चंडीगढ़: किसानों ने सोमवार को पंजाब में कई स्थानों पर राजमार्ग और अन्य सड़कें जाम कीं. पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने कहा है कि वह केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान यूनियनों के भारत बंद के आह्वान पर उनके साथ दृढ़ता से खड़ी है.
पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी सिरसा, फतेहाबाद और कुरुक्षेत्र सहित कुछ स्थानों पर राजमार्गों को प्रदर्शनकारियों द्वारा अवरुद्ध किए जाने की खबरें हैं. दोनों राज्यों में कुछ स्थानों पर किसानों के रेल पटरियों पर बैठने की भी खबरें हैं. पंजाब में मोगा सहित कई स्थानों पर पूर्ण बंद का असर दिखा, जहां किसानों ने मोगा-फिरोजपुर और मोगा-लुधियाना राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया. सूत्रों ने बताया कि बठिंडा-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग को भी किसानों ने अवरुद्ध कर दिया.
सीएम चन्नी ने किया ट्वीट:
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने केंद्र से कि किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने का आग्रह किया है. चन्नी ने ट्वीट किया कि मैं किसानों के साथ खड़ा हूं और केंद्र सरकार से किसान विरोधी तीन कानूनों को निरस्त करने की अपील करता हूं. हमारे किसान एक साल से अधिक समय से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं और अब समय आ गया है कि उनकी आवाज सुनी जाए। मैं किसानों से शांतिपूर्ण तरीके से अपनी आवाज उठाने का अनुरोध करता हूं.
#IStandWithFarmers & appeal the Union Govt. to repeal the three anti farmer laws. Our farmers have been struggling for their rights since more than a year & it is high time that their voice is heard. I request the farmers to raise their voice in a peaceful manner. pic.twitter.com/R1VZ5gowIc
— Charanjit S Channi (@CHARANJITCHANNI) September 27, 2021
नवजोत सिंह सिद्धू ने किया ट्वीट:
कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PPCC) भारत बंद के लिए किसान यूनियन के साथ है. सिद्धू ने ट्वीट किया कि पीपीसीसी 27 सितंबर 2021 को किसान यूनियनों के भारत बंद के आह्वान पर उनके साथ मजबूती से खड़ी है. सही और गलत की जंग में आप तटस्थ नहीं रह सकते, हम कांग्रेस के हर कार्यकर्ता से असंवैधानिक तीन काले कानूनों के खिलाफ अपनी पूरी ताकत से लड़ने का आग्रह करते हैं.
Punjab Pradesh Congress Committee firmly stands by Farmer Unions demand for Bharat Bandh on 27 Sept 2021. In the war of right and wrong you can not afford to be neutral !! We urge every Congress worker to fight with all their might against the three Unconstitutional Black Laws !!
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) September 26, 2021
हरियाणा में विरोध कर रहे किसानों ने चरखी दादरी में राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया, जबकि कुरुक्षेत्र में भी कई सड़कों को बाधित किया गया. हरियाणा पुलिस ने रविवार को जारी एक परामर्श में कहा था कि बंद के कारण लोगों को राज्य की विभिन्न सड़कों और राजमार्गों पर यातायात व्यवधान का सामना करना पड़ सकता है. हरियाणा पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि बंद के मद्देनजर राज्य सरकार के निर्देशानुसार नागरिक प्रशासन और पुलिस ने व्यापक बंदोबस्त किए हैं. किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे 40 से अधिक किसान यूनियनों की संस्था संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने पहले लोगों से बंद में शामिल होने की अपील की थी.
SKM की अपील आंदोलन के प्रति दिखाएं एकजुटता:
एसकेएम ने राजनीतिक दलों से भी कहा कि लोकतंत्र और संघवाद के सिद्धांतों की रक्षा के लिए किसानों के साथ खड़े होने की अपील की. एसकेएम ने एक बयान में कहा कि इस ऐतिहासिक संघर्ष के 10 महीने पूरे होने पर एसकेएम ने किसान विरोधी केंद्र सरकार के खिलाफ सोमवार (27 सितंबर) को भारत बंद का आह्वान किया है. बयान में कहा गया है कि एसकेएम प्रत्येक भारतीय से इस राष्ट्रव्यापी आंदोलन में शामिल होने और भारत बंद को सफल बनाने की अपील करता है. विशेष रूप से हम श्रमिकों, व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों, छात्रों, युवाओं और महिलाओं के सभी संगठनों और सामाजिक आंदोलन से जुड़े सभी लोगों से अपील करते हैं कि वे भारत बंद के दिन किसानों के प्रति एकजुटता दिखाएं.
जाने क्या रहेगा बंद और क्या खुलेगा:
इस बयान में कहा गया है कि बंद सुबह छह बजे से शाम चार बजे तक होगा, इस दौरान पूरे देश में सभी सरकारी और निजी कार्यालय, शैक्षणिक और अन्य संस्थान, दुकानें, उद्योग और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान के साथ-साथ सार्वजनिक कार्यक्रम बंद रहेंगे. बहरहाल बंद से अस्पताल, मेडिकल स्टोर, राहत और बचाव कार्य सहित सभी आपातकालीन प्रतिष्ठानों और आवश्यक सेवाओं एवं निजी आपात स्थितियों से संबद्ध लोगों को छूट दी जाएगी. देश के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्हें डर है कि इन कानूनों के जरिए न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म कर दिया जाएगा और उन्हें बड़ी कंपनियों की दया पर छोड़ दिया जाएगा. हालांकि, केंद्र सरकार इन तीन कानूनों को प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में पेश कर रही है. दोनों पक्षों के बीच हुई 10 दौर से अधिक की बातचीत भी गतिरोध को तोड़ने में नाकाम रही है. सोर्स-भाषा