जयपुर: आईए अब आपको पानी से चांदी काटने के एक ऐसे खेल से रूबरू कराते हैं, जिसमें आईआरसीटीसी और पैक्ड ड्रिंकिंग वाटर निर्माता कंपनियां रेलवे को करोड़ों का चूना लगा रहे हैं. आईआरसीटीसी के चंद अफसरों ने अपनी जेबें भरने के लिए 'रेल नीर' को जरिया बनाया है. खेल इतना बड़ा है कि उपभोक्ता को पता ही नहीं रेल की मुसाफिरी में जिस पानी की बोतल के वो 15 रुपए दे रहा है, हकीक़त में उसकी कीमत मनमाने तरीके से तय की जाती है. पेश है सच से पर्दा उठाती एक्सक्लूसिव रिपोर्ट:
रेल नीर निर्माता कंपनी स्थान उत्पादन क्षमता उत्पादन लागत
IRCTC, नांगलोई दिल्ली 1.50 लाख बोतल प्रति दिन 8.90 रुपए प्रति बोतल
सूर्यकिरण ब्रेवरेज हापुड 90 हजार बोतल प्रति दिन 5.54 रुपए प्रति बोतल
जेआर ब्रेवरेज भोपाल 75 हजार बोतल प्रति दिन 4.84 रुपए प्रति बोतल
जेआर ब्रेवरेज अहमदाबाद 75 हजार बोतल प्रति दिन 4.80 रुपए प्रति बोतल
आईआरसीटी के चंद अफसर किस तरह रेलवे को चपत लगा रहे हैं, उसका एक नमूना आप रेल नीर के उत्पादन की दरों में देख सकते हैं. एक कंपनी, पानी की गुणवत्ता भी एक और पानी की मात्रा भी बराबर, लेकिन आईआरसीटीसी की मानें तो जो एक बोतल पानी अहमदाबाद में 4 रुपए 80 पैसे में तैयार होता है, वही पानी दिल्ली में लगभग दोगुनी दर यानी 8 रुपए 90 पैसे में तैयार हो रहा है.
हर प्लांट्स की अपनी अलग दर:
यूं तो भारतीय रेल में रेल नीर के उत्पादन और आपूर्ति को लेकर आईआरसीटी ने देशभर में दर्जनों प्लांट लगा लगवाए हैं, जो रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में रेल नीर की आपूर्ति कर रहे हैं. आज हम आपको बता रहे हैं आईआरसीटीसी द्वारा मंजूर ऐसे ही चार रेल नीर प्लांट्स में चल रहे खेल को. जी हां, आईआरसीटीसी के नॉर्दन और सेंट्रल रीजन की बात करें तो इसके लिए अहमदाबाद, भोपाल, हापुड़ और दिल्ली में चार प्लांट्स लगवाए हुए हैं. जो पानी अहमदाबाद की कंपनी चार रुपए अस्सी पैसे में तैयार कर रही है, वही पानी भोपाल में चार रुपए 84 पैसे, हापुड़ में 5 रुपए 54 पैसे और दिल्ली में तो 8 रुपए 90 पैसे में तैयार हो रहा है. इसको सीधे शब्दों में समझें तो हर प्लांट्स की अपनी अलग दर है.
आईआरसीटीसी का नियंत्रण नहीं:
इन चार प्लांट्स से एक साल में करीब सौ करोड़ रुपए पानी उत्पादित किया जाता है. यदि पानी उत्पादन की न्यूनतम दर को सही माना जाए तो आईआरसीटीसी के अफसर इन चार प्लांट्स से ही सालभर में 40 से 50 करोड़ रुपए का खेल कर रहे हैं. जो कंपनी पानी उत्पादन कर रही हैं, वो इस पानी को अपनी दर के मुताबिक क्लीयिरंग एंड फॉरवर्डिंग एजेंसी को प्रति बॉक्स यानी 12 बोतल के डिब्बे को 126 रुपए में दिया जाता है. इसमें 18 फीसदी जीएसटी भी शामिल है. सीएफए से मिले पानी को दुकानदार या वेंडर 15 रुपए में उपभोक्ता को बेचता है. इस पर भी आईआरसीटीसी का नियंत्रण नहीं है. अकसर शिकायतें आती हैं कि पानी की बोतल के वेंडर 20 रुपए तक वसूल लेता है. अब यदि जीएसटी की बात करें तो उत्पादन कंपनी एक दुकान या एक एजेंसी को दो लाख रुपए सालाना से ज्यादा नकद में विक्रय नहीं कर सकते, जबकि ये चारों कंपनियां करोड़ों रुपए का नकद का ही व्यापार कर रही हैं.
बिल बुक पर फर्जी पता:
यही नहीं आईआरसीटीसी के नांगलोई प्लांट की बाते करें तो यहां के अधिकारी जमकर नियमों का मजाक बना रहे हैं. इन्हें ये तक नहीं मालूम कि जयपुर में इनका वेयर हाउस कहां हैं. कंपनी ने बिल बुक पर फर्जी पता छपा रखा है ताकि जीएसटी या अन्य एजेंसी इनके वेयर हाउस पर कार्रवाई नहीं कर पाएं. नांगलोई प्लांट् में तो स्वीकृत दो बोरवैल की जगह पांच बोरवैल खेद रखे हैं, जिससे क्षेत्र में भूजल का स्तर भी पीचे जाता जा रहा है. यहां के पानी की कीमत भी दोगुनी कर प्रति बोतल चार से पांच रुपए यानी सालाना 20 करोड़ रुपए का घोटाला किया जा रहा है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि आईआरसीटीसी के चंद अफसर पानी से चांदी काट रहे हैं और रेलवे के जिम्मेदार अधिकारी इस खेल से आंखें मूंदे बैठे हैं.
... संवाददाता निर्मल तिवारी की रिपोर्ट