VIDEO: राजस्थान में गहलोत सरकार के 4 साल बेमिसाल, कैसे लोगों की जीवनदायिनी बनी चिरंजीवी योजना, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की निरोगी राजस्थान की सोच ने प्रदेश को वाकई चिरंजीवी कर दिया है. जी हां,,, ’यूनिवर्सल हैल्थ कवरेज’ की ओर कदम बढाते हुए मुख्यमंत्री ने प्रदेश में चिरंजीवी योजना लागू की इस योजना के लागू होने के बाद राजस्थान देश के हैल्थ इंडेक्स में तीन पायदान उपर चढ गया. प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य में भी जोरदार सुधार देखने को मिला. हर परिवार का 10 लाख रुपए तक के फ्री इलाज की यह योजन देश और कहीं नहीं है. 

हनुमानगढ़ निवासी अनिल अरोड़ा को जब अपने 10 साल  के बेटे सात्विक को कैंसर होने का पता चला, तो लगा कि जैसे उनके जीवन का आधार ही चला गया. वे बताते हैं कि अलग अलग अस्पतालों में बच्चे के कैंसर का इलाज करवाया. वे इलाज के लिए पंजाब और फिर  दिल्ली भी गए. दो महीने में ही 10 -15 लाख खर्च हो गए, फिर भी इलाज नहीं हो पाया. इसके बाद गहलोत सरकार की चिरंजीवी योजना के बारे में सुना, तो फिर उन्होंने सबसे पहले जनाधार बनाया. जनाधार के बाद उनके बेटे का राज्य कैंसर संस्थान में चिरंजीवी योजना के तहत इलाज शुरू हुआ. अनिल अरोड़ा व उनकी पत्नी कहती है कि यहां पर बेहतर सुविधाएं हैं, जिसके बाद अब बच्चा रिकवर हो रहा है. बच्चे की सभी जांचें और इलाज भी निःशुल्क हुई हैं. वे मुख्यमंत्री का लाख-लाख धन्यवाद करते हुए कहते हैं कि उन्होंने यह पहल कर पूरे राज्य का भला कर दिया है.

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की यह इच्छा रही कि हर आंख का आंसू पोंछ दिया जाये. जब तक आंसू और दर्द है, हमारा काम समाप्त नहीं होगा.’ बापू की इसी मंशा को साकार करने के लिए राज्य सरकार ने बजट घोषणा 2021-22 में ’यूनिवर्सल हैल्थ कवरेज’ को प्रदेश में लागू करने की घोषणा की है जिसकी अनुपालना में दिनांक 1 मई 2021 से प्रदेश में मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरूआत की गई. प्रदेश के समस्त नागरिकों को चिकित्सा पर लगने वाले बड़े खर्चो से मुक्त कर उत्तम स्वास्थ्य की प्रतिबद्धता से इस योजना को लाया गया है ताकि तकलीफ एवं गंभीर बीमारी के ईलाज में पैसे की कोई बाध्यता नहीं हो. 1 मई 2021 को जब यह योजना लागू की गई थी तब इसके तहत पांच लाख रुपए तक का ही बीमा था. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसका दायरा 1 अप्रैल 2022 को बढ़ा दिया और अब प्रदेश के सभी परिवारों को सरकारी एवं निजी अस्पतालों में दस लाख रुपए तक का फ्री इलाज व पांच लाख रुपए का दुर्घटना मृत्यु बीमा कराया जा रहा है.

अंग प्रत्यारोपण एवं इम्प्लांट के लिए चिरंजीवी योजना में विशेष प्रावधान किए गए हैं. अंग प्रत्यारोपण यानी लिवर और किडनी आदि के ट्रांसप्लांट का खर्च ट्रस्ट मोड पर राज्य सरकार द्वारा उठाया जाएगा इसका सीधा सा अर्थ है कि अंग प्रत्यारोपण की स्थिति में चिरंजीवी योजना के दस लाख रुपए के स्वास्थ्य बीमा की सीमा से कोई कटौती नहीं होगी. अंग प्रत्यारोपण का खर्च राज्य सरकार अलग से उठाएगी. चिरंजीवी योजना में अस्पताल में भर्ती होने के 5 दिन पहले और अस्पताल से छुट्टी होने के 15 दिन बाद तक की दवाई भी निशुल्क उपलब्ध कराई जाती है. चिरंजीवी योजना से प्रदेश के लोगों को किस तरह लाभ मिला है इसकी बानगी हम इन दो केस स्टडी से बता रहे हैं.

