वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बोलीं- जलवायु वित्त को लेकर बातें कम सहयोग ज्यादा करें विकसित देश

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिये विकासशील देशों द्वारा विकसित देशों की 100 अरब डॉलर की प्रतिबद्धता पूरा नहीं करने को लेकर अफसोस जताया. उन्होंने कहा कि इस मामले में वैश्विक स्तर पर बात कम सहयोग की ज्यादा जरूरत है. उन्होंने कहा कि भारत ने सीओपी21 (जलवायु परिवर्तन सम्मेलन) में जतायी गयी प्रतिबद्धताओं को अपने संसाधनों से पूरा किया. देश धीरे-धीरे नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने की ओर बढ़ रहा है.

मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिये विकासशील देशों की जरूरतों को पूरा करने को लेकर विकसित देशों के संयुक्त रूप से हर साल 100 अरब डॉलर जुटाने की प्रतिबद्धता के पहले ही पांच साल पूरे हो गये हैं. उन्होंने कहा कि सौ अरब डॉलर की प्रतिबद्धता अभी पूरी नहीं हुई है. पांच साल या छह साल बीत चुके हैं. द्वीपीय देश डूब रहे हैं. तटीय क्षेत्रों का नुकसान हो रहा है. बारिश में असामान्य गतिविधियां देखी जा रही है. जो बारिश तीन या चार महीनों में होनी चाहिए, वह एक ही दिन में हो जाती है. ये ऐसी चीजें नहीं हैं जो कुछ देशों में हो रही है. इसका असर सभी जगह है.’’ सीतारमण ने फिक्की लीड्स - 2022 कार्यक्रम में कहा कि सभी देशों को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिये कुछ करना होगा. लेकिन विकसित देशों से प्रौद्योगिकी या धन का हस्तांतरण नहीं हो रहा है.

उन्होंने कहा कि लेकिन फिर भी हम में से हर कोई चाहता है कि महत्वाकांक्षा और भी अधिक ऊंची हो. यह कई देशों के लिए संभव नहीं है. सीतारमण ने कहा कि हम स्पष्ट रूप से नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में प्रगति कर रहे हैं, हम सौर ऊर्जा की ओर बढ़ रहे हैं...लेकिन हम जिस पैमाने पर इसे कर रहे हैं, उसका कारण हमारी प्रतिबद्धता और उसपर भरोसा है. लेकिन मुझसे अगर पूछा जाए, हमें वास्तव में वैश्विक स्तर पर संभवत: बातें कम, सहयोग की ज्यादा जरूरत है. सोर्स- भाषा