VIDEO: ADG क्राइम ने NCRB के निदेशक को वार्षिक अपराध आंकड़ों को लेकर भेजे कई सुझाव, देखिए ये खास रिपोर्ट 

जयपुर: इस बार जारी हुई NCRB की रिपोर्ट में राजस्थान रेप के मामलों में नंबर एक पर रहा है.इस रिपोर्ट के बाद प्रदेश में माहौल खूब गर्म हुआ.अब ADG क्राइम रविप्रकाश ने NCRB के निदेशक को वार्षिक अपराध आंकड़ों को लेकर कुछ सुझाव भेजे है. NCRB की वार्षिक अपराध रिपोर्ट में इस बार वर्ष 2021 में राजस्थान को बलात्कार के मामलों में नंबर एक बताया है. इस रिपोर्ट के बाद पूरे देश में यह माहौल बना क़ि राजस्थान में महिलाओं से जुड़े अपराध सबसे अधिक हो रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी ने भी पुलिस और सरकार पर सवाल उठाए. खुद मुख्यमंत्री को मीडिया के सामने आ कर यह कहना पड़ा क़ि प्रदेश की इमेज को ख़राब करने के लिए ऐसा किया जा रहा है. 

मुख्यमंत्री गहलोत ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने प्रदेश में एफ़आईआर को अनिवार्य किया है इसलिए भी अपराधों का आँकड़ा बढ़ा है. पुलिस मुख्यालय ने भी इस पर सफाई देते हुए कहा था कि प्रदेश में रेप से जुड़े मामले दर्ज हो रहे हैं उनमें से क़रीब 40 प्रतिशत मामले झूठे दर्ज हो रहे हैं.अब NCRB की वार्षिक रिपोर्ट को लेकर पुलिस मुख्यालय ने NCRB के निदेशक को पत्र लिखकर कुछ सुझाव भेजे हैं. पुलिस मुख्यालय का मानना है कि अगर NCRB की रिपोर्ट में उनके अभी भेजे सुझाव लागू होते तो रेप के मामलों में राजस्थान टॉप पर नहीं होता. ADG क्राइम रवि प्रकाश मेहरडा ने यह सुझाव NCRB निदेशक को भेजे हैं. ADG रवि प्रकाश का मानना है अगर उनके भेजे सुझावों को NCRB स्वीकार करेगी तो वार्षिक अपराध के आँकड़ों में और पारदर्शिता आएगी.

ADG रवि प्रकाश ने NCRB को जो सुझाव भेजे हैं उनमें प्रमुख रूप से दुष्कर्म और पोक्सो को लेकर सुझाव भेजे गए हैं. ADG ने अपने सुझावों में लिखा है कि मौजूदा रिपोर्ट में दुष्कर्म के प्रकरणों को आयु के अनुसार 2 शीर्षकों में विभाजित किया गया है.18 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाएँ और 18 वर्ष से कम उम्र की महिलाएं. इसके अतिरिक्त पोक्सो एक्ट की धारा 4 और 6 में बच्चों के साथ होने दुष्कर्म का शीर्षक भी रखा गया है. दुष्कर्म के 2 शीर्षकों में से एक शीर्षक 18 वर्ष से कम आयु की बालिकाओं के साथ दुष्कर्म पोक्सो एक्ट में ही दर्ज किया जाता है.ऐसे में 18 वर्ष से कम आयु की बालिकाओं के साथ दुष्कर्म एवं पोक्सो एक्ट में दुष्कर्म एक होते हुए भी अलग अलग प्रकाशित किए जाते हैं जिससे भ्रम की स्तिथि रहती है.

जानिए, ADG क्राइम ने NCRB को क्या सुझाव भेजे हैं?

दुष्कर्म की 2 श्रेणियों के आंकड़ों के लिए यह होने चाहिए कॉलम

1-18 साल और उससे अधिक उम्र की महिलाओं की साथ दुष्कर्म

2-18 साल से कम उम्र की बालिकाओं के साथ दुष्कर्म, पोक्सो एक्ट में धारा 4 और 6

3-दोनों श्रेणियों को मिलाकर कुल दुष्कर्म के आँकड़े भी प्रकाशित करने चाहिए

इसके अलावा भी ADG क्राइम ने NCRB को कई महत्वपूर्ण सुझाव भेजे हैं:

1-NCRB को आँकड़ों में राज्यवार विभिन्न श्रेणियों के अपराधों के रजिस्ट्रेशन के साथ ही राज्यवार निस्तारण जैसे एफ़आर,चालान, लंबित अनुसंधान और सजा के आँकडें भी जारी करने चाहिए. 

2-क्राइम इन इंडिया के लिए आँकड़े सभी राज्यों से अलग अलग लेने की बजाय इन आंकड़ों को सीधे CCTNS से लेना चाहिए.इससे आँकड़ों की विश्वसनीयता बढ़ेगी और प्रकाशन में समय भी कम लगेगा.

3-वर्तमान में क्राइम इन इंडिया में वही विश्लेषण उपलब्ध है जो कि NCRB की ओर से ही प्रकाशित हो रहे हैं,अगर क्राइम इन इंडिया का एनालिटिकल डैशबोर्ड उपलब्ध करा दिया जाए तो बेहतर विश्लेषण हो सकता है.

4-क्राइम इन इंडिया में मोटर वाहन अधिनियम से जुड़े आकंडे प्रकाशित होने चाहिए,जिसमें कुल दुर्घटनाएं,कुल घायल,मृतक,इन्हीं श्रेणियों का राष्ट्रीय और राज्यवार मार्गवार विश्लेषण होना चाहिए.