दीया कुमारी के दिल का हुआ ऑपरेशन
बारां शहर के तेल फैक्ट्री क्षेत्र निवासी 8 वर्षीय बालिका दीया कुमारी को चलने में परेशानी होती थी और वह काफी बीमार रहती थी. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत बालिका दिया कुमारी की स्क्रीनिंग पर पता चला कि उसके दिल में छेद है जिसके कारण में बीमार रहती है और दिल के ऑपरेशन से वह फिर से ठीक हो सकती है. दीया कुमारी के पिता जगदीश कुमार आर्थिक रूप से सक्षम नहीं थे. इस पर उनको चिरंजीवी योजना का लाभ लेने के लिए प्रेरित किया गया. इस बालिका को 30 अप्रैल 2022 को भारत विकास परिषद के अस्पताल कोटा में भर्ती कराया गया मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत बालिका का सफल व निशुल्क ऑपरेशन किया गया. ऑपरेशन के बाद दिया कुमारी पूर्ण स्वस्थ हो गई और उसे अस्पताल से 9 मई 2022 को डिस्चार्ज किया गया. बालिका के पिता जगदीश कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत निशुल्क ऑपरेशन हुआ और उन्हें अपनी जेब से कोई राशि खर्च नहीं करनी पड़ी

जामद सिंह ने पाई गले के कैंसर से निजात
सिरोही निवासी 55 वर्षीय जामद सिंह के गले में काफी समय से दर्द हो रहा था. सिरोही के निजी अस्पताल में दिखाया, लेकिन तबीयत में सुधार नहीं हुआ उनके पुत्र गणपत सिंह ने अपने पिता को गीतांजलि अस्पताल लाने का फैसला किया. यहां आने पर पता चला कि जामद सिंह के गले में बड़े-बड़े लिंफ नोड्स है . यह देखते हुए उनके गले का तुरंत पेट सीटी स्कैन ब्रोंकोस्कॉपी व  लैरिंगोस्कोपी जांचें फ्री की गई. जांच से पता चला कि रोगी को गले का कैंसर है, ऐसे में तुरंत ऑपरेशन होना जरूरी था. कैंसर सर्जन डॉ आशीष जाखेतिया ने बताया कि जब रोगी के परिवार को कैंसर की जानकारी दी, तो वह घबरा गए. जामद सिंह व उसके पुत्र मजदूरी करके मुश्किल से दो वक्त का खाना खा पाते हैं ऐसे में ऑपरेशन करवाना संभव नहीं है, लेकिन जब उनको मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना के बारे में बताया तो वे ऑपरेशन के लिए तैयार हुए. इस योजना के अंतर्गत ही डॉ आशीष व अजय यादव तथा उनकी टीम ने निशुल्क ऑपरेशन किया. ऑपरेशन के बाद सफलतापूर्वक रोगी के गले से ट्यूमर को निकाल दिया. रोगी अब स्वस्थ है अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है.

ओमप्रकाश के दोनों घुटनों का हुआ प्रत्यारोपण
भीलवाड़ा निवासी ओम प्रकाश सेन पिछले 15 वर्षों से घुटनों के दर्द से पीड़ित थे 2 वर्ष तक बिस्तर पर रहे. डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि दोनों ही घुटनों का प्रत्यारोपण होगा . दोनों घुटनों के प्रत्यारोपण में खर्चा बहुत अधिक था और घरेलू परिस्थितियों के कारण ऑपरेशन करवाना संभव नहीं हो रहा था. ऐसे में गीतांजलि एडवांस ज्वाइंट रिप्लेसमेंट एंड ऑर्थोपेडिक सेंटर में मुख्यमंत्री चिरंजीव योजना के तहत डॉ राम अवतार सैनी ने उनका निशुल्क घुटना  प्रत्यारोपण किया अब ओमप्रकाश पूरी तरह स्वस्थ है और बिना किसी सहारे के आराम से चल रहा है. ओम प्रकाश सेन मुख्यमंत्री द्वारा लागू की गई चिरंजीवी योजना की बदौलत आज अपना सामान्य जीवन जी पा रहा है.

