VIDEO: 200 करोड़ के अस्पताल में मरीजों को इमरजेंसी का इंतजार ! SMS मेडिकल कॉलेज के "सुपर स्पेशिलिटी" ब्लॉक में "कुप्रबन्धन", देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर : SMS मेडिकल कॉलेज में मरीजों को सुपर स्पेशिलिटी की हाईटैक चिकित्सा सुविधा देने का दावा "कुप्रबन्धन" की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है. कॉलेज प्रशासन ने 200 करोड़ रुपए की लागत से बने सुपर स्पेशिलिटी" ब्लॉक को एक साल पहले शुरू तो कर दिया,लेकिन अभी तक गेस्ट्रोलॉजी, यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी जैसी गंभीर बीमारियों के मरीजों को "इमरजेंसी" की सुविधा तक का इंतजार है. आखिर किसी सोच के साथ बनाया गया सुपर स्पेशिलिटी" ब्लॉक और इमरजेंसी नहीं होने से मरीजों को कैसी आ रही दिक्कतें. 

केन्द्र और राज्य सरकार आधारित प्रोजेक्ट के तहत एसएमएस ट्रोमा सेन्टर के ठीक पास में 200 करोड़ की लागत से सुपर स्पेशिलिटी" ब्लॉक बनाया गया है. प्रोजेक्ट में केन्द्र सरकार ने 120 करोड़ दिए, जबकि गहलोत सरकार ने 80 करोड़ रुपए का खर्चा उठाकर मरीजों के लिए अत्याधुनिक सुविधा की राह साफ की पिछले साल मार्च में एसएमएस मेडिकल कॉलेज ने ट्रॉयल रन शुरू किया और उसके बाद अब गेस्ट्रोलॉजी, यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी के अलावा हिपेटो पैंक्रियाटो बिलेरी सर्जरी विभाग को पूरी तरह से ब्लॉक में शिफ्ट कर दिया गया. इन सुपर स्पेशिलिटी सेवाओं की मरीजों को कितनी दरकार है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रोजाना करीब 1000 से अधिक मरीज ओपीडी में आते है. जबकि 300 के आसपास मरीज अस्पताल में भर्ती होकर इलाज लेते है. आश्चर्य की बात ये है कि इतने मरीजों के लोड के बावजूद अभी तक ब्लॉक में इमरजेंसी की सुविधा शुरू नहीं की गई है. हालांकि, अस्पताल अधीक्षक डॉ विनय मल्होत्रा भी मानते है कि अस्पताल में इमरजेंसी की जरूरत है और इसे जल्द शुरू करने के प्रयास जारी है.

मरीजों को ये आती है आपातकालीन दिक्कतें
गेस्ट्रोलॉजी - खून की उल्टी, खाने की नली में रूकावट, पॉइजिनिंग, एक्यूट गैस्टिक इश्यू
यूरोलॉजी - पेशाब में खून आना, पेशाब में अचानक रूकावट, पैराफिमोसिस की दिक्कत
नेफ्रोलॉजी - क्रॉनिक किडनी डिजीज और एक्युट किडनी डिजीज के मरीजों की आपातकालीन दिक्कत

24 घंटे में से भर्ती के लिए सिर्फ छह घंटे
SMS मेडिकल कॉलेज के "सुपर स्पेशिलिटी" ब्लॉक की ये कैसी वर्किंग
ओपीडी के जरिए ही मरीज होते है सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल में भर्ती
सरकार ने ओपीडी का निर्धारित कर रखा सिर्फ छह घंटे का समय
फिलहाल सुबह 9 बजे से तीन बजे तक संचालित होती है ओपीडी
लेकिन इस समयावधि के बाद यदि कोई मरीज आता है इमरजेंसी दिक्कत लेकर  
तो उसे मजबूरन एसएमएस अस्पताल के मेडिसिन विभाग में होना पड़ता है भर्ती
क्योंकि इमरजेंसी सुविधा के अभाव में सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल में वे नहीं होते भर्ती

