलता देख बेंगलुरु और दिल्ली में कांग्रेस के मुख्यालय में कार्यकर्ताओं और नेताओं की ओर से शुरुआती जश्न मनाया गया. इन रुझानों के आने के साथ ही एक बार फिर कर्नाटक में सत्तारूढ़ पार्टी की सत्ता में वापसी नहीं होने का 38 साल पुराना मिथक कायम रहने की उम्मीद है, जबकि दक्षिण भारत के एकमात्र राज्य से भाजपा सत्ता से बेदखल होती नजर आ रही है. कांग्रेस ने 1989 के विधानसभा चुनाव में 178 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस चुनाव के नतीजों के बाद लिंगायत नेता वीरेंद्र पाटिल राज्य के मुख्यमंत्री बने थे. हालांकि अगले चुनाव में कांग्रेस 34 सीटों पर सिमट गई थी. इसके बाद 1999 के चुनाव में कांग्रेस ने 132 सीटें और 2013 के चुनाव में 122 सीटें जीती थी.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पार्टी के अच्छे प्रदर्शन को जनता जनार्दन की जीत करार देते हुए कहा कि लोगों ने भाजपा के खराब प्रशासन और कांग्रेस की पांच गारंटी के पक्ष में वोट किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के सभी नवनिर्वाचित विधायकों से आज शाम तक बेंगलुरु पहुंचने के लिए कहा गया है, ताकि सरकार की गठन की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा सके.
खरगे ने बेंगलुरू में संवाददाताओं से कहा कि हमने सभी (नवनिर्वाचित विधायकों) को संदेश भेजा है कि वो आज शाम तक यहां पहुंचें. वे शाम तक यहां आएंगे. इसके बाद आलाकमान पर्यवेक्षक भेजेगा और फिर सरकार गठन की प्रक्रिया होगी. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पार्टी के जीत की ओर बढ़ने पर प्रदेश की जनता और अपने नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को बधाई देते हुए कहा कि दक्षिण भारत के इस राज्य में ‘नफरत का बाजार’ बंद हो गया है तथा मोहब्बत की दुकानें खुली हैं. उन्होंने यह दावा भी किया कि कर्नाटक की गरीब जनता की ‘शक्ति’ ने साठगांठ वाले पूंजीवादियों की ताकत को हरा दिया है. सोर्स भाषा