VIDEO: कुदरत का कहर और मुफलिसी की मार! पति और पत्नी दोनों दिव्यांग, पहाड़ सा दर्द , देखिए ये खास रिपोर्ट

बीकानेर: मानो भगवान ने हर और अंधेरा कर रखा है, लेकिन जुनून और जिद्द ही कहिएगा, जिसके खुद के जीवन में पहाड़ सा संघर्ष और दर्द है, लेकिन उसकी कोशिश है कि उसकी हाड़तोड़ मेहनत से बने माटी के दिए सारे जहां को रोशन करें. आइए आपको रूबरू करवाते ऐसे ही बदनसीब कर्मवीर की कहानी से, जिसको आज भी सरकारी इमदाद का इंतजार है! 

यह कहानी है ठाकुर राम की भले ही नाम ठाकुर राम है,लेकिन जीवन में ठकुराई है और ना ही राम की महर नजर आती है. जीवन में पहाड़ सा दुख है क्योंकि ना केवल ठाकुरराम दिव्यांग है उसकी पत्नी की भी यही हालत है और दोनों को ही चलने में परेशानी है. पर कहते हैं ना मन के हारे हार है मन के जीते जीत बस कर्मवीर ने हार नहीं मानी. जाति से कुम्हार ठाकुर राम के  जीवन की राह तो डगमगाई. लेकिन इसने अपने पुश्तनी हूनर को नहीं डगमगाने दिया. 

अपने चाक के सहारे दीपक और मिट्टी के बर्तन बनाता है. हालांकि दिव्यांग युगल के लिए ये मेहनत का काम आसान नहीं है. जो बमुश्किल चल भी नहीं सकते. उन्हें मिट्टी ढोनी भी है और फिर उसे आकार भी देना है. बस ठाकुर राम और उसकी पत्नी यही कर रहे हैं.लेकिन अब बढ़ती महंगाई और बढ़ते मिट्टी के दामों से उनकी हिम्मत जवाब देने लगी है. ठाकुर राम कहता है कि और कोई चारा भी तो नहीं बस इस आस में मेहनत करते चले जा रहे कि शायद बदलाव होगा. बढ़ती उम्र के बीच ठाकुर राम अब  सरकार के स्तर पर कोई मदद की भी आस करता नजर आता है. 

दिव्यांगता के चलते पति पत्नी ज्यादा दूर तक चलने में सक्षम नहीं है.ऐसे 80 साल की बूढ़ी मां बेटे और का बहु का इस उम्र में सहारा है. इनके बनाए दीपक और बर्तनों को बाहर गली गली बेचकर आती है. ठाकुर राम की पत्नी कहती है कि चाइनीज लाइट आने के चलते अब माल कम बिकता  है लोग मिट्टी के दिए और बर्तन कम खरीदने लगे हैं. ठाकुर राम पर कुदरत की मार ऐसी पड़ी कि पति पत्नी दोनों ही दिव्यांग है, लेकिन उससे भी बड़ी है मुफलिसी की मार, जर्जर मकान और कमाई का बस एक ही जरिया कि हाड़ तोड़ मेहनत से तैयार माटी के दीय और मिट्टी के बर्तन , ठाकुर राम की माली हालत कमजोर होती जा रही है. उम्मीद करें की इस दीपावली पर सारे जहां को रोशन करने की चाहत रखने वाले ठाकुर राम की दीपावली पर उसके यहां भगवान खुशहाली बख्शे.