दुनिया के इस अनोखे मंदिर में देश-विदेश से आते हैं भक्त, यहां माता करती हैं अग्नि स्नान

जयपुर: यू तो  पूरे देश में कई चमत्कारिक शक्तिपीठ हैं, जहां माता रानी के चमत्कार देश और दुनिया से आने वाले भक्तजनों और सैलानियों को आकर्षित और अचंभित कर देते हैं. ऐसा ही एक शक्ति पीठ उदयपुर से करीब 60 किलोमीटर दूर सलूंबर तहसील में स्थित ईडाणा माता का है ,जहां  माता की मूर्ति स्वयं अग्नि स्नान करती है . 

उदयपुर से 60 किलोमीटर दूर ईडाणा माता शक्तिपीठ अपने अद्भुत और चमत्कारिक इतिहास के लिए जाना जाता है. दरअसल मेवल की महारानी के नाम से मशहूर ईडाणा माता की प्रतिमा स्वयं अपने आप में अग्नि प्रज्ज्वलित कर अग्नि स्नान करती है . कहते हैं कि जब माता की प्रतिमा पर चढ़ावे की चुनरीओ का भार बढ़ जाता है तो देवीय प्रतिमा में स्वत ही अग्नि प्रस्फुटित होती है और करीब 20 से 25 फीट तक ऊंची लपटों के बीच माता अग्नि स्नान करती है. हालांकि माता के अग्नि स्नान करने का कोई नियत समय और दिन नहीं होता है, लेकिन कई बार साल में दो से तीन बार भी भक्त जनों को अग्नि स्नान के दर्शन हो जाते हैं. यही वजह है कि देश प्रदेश से नवरात्रि के समय में भारी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं और माता के दर्शनों से अपने जीवन को सफल और साकार बनाते हैं.

इतना ही नहीं माता के दरबार में गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोग भी आते हैं, और बिल्कुल स्वस्थ्य होकर हंसी-खुशी अपने घर लौटते हैं.माता के दरवार में सेवा करने वाले पुजारियों की माने तो ईडाणा माता का  मंदिर करीब 5000 साल पुराना है. मान्यता:  है कि ईडाणा माता एक बरगद के पेड़ के नीचे प्रकट हुई थीं. कालांतर में क्षेत्र से गुजर रहे एक संत को स्वयं माता रानी ने एक कन्या के रूप में दर्शन देते हुए वहीं रहने का निवेदन किया. संत ने खूब भक्ति आराधना के साथ उनकी पूजा की तो कुछ ही दिनों में यहां अलग-अलग चमत्कार होने लगे. माता के चमत्कार के कारण नेत्रहीनों को दिखाई देने लगा, लकवाग्रस्त लोग ठीक होने लगे, निःसंतानों को औलाद मिलने लगी.धीरे-धीरे माता रानी की मान्यता देश-दुनिया में बढ़ने लगी.यही वजह हैं कि यहां  गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और,अन्य राज्यों के अलावा देश के कोने-कोने से भक्त हाजरी लगाने आते हैं.

बहरहाल ईडाणा माता मंदिर देश-दुनिया का  एकमात्र मंदिर है, जहां माता रानी स्वयं अपने मंदिर में अग्नि स्नान करती हैं. लेकिन माता रानी की मूर्ति पर इस अग्नि स्नान से कोई असर नहीं होता.