सुपर स्पेशिलिटी" ब्लॉक में इमरजेंसी सेवा शुरू नहीं करने के पीछे प्रशासन के पास कोई ठोस वजह नहीं है. यदि तीनों विभागों की बात की जाए तो स्थाई फैकल्टी के अलावा गेस्टोलॉजी में 24, नेफ्रोलॉजी में 15 और यूरोलॉजी में 30 डीएम स्टूडेंटस है. जिनके सहयोग से आसानी से इमरजेंसी की सेवा शुरू की जा सकती है.

"सुपर स्पेशिलिटी" के मरीजों को कब मिलेगी आपातकालीन सेवा ?
बात SMS अस्पताल में बनाए गए "सुपर स्पेशिलिटी" ब्लॉक से जुड़ी
स्पेशिलिटी" ब्लॉक में OPD-IPD के अलावा इमरजेंसी का भी था प्रावधान
ब्लॉक के ग्राउड फ्लोर पर ओपीडी के अलावा इमरजेंसी का था प्रावधान
लेकिन कॉलेज प्रशासन ने सिर्फ ओपीडी-आईपीडी की सेवा शुरू कर इतिश्री की
ऐसे में रोजाना काफी तादात में मरीज बन रहे इलाज के नाम पर फुटबाल
क्या कॉलेज प्राचार्य डॉ राजीव बगरहट्टा लेंगे मरीजों के दर्द पर प्रसंज्ञान ?

सुविधाएं अपार, इमरजेंसी का इंतजार !
बात SMS अस्पताल में बनाए गए "सुपर स्पेशिलिटी" ब्लॉक से जुड़ी
एयरकंडिशनर "सुपर स्पेशिलिटी" ब्लॉक में हर तरह की अत्याधुनिक सुविधाएं
ट्रोमा सेन्टर के ठीक बगल में बनाई गई है दस मंजिला भव्य इमारत
ब्लॉक के पहले फ्लोर पर हिपेटो पैंक्रियाटो बिलेरी डिपार्टमेंट की सेवाएं
दूसरी फ्लोर में गेस्ट्रो वार्ड, डॉक्टर्स चैम्बर,क्लास रूम,DDCकी सुविधा
तीसरी फ्लोर पर एण्डोस्कॉपी लैब, आठ बैड के गेस्टो आईसीयू के अलावा
एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक, अस्पताल अधीक्षक कक्ष, वेटिंग एरिया
चौथी फ्लोर पर यूरोलॉजी वार्ड, डॉक्टर्स चैम्बर,क्लास रूम,DDCकी सुविधा
पांचवी फ्लोर पर नेफ्रोलॉजी वार्ड, आईसीयू, डॉक्टर्स चैम्बर,DDCकी सुविधा
छठवीं फ्लोर पर डायलिसिस एरिया, पोस्ट-प्री ट्रांसप्लांट आईसीयू,
सोटो ऑफिस, रिनल लैब, एचएलए लैब की मिलेगी मरीजों को सेवाएं
सुपर स्पेशिलिटी" ब्लॉक में सातवीं फ्लोर पर मॉड्यूलर ओटी विकसित
लेकिन इतनी सुविधाओं के बावजूद इमरजेंसी के लिए मरीज चक्करघिन्नी

ऐसा नहीं है कि "सुपर स्पेशिलिटी" ब्लॉक में इमरजेंसी नहीं होने के चलते मरीजों को हो रही दिक्कतों की प्रबन्धन को खबर नहीं है. लेकिन शायद बड़े चिकित्सक खुद की सुविधाओं को मरीजों के दर्द से ज्यादा प्राथमिकताएं देते है. ऐसे में अब देखना ये होगा कि आखिर कब कॉलेज प्रशासन इस कुप्रबन्धन को खत्म करके मरीजों के दर्द पर ध्यान देगा.