VIDEO : सरकारी आवास आवंटन अटके? अभी भी नहीं हो पा रहा है ऑनलाइन आवंटन, दिक्कतें दूर करने के लिए GAD ने फिर मांगे आवेदन

जयपुर: सरकारी आवास आवंटन की प्रक्रिया ऑनलाइन तो कर दी है, लेकिन अभी भी ऑनलाइन आवास आवंटन नहीं हो पा रहा है. इससे जुड़ी दिक्कतों को दूर करते हुए GAD ने 2012 के पेंडिंग 6000 आवेदकों को नए सिरे से आवेदन करने और अपनी वस्तुस्थिति स्पष्ट करने के लिए कुछ समय भी दिया था लेकिन अब भी यह प्रक्रिया सिरे नहीं चढ़ पा रही है. 2012 से आवास आवंटन के लिए करीब 6000 ऑनलाइन प्रार्थी थे लेकिन इसमें अफसर और कर्मचारी अलग-अलग आधारों पर अपात्र हो गए हैं. इन्हें अपनी वस्तुस्थिति स्पष्ट करने के लिए कुछ वक्त भी दिया था लेकिन अभी भी जीएडी अपने मकसद में पूरी तरह से कामयाब नहीं हो पाया है. 

फिर क्यों मांगे आवेदन?
-ऑनलाइन आवास आवंटन के पोर्टल को DOP के पोर्टल से भी जोड़ा जाना है.
-इससे पूर्व 2012 के पेंडिंग आवेदकों के मामलों का समाधान करना है.
उन्हें फिर से आवेदन करने के लिए कहा है और यह वस्तुस्थिति बतानी है कि क्या वे सेवानिवृत्त तो नहीं हो गया या उनका तबादला तो नहीं हो गया या फिर जिनके नाम आवंटन है उनकी मौत तो नहीं हो गई. तो वहीं यह स्पष्ट करना था कि आवेदकों में से कुछ ने खुद के मकान बना लिए हो सकते हैं या उनके नाम अचल संपत्ति हो सकती है. तब पुनः आवेदन करते ही पता चल जाएगा कि कौन वास्तविक हकदार है और न्यायसंगत ढंग से आवास आवंटन सुनिश्चित हो सकेगा.
-यह भी स्पष्ट किया गया कि उनकी वरीयता रहेगी पहले वाली ही
-1900 राजकीय आवास की है कुल उपलब्धता
-अफसरों और कर्मचारियों के लिए  सरकारी आवासों के आवंटन में लंबे समय से आउट ऑफ टर्न आवंटन की व्यवस्था है. 
-अगर कोई आईएएस,आईपीएस या अन्य अधिकारी का पदस्थापन जयपुर हुआ हो, तब आउट ऑफ टर्न सरकारी आवास आवंटन होता है.विभागीय मंत्री और मुख्यमंत्री अपने स्तर पर भी जरूरत के अनुसार आवंटन करते हैं.

ऑनलाइन आवंटन से पूर्व क्या होता था:
-आवास आवंटन के लिए ऑफलाइन ही आवेदन करना होता है,लेकिन ऐसी स्थिति सामने आती रही है कि आवेदक ने आवेदन तो कर दिया लेकिन आवेदन विभाग को मिला ही नहीं. 
-वहीं यह भी होता रहा है कि विभाग ने आवंटन तो कर दिया लेकिन आवंटन पत्र संबधित कर्मचारी को नहीं मिला और जब मिला तब तक आवास पर कब्जा लेने की 15 दिन की मियाद समाप्त हो गई जिससे कार्मिक को परेशान होना पड़ा और विभाग को भी आवंटन की प्रक्रिया फिर से करनी पड़ी. 
-साथ ही कई बार आवास आवंटन में ’एप्रोच’ और पक्षपात के आरोप अफसरों पर लगते रहे हैं. 
-विभागों से आवास के लिए आवेदन करने वालों की भी सूची मांगी गई है. उनसे पूछा गया है कि उन्होंने आवेदन किया था तो आवास प्राथमिकता थी. आज भी वो आवास लेना चाहते है या नहीं

-सरकारी आवासों को लेकर जीएडी ने सर्वे भी किया है. 
-इसके साथ ही कर्मचारियों को आवंटित आवास में उनकी जगह अन्य कोई कर्मचारी रह रहे हैं तो उन कार्मिकों पर भी नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.

ऑनलाइन आवास आवंटन शुरू होने से यह होगा फायदा:
-सरकारी आवासों के आवंटन में अक्सर 'एप्रोच' व्यवस्था के आरोप लगते रहे हैं. सॉफ्टवेयर के जरिये ऑनलाइन आवेदन और आवंटन से इन आरोपों से निजात मिल सकती है.
-आसानी से पता चलेगा कि किस श्रेणी में कितने आवास रिक्त हैं.
-विभागीय अधिकारी सीधे यह नहीं कह सकेंगे कि अभी आवास रिक्त नहीं है.
-कितने आवास भरे हुए हैं और कितने आवेदन आवंटन की वेटिंग में चल रहे हैं इसका पता चल सकेगा.
-आवेदन करने के बाद हर रोज होने वाली आवंटन प्रक्रिया का आवेदक को पता चलेगा.
-अभी सभी श्रेणी के आवासों के आवंटन में 5 से 7 साल या इससे ज्यादा की वेटिंग. सही तरह से आवंटन हो तो यह वेटिंग हो सकती समाप्त.
-व्यवस्था को पारदर्शी व निष्पक्ष ढंग से लागू करने के लिए अन्य राज्यों की आवंटन नीति को भी देखा गया.
-अभी सरकारी आवास आवंटन के इंतजार कर रहे कर्मचारियों के लिए समानुपातिक व्यवस्था भी की है. 

अब ऑनलाइन आवास आवंटन की व्यवस्था की सफलता का दारोमदार गजेटेड के साथ नॉन गजेटेड सरकारी कर्मचारियों की IPR ऑनलाइन करने की व्यवस्था की सफलता पर है. ऐसे में GAD आवास आवंटन के पोर्टल को कार्मिक विभाग की सिविल लिस्ट से लिंक करने जा रहा है जिससे अधिकारियों कर्मचारियों के रिटायर्ड होने पर तुरंत पता चल सकेगा और आवास खाली करने के लिए 2 महीने का नोटिस देने की कार्यवाही शुरू हो सकेगी.