VIDEO: राजस्थान में बसेगा 'लॉयन' ! बीकानेर- अजमेर में शुरू हो सकती है लायन सफारी, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से हुआ तो प्रदेश में चुनिंदा वन क्षेत्र में अब शेर भी विचरण करते नजर आएंगे. प्रदेश का जंगलात महकमा इन दिनों बाघों की तर्ज पर शेरों को भी जंगलात में बसाने की योजना बना रहा है. इसके अलावा बीकानेर और अजमेर में लायन सफारी पर भी काम शुरू किया जा सकता है. 

प्रदेश के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अरिंदम तोमर ने आज वर्ल्ड लॉयन डे पर वन्यजीव प्रेमियों को शुभकामनाएं दी और शेरों को लेकर विभाग की योजना पर भी विस्तार से चर्चा की. मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक अरिंदम तोमर ने लॉयन दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भारत में एशियाटिक लायन ज्यादातर गुजरात में पाए जाते हैं. लॉयन संरक्षण में काफी सफलता भी मिली है. राजस्थान में भी पहले लॉयन पाए जाते थे. और अन्य प्रदेशों में भी सिंह यानी शेर पाया जाता था. 

उन्होंने कहा कि हम अपेक्षा करते हैं कि भविष्य में राजस्थान में भी शेर को जंगलों में स्थापित किया जाए. राजस्थान में बायोलॉजिकल पार्क में एशियाटिक लायन है. राजस्थान के बायोलॉजिकल पार्क में भी कोशिश की जा रही है कि लॉयन की सफल ब्रीडिंग हो. राजस्थान में शेरों का कुनबा बढ़ाने के लिए एक जोड़ा एशियाटिक लायन गुजरात के शकर बाग चिड़ियाघर से लाया जाएगा. उन्होंने कहा कि हमारे पास कुछ शेर तो है, लेकिन एक और जोड़ा आने के बाद राजस्थान में भी ब्रीडिंग करके अन्य बायोलॉजिकल पार्कों में भी शेरों को रखा जा सकता है. 

पूरे विश्व में एशियाटिक लायन केवल गुजरात के गिर में पाए जाते हैं. फ़िलहाल वहां इनकी संख्या 600 से ज्यादा है और कई लायन गिर से निकल कर गुजरात के जूनागढ़, राजकोट, भावनगर, अमरेली से कई अलंग तक कई तटीय इलाकों तक पहुंच चुके हैं, इनकी एक अच्छी खासी संख्या प्रोटेक्टेड एरिया से बाहर है. अब गुजरात के गिर में बढ़ती एशियाटिक शेरों की संख्या को देखते हुए जहां इनको अन्य राज्यों में शिफ्ट करने का मामले सर्वोच्च न्यायालय विचाराधीन है, स्वयं गुजरात के बरदा वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी में इनको शिफ्ट नहीं किया जा सका है.  वहीं गिरनार, पनिया, मितियाला वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी के अलावा  कोडिनाल, राजुला तक इनकी उपस्थित दर्ज की गई है. 

स्वयं गिर नेशनल पार्क 1100 स्क्वायर किलोमीटर से ज्यादा है बावजूद इसके एशियाई शेरों का मूवमेंट इससे बाहर की तरफ है. राजस्थान एशियाई शेर को लेकर नाहरगढ़ विकसित किया गया जो कि प्रदेश का पहला लायन सफारी पार्क भी बना. राजस्थान और मध्यप्रदेश दो ऐसे राज्य हैं जो एशियाई शेर को एक सुरक्षित आशियाना दे सकते हैं. इसमें राजस्थान का सीतामाता अभयारण्य, शाहबाद के जंगल, भैंसरोडगढ़ के जंगल, फुलवारी की नाल अभ्यारण इनके पुनर्वास के लिए उपयुक्त है.  लगभग 60-70 वर्ष पूर्व राजस्थान में भी एशियाई शेरों का साम्राज्य था जो धीरे-धीरे खत्म हो गया. 

अब ज़रूरत है केप्टिव ब्रीडिंग में पैदा हुए एशियाई शेरों को प्रकृति वातावरण का आदि बना धीरे धीरे यहीं के जंगलों में रिलीज़ करने के प्रयास किए जाएं हालांकि इस बात के लिए कई रिसर्च कर्ता एवं साइन्स दान राज़ी न हों लेकिन यही एक मात्र रास्ता है इस प्रजाति को खात्मे से बचाने का राजस्थान में पुनर्स्थापित करने का. राजस्थान में शेर बसाने को लेकर काफी समय से चर्चा है लेकिन अभी तक कोई ठोस प्रस्ताव तैयार नहीं हो पाया.