VIDEO: वीरांगनाओं को मिला भाजपा संगठन का साथ, राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर हस्तक्षेप की मांग

जयपुर: पुलवामा हमले में शहीद हुए राजस्थान के जवानों की वीरांगना अपने हक के लिए पिछले 10 दिनों से धरने पर बैठी हैं.  सांसद किरोड़ी लाल मीणा के साथ धरने पर बैठी ​इन वीरांगनाओं को अब भाजपा संगठन का भी साथ मिला है. इन्हें न्याय दिलाने की मांग को लेकर उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के नेतृत्व में बीजेपी प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल कलराज मिश्र को ज्ञापन सौंपकर हस्तक्षेप की मांग की है. उसके बाद बीजेपी नेताओं ने धरना स्थल पहुंचकर वीरांगनाओ से मुलाकात की.

राठौड़ ने कहा कि पिछले 10 दिन से लगातार देश के लिए शहादत देने वाले शहीदों की वीरांगनाएं धरने पर बैठी हैं. अंत्येष्टि के समय पर घोषणावीर मंत्रियों ने कई घोषणाएं की थी. वीरांगनाओ की एक ही मांग है कि मंत्रियों ने जो घोषणाएं की, उनको अमलीजामा पहनाया जाए. मगर इनके साथ पुलिस ने अमानवीय व्यवहार किया. यह शहीदों का अपमान है. राठौड़ ने कहा कि खुद आगे बढ़कर सरकार के मंत्रियों ने घोषणा की और अब मुकर गए. यह उन वीर शहीदों का अपमान है. मंत्रियों को अगर नियम कानूनों की जानकारी मंत्रियों को नहीं थी तो उन्होंने यह घोषणा क्यों की. दर्जनों मौके ऐसे आए जब कानूनों में शिथिलता देकर नौकरियां दी गई हैं.

बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि शर्म की बात है कि जब वीरांगनाएं मुख्यमंत्री से मिलने के लिए गई तो उनको सड़क पर पटक पटक कर पीटा गया. आज राज्यपाल के सामने सारा विषय रखा है. वो राजस्थान के संवैधानिक प्रमुख हैं. जिसके नात राज्यपाल सैनिक कल्याण मंत्री और वीरांगनाओं को बुलाकर अपनी उपस्थिति में इस विषय पर जो घोषणाएं की है उनको पूरा करने की बात करें. चतुर्वेदी ने कहा कि राजस्थान वीरों की धरती है. सबसे ज्यादा शहादत राजस्थान के जवानों ने दी है. वीरांगनाओ के सामने हम सबके सिर झुक जाते है प्रदेश का प्रत्येक नागरिक वीरांगनाओं के साथ खड़ा है.
प्रदेश मुख्य प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने कहा कि सरकार ने वीरांगनाओं का अपमान करके शहीदों का अपमान किया है. बीजेपी विधायक अशोक लाहोटी ने कहा कि राजस्थान की 8 करोड़ की जनता शर्मसार है. जो खून की होली खेलकर शहीद हुए, आज सरकार ने उनके परिवार होली खेलने से वंचित किया है. सरकार को हठधर्मिता छोड़कर वीरांगनाओं की छोटी-छोटी मांगों को तुरंत प्रभाव से पूरा करना चाहिए. 

राज्यपाल ने भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर पूरे मामले में कार्यवाही की मांग कर डाली है और देखना यह होगा कि राज्यपाल का प्रेशर कितनी जल्दी से गतिरोध को खत्म करवाता है. और दोनों पक्षों की आपसी सहमति बनती है क्योंकि इन वीरांगनाओं की कुछ मांगों में नियम और प्रक्रियाओं का भी प्रोसेस है.