राइट टू हेल्थ बिल विधानसभा में पारित, चिकित्सा मंत्री बोले- कई हॉस्पिटल है जो जनता के साथ चीटिंग करते हैं, हम उन पर कार्रवाई करेंगे

जयपुर: राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को प्रवर समिति द्वारा संशोधित राजस्थान स्वास्थ्य अधिकार (राइट टू हेल्थ बिल) विधेयक-2022 पारित कर दिया. स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने विधेयक पर हुई बहस का जवाब देते हुए कहा कि सरकार प्रदेश की जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है और यह विधेयक जनता के हित में है.  उन्होंने कहा कि ऐसी शिकायतें मिली हैं कि चिरंजीवी कार्ड होने के बावजूद कुछ निजी अस्पताल चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के मरीजों का इलाज नहीं करते हैं और इसलिए यह बिल लाया गया है. निजी डॉक्टरों के आंदोलन पर टिप्पणी करते हुए मंत्री ने कहा कि प्रवर समिति की रिपोर्ट में सभी सुझावों को स्वीकार किया गया है, चाहे वह समिति के सदस्य हों या चिकित्सक.

उन्होंने कहा कि चिकित्सक इस तथ्य के बावजूद आंदोलन कर रहे हैं कि उनके सुझावों को स्वीकार कर लिया गया है. यह उचित नहीं है. वे विधेयक को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, क्या यह उचित है? मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया. विधेयक को पिछले साल सितंबर में विधानसभा में पेश किया गया था लेकिन इसे प्रवर समिति के पास भेज दिया गया था. समिति ने अपनी रिपोर्ट दी और उसके अनुसार विधेयक में संशोधन किया गया और समिति द्वारा संशोधित विधेयक को आज पारित कर दिया गया.

मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि हमने तो कमेटियां बना दी है. अगर किसी की शिकायत है तो कमेटियां बनाई गई है. हम राइट टू हेल्थ में सभी की बात को शामिल कर रहे हैं. राइट टू हेल्थ आमजन का अधिकार है. मेरे पास कई बड़े-बड़े अस्पतालों की शिकायत आई है. यह बड़े-बड़े अस्पताल ही आंदोलन करवा रहे हैं. आप इनके बहकावे में मत आओ कई बड़े-बड़े हॉस्पिटल है करोड़ों के. अनेक हॉस्पिटल है जिन्हें सरकार ने रियायती दर पर जमीन दी है. आपकी सरकार ने भी दी है हमारी सरकार ने भी दी है. वह अस्पताल जनता के साथ चीटिंग करते हैं. एडवांस पैसा मांगते हैं चिरंजीवी कार्ड होने के बाद भी. 

मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि कई हॉस्पिटल है जो जनता के साथ चीटिंग करते हैं. हम उन पर कार्रवाई करेंगे. जिन्हें हमने कम कीमत पर जमीन दी है उन अस्पतालों को भी जोड़ेंगे. सरकार को डराने की कोशिश नहीं करें. डॉक्टर आंदोलन करिए कौन मना करता है? आपकी सब की समिति से सेलेक्ट कमेटी को भेजा गया था. फिर इसलिए बिल पास करवाना जनता के हित में है. हमारा तो इलाज हो जाएगा लेकिन गरीब का इलाज कौन करेगा?. मुख्यमंत्री गहलोत ने 500 वीसी ली. कोविड-19 होने के बाद भी वीसी ली है. मुख्यमंत्री गहलोत के मन में जनता का दर्द था. जनता का दर्द मिटाने के लिए ही हम राइट टू हेल्थ बिल लेकर आ रहे.

मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि हम बिल इसलिए लेकर आ रहे हैं कि किसी के पास चिरंजीवी कार्ड हो तो उसकी बात को माने. मुख्यमंत्री जी ने कह दिया है कि किसी के पास चिरंजीवी कार्ड नहीं है, तो कलेक्टर उसका कार्ड भी बनवाएगा और इलाज भी करवाएगा. हमारे चिरंजीवी योजना से जुड़े सभी अस्पताल शामिल रहेंगे. कई बार हमारे पास शिकायत आती है कि चिरंजीवी कार्ड होने के बाद भी इलाज नहीं किया जाता है कई बार. इसीलिए दिव्या मदेरणा धरने पर बैठी थी. कार्ड है तो ठीक है लेकिन कार्ड नहीं है तो कलेक्टर इलाज करवाएगा. इमरजेंसी भगवान राम पर आई थी. यदि इमरजेंसी में वैध नहीं मिलता तो लक्ष्मण के प्राण नहीं बचते.