जयपुर Dussehra 2021: 15 अक्टूबर को सर्वार्थसिद्धि, कुमार एवं रवि योग में मनाया जायेगा दशहरा, जानें पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त और महत्व

Dussehra 2021: 15 अक्टूबर को सर्वार्थसिद्धि, कुमार एवं रवि योग में मनाया जायेगा दशहरा, जानें पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त और महत्व

Dussehra 2021: 15 अक्टूबर को सर्वार्थसिद्धि, कुमार एवं रवि योग में मनाया जायेगा दशहरा, जानें पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त और महत्व

जयपुर: दशहरा या विजयदशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. हिंदू धर्म में दशहरा के पर्व का विशेष महत्व है. इस साल दशहरा शुक्रवार 15 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस बार दशहरा सर्वार्थसिद्धि, कुमार एवं रवि योग में मनाया जायेगा. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि 15 अक्टूबर को सर्वार्थसिद्धि योग एवं कुमार योग सूर्योदय से सुबह 9:16 तक तथा रवि योग पूरे दिन रात रहेगा. मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री राम ने अहंकारी रावण का वध किया था. इसके साथ ही इस दिन ही मां दुर्गा नें असुर महिषासुर का भी वध किया था. इस कारण ही इस दिन भगवान राम के साथ मां दुर्गा के भी पूजन का विधान है. दशहरा का पर्व अवगुणों को त्याग कर श्रेष्ठ गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है. इसी कारण इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है. 

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस पर्व को मनाने के पीछे दो कहानियां हैं. भगवान राम ने इसी दिन रावण को मारकर लंका पर विजय पाई थी और अपनी पत्नी सीता को वापस लेकर आए थे. वहीं दूसरी कहानी के अनुसार मां दुर्गा ने इसी दिन राक्षस महिषादुर को मारकर देवताओं की रक्षा की थी. 

कई तरीकों से मनाया जाता है दशहरा:
कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि अलग-अलग जगहों पर दशहरे का त्योहार अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. शस्त्र का प्रयोग करने वाले समुदाय इस दिन शस्त्र पूजन करते हैं. वहीं कई लोग इस दिन अपनी पुस्तकों, वाहन इत्यादि की भी पूजा करते हैं. किसी नए काम को शुरू करने के लिए यह दिन सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है. कई जगहों पर दशहरे के दिन नया सामान खरीदने की भी परंपरा है. अधिकतर जगहों पर इस दिन रावण का पुतला जलाया जाता है. वहीं जब पुरुष रावण दहन के बाद घर लौटते हैं तो कुछ जगहों पर महिलाएं उनकी आरती उतारती हैं और टीका करती हैं.

दशहरा शुभ मुहूर्त:
दशमी तिथि 14 अक्टूबर को शाम 06:52 बजे से प्रारंभ होगी, जो कि 15 अक्टूबर 2021 को शाम 06:02 बजे समाप्त होगी.

श्रवण नक्षत्र प्रारंभ:- 14 अक्टूबर 2021 सुबह 09:36

श्रवण नक्षत्र समाप्त:- 15 अक्टूबर 2021 सुबह 09:16

पूजन का समय- 15 अक्टूबर दोपहर 02:02 मिनट से लेकर दोपहर 2:48 मिनट तक 
मांगलिक कार्यों के लिए यह दिन माना जाता है शुभ

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि दशहरा या विजयादशमी सर्वसिद्धिदायक तिथि मानी जाती है. इसलिए इस दिन सभी शुभ कार्य फलकारी माने जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दशहरा के दिन बच्चों का अक्षर लेखन, घर या दुकान का निर्माण, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण, अन्नप्राशन, कर्ण छेदन, यज्ञोपवीत संस्कार और भूमि पूजन आदि कार्य शुभ माने गए हैं. विजयादशमी के दिन विवाह संस्कार को निषेध माना गया है.

पूजन विधि:
भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि दशहरे के दिन सुबह जल्दी उठकर, नहा-धोकर साफ कपड़े पहने और गेहूं या चूने से दशहरे की प्रतिमा बनाएं. गाय के गोबर से 9 गोले व 2 कटोरियां बनाकर, एक कटोरी में सिक्के और दूसरी कटोरी में रोली, चावल, जौ व फल रखें. अब प्रतिमा को केले, जौ, गुड़ और मूली अर्पित करें. यदि बहीखातों या शस्त्रों की पूजा कर रहे हैं तो उन पर भी ये सामग्री जरूर अर्पित करें. इसके बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा करें और गरीबों को भोजन कराएं. रावण दहन के बाद शमी वृक्ष की पत्ती अपने परिजनों को दें. अंत में अपने बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें.

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