VIDEO: जेएलएन मार्ग की 200 फीट पट्टी के अनसुलझे सवाल के समाधान की "राह", देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: राजस्थान की राजधानी जयपुर के जवाहरलाल नेहरू मार्ग की जिस बेशकीमती जमीन पर पिछले भाजपा राज में हरियाली विकसित की, उस भूमि को अब जेडीए निजी हाथों में देगा. क्या यह मामला इस मार्ग की 200 फीट पट्टी के अनसुलझे सवाल को भी सुलझाने की "राह" खोलेगा ? पूरा मामला जानने के लिए देखें फर्स्ट इंडिया न्यूज की ये खास खबर.यह मामला जवाहरलाल नेहरू मार्ग पर वर्ल्ड ट्रेड पार्क के सामने स्थित मौके की 23 हजार 633 वर्गगज भूमि का है. जवाहरलाल नेहरू मार्ग की दो सौ फीट पट्टी में शामिल यह भूमि अब इस पर दावा करने वाले पक्षकारों को जेडीए देगा. अपने पिछले कार्यकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के निर्देश पर जेडीए ने भूमि पर जमा गंदगी व कचरे के ढेर को हटाते यहां हरियाली विकसित की थी. जेडीए ने भूमि पर हरियाली विकसित करते हुए उस पर जॉगिंग ट्रेक भी बना दिया. जिस भूमि पर जेडीए ने हरियाली विकसित की, उस भूमि को अब निजी हाथों में आखिर क्यों दिया जाएगा ? 

जानिए, आखिर क्या है पूरा मामला?:
- जेडीए ने 9 सितंबर 2003 को ग्रीन फायर हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड को 17 हजार 433 वर्गगज भूमि आवंटित की थी
- जेडीए ने 25 सितंबर 2003 को इस फर्म को जेएलएन मार्ग की इसी दो सौ फीट पट्टी की 6200 वर्गगज भूमि भी आवंटित की
- 1 अक्टूबर 2003 को जेडीए ने कुल 23 हजार 633 वर्गगज भूमि का पट्टा भी फर्म को जारी कर दिया
- जय जवान कॉलोनी तृतीय की भूखंडधारी रतन प्रभा जैन व अन्य भूखंडधारियों ने जेडीए अपीलीय ट्रिब्यूनल में याचिका लगाई
- इस याचिका में इन भूखंडधारियों ने दो सौ फीट पट्टी की आवंटित 6200 वर्गगज भूमि खुद को आवंटित होना बताया
-जय जवान गृह निर्माण सहकारी समिति की ओर से यह भूमि आवंटित होना बताया
- जेडीए अपीलीय ट्रिब्यूनल ने 24 जनवरी 2006 को फैसला देकर भूमि के आवंटन के आदेश निरस्त कर दिए
- इसके खिलाफ फर्म ने हाईकोर्ट की एकलपीठ में याचिका दायर की
-हाईकोर्ट ने 7 फरवरी 2006 को आदेश जारी कर ट्रिब्यूनल के आदेश को स्टे कर दिया
-हाईकोर्ट ने मामले में 30 नवंबर 2016 को फर्म की रिट स्वीकार करते हुए अंतिम आदेश जारी किए
-तत्कालीन अतिरिक्त महाधिवक्ता ने इस हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ चुनौती देने के मामले में विधिक राय दी
-विधिक राय में कहा गया आदेश को हाईकोर्ट को खंडपीठ में चुनौती देने के लिए ठोस आधार नहीं हैं

इस प्रकरण में जय जवान गृह निर्माण सहकारी समिति की याचिका पर संभागीय आयुक्त ने 90 बी की कार्यवाही का आदेश निरस्त कर दिया था. इसके खिलाफ फर्म की याचिका पर हाईकोर्ट ने और जेडीए की याचिका पर राजस्व मंडल ने संभागीय आयुक्त के आदेश को स्टे कर दिया। इसके बाद मामला हाईकोर्ट की खंडपीठ तक गया. आपको बताते हैं कि मामले में आगे क्या रहा, क्यों इस पूरी 23 हजार 633 वर्गगज भूमि को निजी हाथों में दिया जाएगा और क्या यह मामला जेएलएन मार्ग की दो सौ फीट पट्टी के अनसुलझे सवाल का समाधान कर पाएगा.

क्या है पूरा मामला?:
-भूखंड आवंटन की मांग को लेकर रतन प्रभा जैन व अन्य भूखंडधारियों की याचिका हाईकोर्ट की खंडपीठ में लंबित थी
-इस मामले को लेकर ग्रीन फायर हॉस्पिटल, रतन प्रभा जैन व अन्य और जेडीए की बीच राजीनामा हुआ
-इस राजीनामे के अनुसार ग्रीन फायर हॉस्पिटल आवंटित भूमि में से 6200 वर्गगज भूमि देने के लिए सहमत हो गया
-6200 वर्गगज भूमि भूखंडधारी रतन प्रभा जैन व अन्य को देने के लिए सहमत हो गया
-इस राजीनामे के आधार पर हाई कोर्ट की खंडपीठ ने 9 सितंबर 2023 को आदेश जारी किए
-हाई कोर्ट ने जेडीए को ग्रीन फायर हॉस्पिटल को 17 हजार 433 वर्गगज भूमि का पट्टा देने के आदेश दिए
-साथ ही शेष 6 हजार 200 वर्गगज के पट्टे रतन प्रभा जैन व अन्य भूखंडधारियों को देने के आदेश दिए
-यह जमीन जेएलएन मार्ग की 200 फीट चौड़ी पट्टी में शामिल है
-इस मार्ग पर महावीर पार्क से लेकर जवाहर सर्किल तक यह 200 फीट चौड़ी पट्टी निर्धारित की गई है
-इस पट्टी में शामिल भूमि का भू उपयोग संस्थानिक व व्यावसायिक है 
-इस पट्टी में शामिल कई जमीनों को लेकर कई लोगों के दावे हैं,कुछ मामले अदालतों में भी लंबित है
-विशेषज्ञों की मानें तो जय जवान तृतीय कॉलोनी का यह मामला दूसरे अन्य मामलों के लिए नजीर बन सकता है
-इस दो सौ फीट के बरसों से अनसुलझे सवाल को हल करने के लिए नजीर बन सकता है.