Karnataka 2022: सांप्रदायिक घटनाओं और अंतरराज्यीय विवाद से सियासत रही गरम

Karnataka 2022: सांप्रदायिक घटनाओं और अंतरराज्यीय विवाद से सियासत रही गरम

बेंगलुरु: कर्नाटक में इस साल सांप्रदायिक घटनाएं, विभाजनकारी मुद्दे और अंतरराज्यीय विवाद चर्चा का विषय बने. कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने में केवल चार महीने बाकी हैं. ऐसे में सांप्रदायिक हत्या, हिजाब, हलाल, अजान, पाठ्यपुस्तक सामग्री, ‘लव जिहाद’ जैसे मुद्दों पर विवाद के बीच राजनीति अधिकतर समय लोगों के बीच विमर्श का केंद्र बनी रही.

पिछले तीन-चार वर्षों से जारी चलन के अनुसार ही इस साल भी राज्य के कुछ हिस्सों में मूसलाधार बारिश और उसके बाद आई बाढ़ ने कहर बरपाया. बेंगलुरु को भी बारिश की मार झेलनी पड़ी. सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के केंद्र के रूप में पहचान बनाने वाले इस शहर के कई हिस्से जलमग्न हो गए, जिससे सामान्य जनजीवन व व्यवसाय प्रभावित हुआ.

महाराष्ट्र के साथ सीमा विवाद भी चरम पर पहुंचा:
कर्नाटक में इस साल क्षेत्रीय या कन्नड़ गौरव का मुद्दा और केंद्र द्वारा कथित तौर पर हिंदी थोपे जाने का प्रयास भी चर्चा का विषय रहा. इसी साल बेलगावी जिले को लेकर पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के साथ सीमा विवाद भी चरम पर पहुंच गया. दोनों राज्यों ने एक-एक प्रस्ताव पारित कर अपने-अपने दावों पर कायम रहने की बात कही और एक-दूसरे की निंदा की. इसके अलावा, एक अन्य पड़ोसी तमिलनाडु के साथ अंतरराज्यीय जल विवाद का मुद्दा भी 2022 में सुर्खी बना, जब कर्नाटक ने कावेरी नदी पर मेकेदातु (बांध) परियोजना को लेकर अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया. तमिलनाडु ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह उसके हितों के खिलाफ होगा.

आगे भी टकराव देखने को मिल सकता है:
कर्नाटक ने मेकेदातु परियोजना के लिए आवश्यक मंजूरी देने को लेकर केंद्र पर दबाव डालते हुए, राज्य की सहमति के बिना ‘प्रायद्वीपीय नदी विकास योजना’ के तहत डीपीआर को अंतिम रूप नहीं देने और तमिलनाडु की ‘अवैध’ परियोजनाओं को मंजूरी नहीं देने का आग्रह किया. इस मुद्दे को लेकर दोनों राज्यों के बीच आगे भी टकराव देखने को मिल सकता है. इस साल कर्नाटक में सरकार की ओर से कक्षाओं में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाए जाने का मुद्दा भी छाया रहा. हिजाब समर्थक छात्राओं ने यह कहते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया कि हिजाब पहनना भारत के संविधान के तहत एक मौलिक अधिकार है. इस मुद्दे ने कानूनी और राजनीतिक, दोनों रूप अख्तियार किया.

पाठ्यपुस्तकों का ‘भगवाकरण’ करने का आरोप:
सवाल उठाए गए कि लड़कियों का समर्थन कौन कर रहा है. साथ ही राज्य की भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) नीत सरकार के इरादों और उसकी विचारधारा पर भी उंगलियां उठीं. इसी साल एक पाठ्यपुस्तक को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया. विपक्षी दल कांग्रेस और कुछ लेखकों ने पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति के प्रमुख रोहित चक्रतीर्थ को बर्खास्त करने की मांग की, जिन पर कथित तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार के भाषण को एक अध्याय के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल करके स्कूली पाठ्यपुस्तकों का ‘भगवाकरण’ करने का आरोप लगा.

अज्ञात मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने हत्या की:
फरवरी में शिवमोग्गा के कई हिस्सों में उस समय तनाव फैल गया, जब बजरंग दल के 26 वर्षीय कार्यकर्ता हर्ष की हत्या के बाद हिंसा भड़क उठी. हर्ष की चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी. इसके बाद 26 जुलाई की रात दक्षिण कन्नड़ जिले के सुलिया तालुक के बेल्लारी में जिला भारतीय युवा मोर्चा समिति के 32 वर्षीय सदस्य प्रवीण नेत्तर की अज्ञात मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने हत्या कर दी, जिससे आक्रोश फैल गया.

अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की भी हत्याएं हुईं:
पुलिस ने 28 जुलाई को इस हत्या के संबंध में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से कथित तौर पर संबंध रखने वाले दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया. अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की भी हत्याएं हुईं. नेत्तर की हत्या से पहले बेल्लारी में मसूद (18) को जान से मार दिया गया था, जबकि इसके बाद सुरथकल में मोहम्मद फाजिल (23) की हत्या कर दी गई. इन सभी हत्याओं को प्रतिशोध के रूप में की गई हत्याओं के रूप में देखा गया. इनके कारण पूरे कर्नाटक में तनाव देखने को मिला. सोर्स-भाषा