नई दिल्ली: 82वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संबोधित करते हुए कहा कि देश के विकास में राज्यों की अहम भागीदारी है. पीएम मोदी ने कहा कि भारत के लिए लोकतंत्र सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है. लोकतंत्र तो भारत का स्वभाव है, भारत की सहज प्रकृति है. हमें आने वाले वर्षों में, देश को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाना है, असाधारण लक्ष्य हासिल करने हैं. ये संकल्प सबके प्रयास से ही पूरे होंगे और लोकतंत्र में, भारत की संघीय व्यवस्था में जब हम सबका प्रयास की बात करते हैं तो सभी राज्यों की भूमिका उसका बड़ा आधार होती है. चाहे पूर्वोत्तर की दशकों पुरानी समस्याओं का समाधान हो.
पीएम मोदी ने कहा कि दशकों से अटकी-लटकी विकास की तमाम बड़ी परियोजनाओं को पूरा करना हो. ऐसे कितने ही काम हैं जो देश ने बीते सालों में किए हैं, सबके प्रयास से किए हैं.अभी सबसे बड़ा उदाहरण हमारे सामने कोरोना का भी है. उन्होंने कहा कि हमारे सदन की परम्पराएं और व्यवस्थाएं स्वभाव से भारतीय हो. हमारी नीतियां, कानून भारतीयता के भाव को, एक भारत, श्रेष्ठ भारत के संकल्प को मजबूत करने वाले हों.
पीएम मोदी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण, सदन में हमारा खुद का भी आचार-व्यवहार भारतीय मूल्यों के हिसाब से हो. ये हम सबकी ज़िम्मेदारी है. हमारा देश विविधताओं से भरा है. अपनी हजारों वर्ष की विकास यात्रा में हम इस बात को अंगीकृत कर चुके हैं कि विविधता के बीच भी, एकता की भव्य और दिव्य अखंड धारा बहती है. पीएम मोदी ने कहा कि एकता की यही अखंड धारा, हमारी विविधता को संजोती है, उसका संरक्षण करती है. क्या साल में 3-4 दिन सदन में ऐसे रखे जा सकते हैं, जिसमें समाज के लिए कुछ विशेष कर रहे जनप्रतिनिधि अपना अनुभव बताएं, अपने समाज जीवन के इस पक्ष के बारे में भी देश को बताएं.
आप देखिएगा, इससे दूसरे जनप्रतिनिधियों के साथ ही समाज के अन्य लोगों को भी कितना कुछ सीखने को मिलेगा. पीएम मोदी ने कहा कि नए सदस्यों को सदन से जुड़ी व्यवस्थित ट्रेनिंग दी जाए. सदन की गरिमा और मर्यादा के बारे में उन्हें बताया जाए. हमें सतत संवाद बनाने पर बल देना होगा. राजनीति के नए मापदंड भी बनाने ही होंगे. इसमे आप सभी भारतीय पीठासीन अधिकारियों की भूमिका भी बहुत अहम है.