विधानसभा में उठा राजस्थानी भाषा का मामला, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने उठाया मुद्दा; कमेटी गठित

जयपुर: विधानसभा में आज राजस्थानी भाषा को राजभाषा बनाने व तृतीय भाषा के रूप में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में जोड़ने का मुद्दा उठा. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने ध्यानाकर्षण के जरिए मामला उठाया. जवाब में शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि राज्य सरकार कई बार केंद्र से निवेदन कर चुकी है. अब तक 13 बार केंद्र को पत्र लिखा जा चुका है. 2003 में विधानसभा से संकल्प पारित करके भेजा जा चुका है. अब केन्द्र के स्तर पर फैसला होना है. केंद्र ने दूसरे राज्यो के प्रस्तावों को हाल ही मंजूरी दी है. कल्ला ने कहा कि सक्षम स्तर पर अनुमोदन के बाद बोर्ड में तृतीय भाषा के रूप में शामिल हो सकता है. 

उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने यह मामला उठाते हुए कहा  कि अन्य राज्यो ने आर्टिकल 345 का उपयोग करके अपने राज्य में राजभाषा बनाया है. राजस्थान में भी सरकार को इस तरह की व्यवस्था करनी चाहिए. राजस्थानी भाषा मे ढाई लाख शब्द है, यह दलगत बात नही है, यह सदन की भावना है. राजस्थान ऑफिसियल लेंग्वेज एक्ट 1956 में संशोधन लाकर इसे राजभाषा का दर्जा दिया जा सकता है. 

शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने गुरूवार को विधानसभा में कहा कि राजस्थानी भाषा को राजस्थान की द्वितीय राजभाषा घोषित करने के सम्बन्ध में भाषा राज्यमंत्री ने एक समिति के गठन का अनुमोदन किया है.  यह समिति छत्तीसगढ़ एवं झारखंड के मॉडल का अध्ययन कर वहां की तर्ज पर राजस्थानी भाषा को मान्यता देने के सम्बन्ध में रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी. वर्तमान में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अंतर्गत पाठ्यक्रम में राजस्थानी भाषा साहित्यिक विषय के रुप में शामिल है. सक्षम स्तर से अनुमोदन के बाद इसे तृतीय भाषा के रुप में शामिल किया जाना संभव होगा.

केन्द्र सरकार से समय-समय पर आग्रह किया जाता रहा:
गौरतलब है कि राजस्थानी भाषा को मान्यता देने एवं संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने के सम्बन्ध में राज्य विधानसभा के सभी सदस्यों द्वारा दिनांक 25 अगस्त 2003 को सर्वसम्मति से संकल्प पारित किया गया था. राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने के लिए केन्द्र सरकार से समय-समय पर आग्रह किया जाता रहा है. इस सम्बन्ध में वर्ष 2009, 2015, 2017, 2019, 2020 व 2023 में मुख्यमंत्रियों द्वारा केन्द्र सरकार को निवेदन किया गया है. शिक्षा मंत्र ने आज कहा कि इस सम्बन्ध में पक्ष-विपक्ष के सदस्यों को एकजुट होकर प्रधानमंत्री से मिलकर आग्रह करना चाहिए.