भारत के किसी भी अन्य राज्य में इस प्रकार की योजना लागू नहीं है. दुनिया भर में चिरंजीवी योजना संभवत ऐसा पहला प्रयोग है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि अच्छा स्वास्थ्य व अच्छी शिक्षा देना सरकार का काम है. पैसे के अभाव में किसी को इलाज न हो, इससे बुरी बात किसी सरकार के लिए क्या हो सकती है. इसीलिए राजस्थान सरकार ने फैसला किया है कि 10 लाख रुपए तक का इलाज फ्री होगा. अब आइये आपको बताते है कि कैसे इस योजना का लाभ उठाया जा सकता है.  योजनार्न्तगत पात्र परिवार दो प्रकार की श्रेणियों में विभक्त किया गया है-
पहला निःशुल्क लाभ प्राप्त करने वाली श्रेणी राज्य सरकार द्वारा निर्धारित ऐसी श्रेणी के पात्र परिवारों के प्रीमियम का 100 प्रतिशत भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है. वर्तमान में खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अर्न्तगत पात्र परिवार, सामाजिक आर्थिक जनगणना 2011 के पात्र परिवार, राज्य के सरकारी विभागों/बोर्ड/निगम/सरकारी कम्पनी में कार्यरत संविदा कार्मिक, लघु सीमांत कृषक एवं गत वर्ष कोविड-19 अनुग्रह राशि प्राप्त करने वाले निराश्रित एवं असहाय परिवार निःशुल्क श्रेणी में सम्मिलित है.

दूसरी श्रेणी है  850 रुपए प्रति परिवार प्रति वर्ष का भुगतान कर लाभ प्राप्त करने वाली श्रेणी, राज्य के वें परिवार जो निःशुल्क पात्र परिवारों की श्रेणी में नही आते एवं सरकारी कर्मचारी/पेंशनर नही है तथा मेडिकल अटेंडेंस रूल्स के तहत् लाभ नहीं ले रहे है वें निर्धारित प्रीमियम का 50 प्रतिशत यानी 850 रुपए प्रति परिवार प्रति वर्ष का भुगतान कर योजना का लाभ ले सकते है. प्रीमियम का शेष 50 प्रतिशत भाग सरकार द्वारा वहन किया जायेगा.  शहरी इलाकों में तो इस योजना की जानकारी आमजन को है लेकिन ग्रामीण इलाके में सरकार जन जन तक योजना को पहुंचाने की कोशिश में है. जयपुर के मोहम्मद इकबाल कहते है योजना बेहतरीन है, बस इसकी बेहतरीन ही मॉनिटरिंग की जरूरत है.
चिरंजीवी योजना राजस्थान में तो लागू हो गई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चाहते है कि यह योजना पूरे देश में लागू हो, इसके लिए वे कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपील भी कर चुके है. अशोक गहलोत अपने पहले कार्यकाल में मुफ्त दवा योजना लेकर आए थे. दूसरे कार्यकाल में गहलोत मुफ्त जांच योजना भी लेकर आए. सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा और मुफ्त इलाज के प्रदेश के करोड़ों लोगों ने इसका लाभ उठाया. ये योजनाएं देशभर में चर्चित रही और कई राज्यों के अधिकारी इन योजनाओं के बारे में जानकारी लेने के लिए राजस्थान आए थे. इस कार्यकाल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चिरंजीवी योजना लेकर आए हैं. 

गरीब को गणेश मानकर योजनाएं लान्च करने वाली गहलोत सरकार स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए  नवाचार करने में अग्रणीय रही है. चिरंजीवी योजना स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी साबित हुई है. अब तक 28 लाख लोगों को 3100 करोड़ रुपए से अधिक का इलाज उपलब्ध कराया गया है. देश भर में इस योजना की चर्चा भी है. बस जरूरत इस बात की है कि शहरों की तरह गांवों में भी घर घर इस योजना की चर्चा हो जाए. इसमें अधिकारियों के साथ ही जन प्रतिनिधियों की भूमिका सबसे अहम रहने वाली है. माना जा रहा है कि जनता को चिरंजीवी रखने वाली यह  योजना अगले चुनाव में गहलोत सरकार को भी चिरंजीवी रख सकती है.