कानपुर: भारत के युवा एक नई सोच के साथ उभर कर सामने आ रहे हैं ऐसा ही एक युवा चेहरा कानपुर में इन दिनों सुर्ख़ियो में है. उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद इस युवक ने तमाम लोक लुभावन सरकारी नौकरियों को करना इसलिए मुनासिब नही समझा क्योकि वह राजनीति में आकर कुछ करने की चाह रखता था. लेकिन कहते है कि जहां चाह व राह आज यह युवा कानपुर ग्रामीण बीजेपी युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष है.
फस्ट इंडिया से कम उम्र के बीजेपी नेता ने राजनीति में आने को लेकर खास बातचीत की. बीजेपी युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष रवींद्र चौहान की माने तो आज देश में युवा राजनीति में नही आना चाहते. कोई इंजीनियर , डॉक्टर,अध्यापक, बिजनेस मैन बनना चाहता है, लेकिन राजनीति में युवाओं का प्रतिशत चिंता का विषय है. राजनीति गंदी नहीं है. राजनीति में कुछ भ्रष्ट लोग व्याप्त है. इसलिए युवाओं को अपने समाज के लिए अपने देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो राजनीति में आना होगा.
रवींद्र चौहान के संघर्षों ने महज 31 वर्ष की उम्र में इनकी मेहनत ,लगन, और सक्रियता से जहां एक ओर जिलाध्यक्ष की कमान प्राप्त की, वहीं दूसरी ओर अपनी मां कमला देवी चौहान को जीत दिलाई. बीजेपी ग्रामीण इकाई के जिलाध्यक्ष रवींद्र चौहान की माने तो 15 वर्ष की उम्र से राजनीति में सक्रीय होने की वजह से ही हाल ही में हुए उत्तर प्रदेश पंचायती चुनाव में अपनी मां कमला सिंह चौहान को ही भारी बहुमत से जीत दिला कर जिला पंचायत सदस्य बनवाया.
कोरोना काल की अदृश्य बीमारी को लेकर अपनी जनता की चिन्ता करते हुए रवींद्र चौहान अब अपने क्षेत्र के पचास से अधिक गांवों में जा कर खुद ही ऑक्सीमीटर व थर्मल स्कैनिंग करवा रहे हैं साथ ही साथ मास्क वितरण और सेनेटाइजर का वितरण कोरोना की पहली लहर से जारी हैं. उनके इस सक्रियता से जहां उनको चुनने वाली जनता गदगद है, जिससे यह युवा नेता भी लोगों की कसौटी में खरा उतरने पर उत्साह से लबरेज है. इस युवा नेता की कर्म शैली को लेकर इन दिनों कानपुर के राजनैतिक गलियारों में रवीन्द्र चौहान की चर्चा सुखियों में हैं.