ब्यावर: कहते है ना जहां चाह होती है वहां राह होती. अगर इंसान अपने ईरादों को मजबूत कर ले तो फिर असंभव कुछ भी नहीं है. इसी कहावत को चरितार्थ किया है निकटवर्ती ग्राम लसानी प्रथम निवासी शकरूद्दीन पुत्र बीरम ने. अपने घर से दूर पश्चिम बंगाल में खाने-कमाने के लिए गए गए शकरूद्दीन के सामने लॉकडाउन के दौरान खाने-पीने का संकट पैदा हुआ तो उसने वापस अपने घर लौटने की ठानी, लेकिन साधन नहीं मिलने कारण हौंसला टूटने लगा. लेकिन शकरूद्दीन ने हिम्ममत नहीं हारी और अपने कुछ साथियों के साथ निकल पड़ा साइकिल पर.
एक माह में पूरा किया सफर:
करीब 16 सौ किलोमीटर का सफर एक माह में पूरा करने के बाद शकरूद्दीन सोमवार को अपने गांव पहुंचा. लेकिन कोरोना संक्रमण के देखते हुए वह अपने घर जाने से पहले कोरोना जांच करने के लिए राजकीय अमृतकौर चिकित्सालय पहुंचाया जहां पर उपस्थित नर्सिगकमियों ने जांच करने के बाद उसकी सजगता को देखते हुए उसका माला पहनाकर स्वागत किया. मालूम हो कि लसानी प्रथम निवासी शकरूद्दीन पश्चिम बंगाल के मलरपुर गांव में इलेक्ट्रिशियन का काम करने लिए होली के बाद पहुंचा था. लेकिन थोडे ही दिनों बाद लॉक डाउन के कारण उसके सामने रोजी-रोटी का संकट खडा हो गया.
ऐसे पहुंचा पश्चिमी बंगाल से ब्यावर:
काफी दिनों तक स्थिति में सुधार होने की उम्मीद में वक्त बिताया,लेकिन इस दौरान खाने-पीने के लाले पडने लगे. इसके बाद शकरूद्दीन विगत 8 मई को अपने दिल्ली, आगरा, जयपुर और अजमेर के 15 साथियों के साथ साइकिल पर ही घर के लिए यात्रा शुरू की. शकरूद्दीन के अनुसार यात्रा के दौरान साइकिल पिंचर, मरममत तथा खाने-पानी व पकानें की सारी सामग्री साथ थी. ठीक माह के लंबे सफर के बाद सोमवार को जब शकरूद्दीन ब्यावर पहुंचा तो घर जाने से पहले वह साइकिल सहित कोरोना जांच के लिए एकेएच पहुंचा. जहां पर डा. राकेश बिरानियां,राजेन्द्र ग्वाला, सुरेश जेसवानी, गार्ड सन्तू शर्मा, गुलशन मैडम, विजय दायमा, लक्ष्मण सैनी तथा सलीम आदि ने उसका माला पहनाकर स्वागत किया.
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