धनशोधन मामले में शिवसेना सांसद संजय राउत की जमानत याचिका पर बहस हुई पूरी

मुंबई: महाराष्ट्र की पात्रा चॉल पुनर्विकास परियोजना से जुड़े धनशोधन मामले में यहां की एक विशेष अदालत में शिवसेना सांसद (उद्धव गुट) संजय राउत की जमानत याचिका पर शुक्रवार को बहस पूरी हो गई. हालांकि, मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने लिखित दलील देने के लिए समय मांगा. विशेष न्यायाधीश एमजी देशपांडे ने मामले की सुनवाई दो नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी और आरोपी की न्यायिक हिरासत उस दिन तक के लिए बढ़ा दी. 

राज्यसभा सदस्य राउत को जुलाई में उत्तरी मुंबई के गोरेगांव इलाके में पात्रा चॉल के पुनर्विकास से संबंधित वित्तीय अनियमितताओं में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था. पिछले महीने, शिवसेना नेता ने धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) से संबंधित विशेष अदालत से जमानत मांगी थी. जांच एजेंसी ने अदालत में दावा किया है कि अब तक संजय राउत को अपराध की कमाई से 3.27 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं. सिंह ने ईडी के इस दावे को दोहराया कि शिवसेना नेता अपने सहायक एवं मामले के सह-आरोपी प्रवीण राउत के जरिये पर्दे के पीछे से काम कर रहे थे. हालांकि, राउत के वकील अशोक मुंदरगी ने दलील दी थी कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि राज्यसभा सदस्य ने किसी भी समय पात्रा चॉल पुनर्विकास परियोजना की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 

ईडी की जांच पात्रा चॉल के पुनर्विकास में कथित वित्तीय अनियमितताओं और लेनदेन से संबंधित है, जिसमें कथित तौर पर उनकी पत्नी एवं कई सहयोगी शामिल हैं. पात्रा चॉल के नाम से मशहूर सिद्धार्थ नगर उपनगरीय गोरेगांव में 47 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें 672 किरायेदार परिवार हैं. महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (म्हाडा) ने 2008 में हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) की एक सहयोगी कंपनी गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (जीएसीपीएल) को चॉल के लिए एक पुनर्विकास अनुबंध सौंपा था. जीएसीपीएल को किरायेदारों के लिए 672 फ्लैट बनाने और कुछ फ्लैट म्हाडा को देने थे. शेष जमीन निजी डेवलपर्स को बेचने के लिए मुक्त थी. सोर्स- भाषा