राजस्थान बाघों के लिए बनता जा रहा 'सेफस्थान', रणथंभौर में बाघिन टी 107 एक शावक के साथ दिखी; 2 महीने में 15 बाघ शावकों का हुआ जन्म

जयपुर: रणथंभौर से आज मिली खुशखबरी ने सुबह को खुशनुमा कर दिया. बाघिन टी 39 की बेटी 7 वर्षीय टी 107 कैमरा ट्रैप में एक शावक के साथ दिखाई दी. पिछले दो महीने में शावकों के साथ दिखने वाली यह तीसरी बाघिन है. इससे पहले 21 जून को टी 124 रिद्धि और 25 जुलाई टी 84 एरोहेड 3-3 शावकों के साथ दिखी थी. 

रणथंभौर के डीसीएफ मोहित गुप्ता ने बताया कि रणथंभौर टाइगर रिजर्व रेंज सवाई माधोपुर वन क्षेत्र में विचारण कर रही मादा बाघ T-107 की शावकों को जन्म देने की संभावना को देखते हुए बाघिन की नियमित ट्रैकिंग व मॉनिटरिंग की जा रही थी. आज कैमरा ट्रैप में T-107 का एक शावक के साथ कैमरा ट्रैप फोटो प्राप्त हुआ है. 

बाघिन T-107, T-39 की बेटी इसकी उम्र लगभग 7 वर्ष: 
बाघिन T-107, T-39 की बेटी है इसकी उम्र लगभग 7 वर्ष है. इसने तीसरी बार शावक को जन्म दिया है. फील्ड स्टाफ को कड़ी सुरक्षा एवं मॉनिटरिंग व ट्रैकिंग के लिए निर्देश दे दिए गए  हैं. इसके शावक होने की संभावना है. 

पिछले 2 महीने में 15 बाघ शावकों का जन्म हुआ:
आपको बता दें कि राजस्थान बाघों के लिए 'सेफस्थान' बनता जा रहा है. यहां पिछले 2 महीने में 15 बाघ शावकों का जन्म हुआ है. 21 जून को रणथंभौर में टी 124 रिद्दी 3 शावकों के साथ दिखी थी. उसके बाद 9 जुलाई को सरिस्का में एसटी 19 भी 2 शावकों के साथ दिखाई दी थी. 16 जुलाई को रामगढ़ विषधारी में RVT 2 अपने 3 शावकों के साथ दिखाई दी. उसके बाद 25 जुलाई को रणथंभौर में टी 84 एरोहेड़ 3 शावकों के साथ दिखी. 11 अगस्त को धौलपुर में टी 117 भी 3 शावकों के साथ दिखी. उसके बाद आज रणथंभौर में टी 107 एक शावक के दिखी. 

 

राजस्थान बाघों के लिए 'सेफस्थान' बन गया:
ऐसे में अब रणथंभौर में 77, सरिस्का में 30 और विषधारी में 6, मुकंदरा में 2 बाघों का विचरण है. वहीं धौलपुर में 5 और करौली में 3 बाघों का विचरण है. शानदार वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट, सर्विलांस और नियमित पेट्रोलिंग से राजस्थान बाघों के लिए 'सेफस्थान' बन गया है. मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, अरिंदम तोमर के शानदार नेतृत्व का नतीजा, FD आरएन मीणा, पी काथिरवेल, बीजो जॉय, DFO देवेंद्र जगावत, मोहित गुप्ता, संजीव शर्मा, अनिल यादव का टीम वर्क, पांचों रिजर्व में FD'S व पांचों DCF फील्ड में पेट्रोलिंग करते हैं. ऐसे में सचमुच प्रदेश में टाइगर टूरिज्म पर्यटकों व वन्यजीव प्रेमियों में क्रेज बढ़ रहा है.