ईटानगर Arunachal Pradesh: भालुओं के शावकों को जंगल में छोड़ने के लिए किया जा रहा तैयार

Arunachal Pradesh: भालुओं के शावकों को जंगल में छोड़ने के लिए किया जा रहा तैयार

Arunachal Pradesh: भालुओं के शावकों को जंगल में छोड़ने के लिए किया जा रहा तैयार

ईटानगर: रूमा, अनुष्का, गुऐंग, काला और कैली हर रोज सुबह अरूणाचल प्रदेश के पाक्के बाघ अभयारण्य (PTR) के जंगल में घूमने जाते हैं, वहां वे खेलते हैं, लड़ते हैं, पेड़ों पर चढ़ते, फल और कीड़े खाते हैं और खूब मजे करने के बाद ‘घर’ लौट जाते हैं. ये पांच नन्हे एशियाई भालू बिना मां के शावक हैं जिन्हें अरूणाचल प्रदेश के वन विभाग ने इस वर्ष पूर्वोत्तर राज्य के विभिन्न हिस्सों से बचाया था और भारतीय वन्यजीव न्यास (WTI) के तहत आने वाले सेंटर फॉर बियर रिहेबिलिटेशन ऐंड कंजर्वेशन (CBRC) की देखरेख में रखा.

वन विभाग के अनुभवी कर्मचारी अपने शिविर से इन नन्हे भालुओं को लेकर जंगल में रोज जाते हैं, यह इन प्राणियों को जंगल में छोड़ने की योजना का एक हिस्सा है और इसी के लिए उन्हें तैयार किया जा रहा है. सीबीआरसी के प्रमुख पणजीत बसुमंतारी ने बताया कि वॉक द बियर कार्यक्रम भालुओं के अनाथ शावकों को जंगल के जीवन के प्रति अभ्यस्थ करने के लिए है जहां अनुभवी कर्मचारी उन्हें इस जीवन के लिए आवश्यक विधाएं सिखाने में मदद करते हैं. बसुमंतारी ने बताया कि इस कार्यक्रम के दौरान छोटे भालुओं ने भोजन तलाशना सीखा, इससे उनमें जंगल के अनुरूप प्रवृत्ति भी विकसित हुई.

जब नन्हे भालू कर्मचारियों की बात मानने, शिविर में लौटने के इच्छुक नहीं होंगे तब उन्हें माइक्रोचिप और रेडियो कॉलर लगा कर जंगल में छोड़ दिया जाएगा. यदि वे अपने पिंजरों में नहीं लौटेंगे तो उन्हें जंगली मान लिया जाएगा. बसुमंतारी ने कहा कि उसके बाद भी इन भालुओं पर छह महीने तक नजर रखी जाएगी. अब तक जंगल में भालुओं के 44 बच्चों को छोड़ा गया है, केवल एक को ईटानगर के चिड़ियाघर भेजा गया. एशियाई भालुओं के लिए पुनर्वास कार्यक्रम कई वर्षों पहले शुरू हुआ था. सोर्स- भाषा

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