रणथंभौर में टिकट बुकिंग में भ्रष्टाचार पर होगा कड़ा प्रहार, अब आम आदमी की पकड़ में होगी ऑनलाइन सफारी बुकिंग

जयपुरः रणथंभौर में ऑनलाइन बुकिंग को लेकर वन विभाग आमूल चूल परिवर्तन करने जा रहा है. एडवांस बुकिंग की अवधि 3 महीने करने, वेटिंग लिस्ट समाप्त करने, फर्जी वेबसाइटों को नियंत्रित करने, मोबाइल एप तैयार करने, नया सॉफ्टवेयर और डिफॉल्टरों पर सख्त कार्रवाई को लेकर वन विभाग नए सिरे से तैयारी कर रहा है. एडवांस बुकिंग की वर्तमान प्रणाली को 1 मई से बंद कर दिया जाएगा. विगत 8 अप्रैल को अतिरिक्त मुख्य सचिव अपर्णा अरोड़ा की अध्यक्षता में हुई बैठक में मिले सुझाव के आधार पर नई प्रक्रिया अपनाई जाएगी. एक रिपोर्ट 

रणथंभौर में ऑनलाइन टिकट बुकिंग और इससे संबंधित प्रणाली में लगातार भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही थी. यहां सफारी के लिए बुकिंग आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गई थी और कुछ बड़े समूह और यहां टिकट बुकिंग प्रणाली से पूरी तरह परिचित कुछ व्यक्ति विशेष मोटे दामों पर पर्यटकों को सफारी करवा रहे थे. ऐसे में अतिरिक्त मुख्य सचिव अपर्णा अरोड़ा ने विगत 8 अप्रैल को एक बैठक बुलाई जिसमें डीओआईटी सचिव आरती डोगरा, वन विभाग की विशेष सचिव मोनाली सेन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक व मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक पवन कुमार उपाध्याय, अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य जीव राजेश गुप्ता, रणथंभौर के फील्ड डायरेक्टर अनूप केआर, मुख्य वन संरक्षक वाइल्डलाइफ जयपुर टी मोहनराज, सरिस्का के फील्ड डायरेक्टर महेंद्र शर्मा वन विभाग के उप सचिव अशोक कुमार योगी, डीसीएफ आईटी अशोक जैन, रणथंभौर के डीसीएफ टूरिज्म प्रमोद कुमार धाकड़, डीसीएफ वाइल्डलाइफ जयपुर जगदीश गुप्ता और डीओआईटी के संयुक्त निदेशक दिनेश गुर्जर मौजूद थे. बैठक में मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) और क्षेत्र निदेशक, रणथंभौर टाइगर रिजर्व अनूप केआर ने वन्यजीव पर्यटन में ऑनलाइन बुकिंग की वर्तमान प्रणाली में पर्यटकों और अधिकारियों के सामने आने वाले विभिन्न मुद्दों पर एक प्रस्तुति दी. प्रस्तुतिकरण और उसके बाद की चर्चाओं के आधार पर, राज्य के लिए ऑनलाइन टिकटिंग प्रणाली को और बेहतर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. आई आपको ग्राफिक्स के माध्यम से देते हैं लिए गए निर्णय की जानकारी: 

- यात्रा की तारीख से तीन महीने पहले अग्रिम बुकिंग, वर्तमान प्रणाली 1 मई 2024 से हो सकती बंद
- भ्रष्टाचार रोकने के लिए ऑनलाइन बुकिंग में वेटिंग लिस्ट अब होगी बंद 
- मौजूदा प्रतीक्षा सूची के टिकट किए जाएंगे रद्द, उन्हें करंट बुकिंग में करेंगे शामिल
- टिकट बुक करने के लिए मूल वेबसाइट की तरह दिखने वाली कई फर्जी बुकिंग साइटें होंगी नियंत्रित
- DoIT वन विभाग की FMDSS साइट सबसे पहले दिखाई देने के करेगा इंतजाम
- पसंदीदा जिप्सी बुकिंग ऑनलाइन की जाएगी 
- टिकट कैंसिलेशन पर कम से कम समय में होगा रिफंड
- ऑनलाइन पर्यटक फीडबैक प्रणाली शुरू होगी, उपयोगी सुझावों को सिस्टम मेंहोंगे शामिल 
- रणथंभौर में हाफ डे/फुल डे सफारी कोटे की पांच जिप्सियों को लेकर सुझाव
- इन 5 जिप्सियों का कोटा एडवांस टिकट बुकिंग की ऑनलाइन प्रणाली में जोड़ने का सुझाव
- मौजूदा दरों से दोगुनी दर के साथ विशेष जिप्सी कोटा के रूप में जोड़ा जाने का सुझाव
. सामान्य सफारी समय में ऑनलाइन सिस्टम में जोड़ने का सुझाव
- ऑनलाइन टिकट में पर्यटकों की सुविधा के लिए एक मोबाइल ऐप विकसित किया जाएगा
- मोबाइल ऐप को पर्यटकों की यात्रा के पिछले दिन ई-चेक-इन का विकल्प प्रदान करेगा
- पर्यटकों को अपनी यात्रा की पुष्टि के लिए पिछले दिन रात 9 बजे तक चेक-इन करने का निर्देश
 - इस प्रणाली के लागू होने के एक महीने के बाद, गैर-चेक-इन टिकटों को रद्द माना जाएगा
- और उसे वर्तमान बुकिंग कोटा में उपलब्ध कराया जाएगा
- सफारी से एक दिन पहले पर्यटक द्वारा उपयोग के लिए चेक-इन सुविधा विकसित की जाएगी
- पुराने सफारी वाहनों को क्रमबद्ध तरीके से चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा
- हर साल 10% वाहनों को नये वाहनों से बदला जाएगा 
- सफारी वाहनों में जीपीएस सिस्टम चालू किया जाएगा
- ऑनलाइन बुकिंग प्रणाली आम जनता तक निर्बाध पहुंच के साथ आसानी से संचालित होगी
- डीओआईटी बहुत अधिक कीमतों पर टिकटों की बिक्री को रोकने पर लगाएगा लगाम
- आईपी पते, स्थान आदि के साथ बुकिंग के डेटा का विश्लेषण कर डिफॉल्टरों पर लगेगा प्रतिबंध 
- आमागढ़ को पर्यटन विभाग के समन्वय से इको ट्यूरिज्म के तौर पर करेंगे प्रचारित
- रद्द किए गए टिकटों का रिफंड रद्दीकरण के 90 दिनों के भीतर किया जाएगा. 

प्रदेश में यूं तो पांच टाइगर रिजर्व और झालाना, अमागढ़ सहित कई लेपर्ड रिजर्व हैं.. लेकिन रणथंभौर वाइल्डलाइफ टूरिज्म के लिहाज से 80 फीसदी पर्यटकों की मेजबानी करता है. यहां कुछ होटल समूह और बुकिंग सिस्टम से काफी हद तक फ्रेंडली हो चुके लोगों ने पूरे सिस्टम को ही जकड़ लिया था. यही कारण है कि यहां करीब ₹8000 में मिलने वाली जिप्सी कई मर्तबा तो 60 हजार से 1 लाख रुपए तक बिकने की शिकायत मिली. अब इस ऑनलाइन बुकिंग प्रक्रिया को पारदर्शी, भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए वन विभाग ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं. उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्दी ही वन विभाग अब डीओआईटी के सहयोग से इस प्रणाली को लागू कर आम पर्यटकों को राहत प्रदान करेगा. 
निर्मल तिवारी फर्स्ट इंडिया न्यूज़, जयपुर