केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बुनियादी स्तर के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा की जारी, ‘भविष्य का साफ्टवेयर’ बताया

नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने पांच साल की बुनियादी शिक्षा की पाठ्यचर्या रूपरेखा को नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुपालन में महत्वपूर्ण कदम बताते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि अगले वर्ष बसंत पंचमी तक इसके आधार पर पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तक लागू करने का खाका तैयार कर लिया जायेगा . प्रधान ने ‘बुनियादी स्तर के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा’ का मसौदा जारी करते हुए यह बात कही. इसे जाने माने वैज्ञानिक के कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली समिति ने तैयार किया है.

उन्होंने कहा कि 2020 में नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रस्तुत किये जाने के बाद लोग पूछते थे कि यह कब लागू होगी? क्या यह लागू हो गई? और कई तरह की नकारात्मक बातें भी की जा रहीं थी . उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षो के यज्ञ और मानस मंथन का परिणाम अब दिखने लगा है. प्रधान ने कहा कि बुधवार को राष्ट्रीय क्रेडिट ढांचे का मसौदा पेश किया गया और इसे सार्वजनिक चर्चा के लिये रखा गया है. उन्होंने कहा कि ऐसे ही आज ‘बुनियादी स्तर के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा जारी की गयी है. उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चों के लिये पाठ्यक्रम तैयार करना बहुत बड़ा चुनौतिपूर्ण कार्य है क्योंकि यह भविष्योन्मुखी होता है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि  बुनियादी स्तर के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा तैयार करके हमने भविष्य का साफ्टवेयर बनाने का काम किया है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) इस रूपरेखा मसौदे को राज्य शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को पहुंचायेगी . इसके बाद इसे सार्वजनिक मंच पर रखा जायेगा और लोगों के विचार/सुझाव लिये जायेंगे . प्रधान ने कहा कि समग्र मंथन के बाद पाठ्यक्रम एवं पाठ्यपुस्तक तैयार की जाएंगी.

उन्होंने कहा कि अगले वर्ष बसंत पंचमी तक पाठ्यक्रम एवं पाठ्यपुस्तक तैयार करने और उन्हें लागू करने का खाका रख पायेंगे . उन्होंने बताया कि इसमें कई चीजों के लिये पाठ्यपुस्तक तैयार करने की जरूरत नहीं है क्योंकि ये खेल और प्रोजेक्ट आधारित हैं और कुछ विषयों में पढ़ाई की पद्धति महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी से जुड़े युवा, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे को लेकर छोटे छोटे वीडियो, नवाचार आधारित गेम (खेल), संगीत आदि तैयार कर सकते हैं . ‘बुनियादी स्तर के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा’ के मसौदे में कहा गया है कि बच्चों के शुरूआती आठ वर्ष काफी महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि ये शारीरिक गतिविधि, संज्ञानात्मक बोध प्रक्रिया तथा सामाजिक भावनात्मक विषयों के विकास से जुड़े होते हैं. ऐसे में यह रूपरेखा बुनियादी स्तर पर बच्चों के सीखने को महत्व देती है. इसमें बच्चों में जिज्ञासा एवं तार्किक सोच के विकास के साथ समस्या समाधान, टीमवर्क पर जोर दिया गया है. इसमें खेल आधारित पठन पाठन तथा कला, शिल्प, संगीत आधारित गतिविधि को महत्व दिया गया है. ‘बुनियादी स्तर के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा’ में बच्चों में आचार, व्यवहार एवं भावनात्मक विकास को महत्वपूर्ण बताया गया है. इसमें प्रकृति को समझने, प्रकृति से सीखें को प्रधानता दी गई है.

इसमें रंग, आकार, वर्ण तथा संख्या के बारे में खेल खेल में रोचक ढंग से बताने का खाका पेश किया गया है. इसे मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है जिसमें गृह आधाारित 0-3 वर्ष आयु वर्ग के बच्चे तथा संस्थागत स्तर पर 3-8 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को रखा गया है. मसौदे के अनुसार, संस्थागत स्तर पर 3-8 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की श्रेणी को दो भागों में बांटा गया है जिसमें 3-6 वर्ष आयु वर्ग के आंगनवाड़ी, बाल वाटिकाओं में पढ़ने वाले बच्चों के लिये शुरूआती बाल्यावस्था शिक्षा कार्यक्रम तथा 6-8 वर्ष आयु वर्ग की श्रेणी में शुरूआती प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम शामिल है. इसमें शुरूआती स्तर पर घर की भाषा को निर्देश एवं पढ़ाई का माध्यम बनाने पर जोर दिया गया है . इसके साथ ही सुव्यवस्थित अवलोकन आधारित मूल्यांकन का खाका बनाया गया है. सोर्स- भाषा