न्यायिक प्रणाली में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से पारदर्शिता सुनिश्चित होती है- सुखविंदर सिंह सुक्खू

शिमला: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शनिवार को कहा कि न्यायिक प्रणाली में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से पारदर्शिता, उत्पादकता और कार्यक्षमता सुनिश्चित की जा सकती है. मुख्यमंत्री ने यहां ‘समकालीन न्यायिक विकास और कानून एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से न्याय को मजबूत बनाने’ पर उत्तरी क्षेत्र-द्वितीय क्षेत्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर यह बात कही.

उन्होंने न्यायपालिका सहित हर क्षेत्र में आम लोगों के जीवन को आसान बनाने में प्रौद्योगिकी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रौद्योगिकी को परिवर्तन लाने और न्याय प्रणाली को मजबूत करने में एक सहयोगी के तौर पर देखने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने यहां जारी एक बयान में कहा कि आधुनिक तकनीक के समावेश होने से न्यायपालिका के कामकाज में तेजी आई है और कोविड-19 महामारी के दौरान डिजिटल तरीके से सुनवाई सभी के लिए वरदान साबित हुई है, जिससे लोगों के पैसे और समय दोनों की बचत हुई है. उन्होंने कहा कि विश्वसनीय और त्वरित न्यायिक प्रणाली एक स्वस्थ और आत्मविश्वासी समाज के साथ-साथ देश के विकास के लिए आवश्यक है. सुक्खू ने कहा कि जब न्याय मिलता हुआ दिखता है तो संवैधानिक संस्थाओं में आम आदमी का विश्वास मजबूत होता है और कानून व्यवस्था में निरंतर सुधार संभव होता है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि न्याय वितरण में विलंब देश के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है और न्यायपालिका इस समस्या को हल करने के लिए गंभीरता से काम कर रही है. इससे पूर्व, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने कहा कि न्यायपालिका राज्य का एक महत्वपूर्ण स्तंभ होने के नाते संविधान को आकार देने और उसकी व्याख्या करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. गौरतलब है हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में उच्चतम न्यायालय, दिल्ली, पंजाब-हरियाणा, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालयों और अधीनस्थ अदालतों के करीब 160 न्यायाधीश हिस्सा ले रहे हैं. सोर्स- भाषा