प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ में आबकारी विभाग की लापरवाही और मिलीभगत के चलते शराब की दुकानों पर मनमानी कीमत वसूली जा रही है। आबकारी कानूनों की धज्जियां उड़ाते इन दुकानों पर रात आठ बजे बाद और सुबह छह बजे से शराब की बिक्री शुरू हो जाती है जिले के धरियावद ,अरनोद ,छोटी सादडी और प्रतापगढ़ में शराब ठेकेदार मालामाल हो रहे है,कई स्थानों पर इन दुकानों को हटाने के लिए लोगो ने प्रदर्शन भी किये लेकिन शराब ठेकेदारों के रसूखात के चलते आबकारी विभाग में जनता की कोई सुनवाई नहीं हुई। आबकारी विभाग के अधिकारी केवल शिकायत मिलने पर कार्रवाई की बात कह कर पल्ला झाडने में लगे है।
शराब की दुकानो पर रात आठ बजे बाद अवैध रूप से शराब बेच कर तय कीमत से ज्यादा राशि वसूलने की शिकायते तो होती रही है लेकिन दिन में भी शराब की तय कीमतों से ज्यादा राशि वसूली जा रही है। जिले में लगातार मिल रही शिकायतों के बाद रात आठ बजे बाद हमने नगर व आसपास गांव की कुछ शराब की दुकानों पर स्टिंग किया। जिसमें कुछ और ही हकीकत सामने आई। दुकानों पर शराब पर तय कीमत से लगभग 10 से 30 रुपए तक ज्यादा वसूले जा रहे है। शराब बिक्री के बंद होने के बाद भी कई जगह बिना किसी रोक टोक के शराब बेचे जा रही है। जिससे राजस्व को भी चूना लगाया जा रहा है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में तो कई जगहों पर अवैध रूप से शराब की दुकानें भी संचालित हो रही है। आबकारी विभाग इसको रोक पाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है।
रात आठ बजे भी खुलेआम बिक रही है अवैध सुरा
कहने को तो रात आठ बजे बाद शराब बिक्री पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा हुआ है। लेकिन शराब की कई दुकानों पर रात आठ बजे बाद भी बेखौफ बिकती है। दुकानों के बंद करने का समय होते ही दुकान का शटर तो नीचे गिरा देते लेकिन जैसे कोई ग्राहक आता है तो उससे ज्यादा राशि लेकर शराब की बोतल थमा दी जाती है। कई जगह शराब दूसरी जगह छिपा दी जाती है। उसके बाद ग्राहक को बेची जाती है। इस पर 10 से 30 रुपए तक ज्यादा वसूली जाती है। इन पर कार्रवाई करने वाले अधिकारी मौन बैठे है।
छोटी सादडी में बस स्टेण्ड के सामने एक शराब की दुकान पर रात 9:30 बजे,दूकान खुली है दुकान पर ग्राहकों की भीड़। शटर निचे डाल कर शराब बेची जा रही है ग्राहक यहाँ पर 97 रुपये की बीयर 120 में बेची जा रही है ग्राहक ने छपी कीमत से अधिक मांगने का विरोध किया तो उसने कह दिया कि शराब ऐसे ही नहीं मिलती। ये काम किराणा की दुकानों पर होता है। मजबूरी में छपी कीमत से अधिक अदा की गई।