Congress का आरोप, केजरीवाल सरकार का शिक्षा का कोई मॉडल नहीं, बल्कि ‘फ्रॉड और मॉडलिंग का मॉडल है

नई दिल्ली: कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि दिल्ली की अरविंद केजरीवाल नीत सरकार शिक्षा के जिस मॉडल का प्रचार करती है, वो असल में ‘फ्रॉड और मॉडलिंग का मॉडल’ है.

 

पार्टी प्रवक्ता संदीप दीक्षित ने कुछ आंकड़े पेश करते हुए यह दावा भी किया कि अगर केजरीवाल के शिक्षा के ‘तथाकथित मॉडल’ को दूसरे राज्यों में अपना लिया गया, तो पूरी शिक्षा व्यवस्था बर्बाद हो जाएगी. उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि आम आदमी पार्टी के तथाकथित शिक्षा मॉडल को बेनकाब करना, इसलिए महत्वपूर्ण है कि कहीं दूसरे राज्यों में चल रही शिक्षा व्यवस्था इनके झांसे में आकर बर्बाद न हो जाए. पूर्व सांसद ने आरोप लगाया कि यह शिक्षा का कोई मॉडल नहीं है, बल्कि यह फ्रॉड का मॉडल है, मॉडलिंग का मॉडल है.

आठ वर्षों में सिर्फ सात प्रतिशत नतीजे बढ़े:
दीक्षित के अनुसार, 1998 में जब दिल्ली में कांग्रेस की सरकार बनी, तो सरकारी विद्यालयों में 12वीं कक्षा के 64 प्रतिशत बच्चे उत्तीर्ण होते थे. साल 2013-14 में जब कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई तो 89 प्रतिशत बच्चे उत्तीर्ण हुए. अब 96 प्रतिशत बच्चे उत्तीर्ण हो रहे हैं. यानी शीला दीक्षित की 15 साल की सरकार में 25 प्रतिशत नतीजे बढ़े, जबकि केजरीवाल सरकार के आठ वर्षों में सिर्फ सात प्रतिशत नतीजे बढ़े.

80 प्रतिशत बच्चे मुश्किल से उत्तीर्ण हो रहे:
उन्होंने यह भी कहा कि शीला दीक्षित जी की सरकार में 10वीं कक्षा के नतीजे 34 प्रतिशत से बढ़कर 90 प्रतिशत हो गए. केजरीवाल सरकार में 80 प्रतिशत बच्चे मुश्किल से उत्तीर्ण हो रहे हैं. कांग्रेस नेता ने दावा किया कि कांग्रेस की सरकार ने दिल्ली में 150 स्कूल बनाए, जबकि केजरीवाल सरकार ने मुश्किल से 20 स्कूल बनवाए. कुछ कमरे ठीक करवा दिए, तो उसका प्रचार किया जा रहा है.

कांग्रेस की सरकार ने सिर्फ दिल्ली के विकास पर ध्यान दिया:
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार और शीला दीक्षित जी ने कभी अपने काम का ढिंढोरा नहीं पीटा, विदेशी अखबारों में लेख नहीं लिखवाए. कांग्रेस की सरकार ने सिर्फ दिल्ली के विकास पर ध्यान दिया. पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित ने यह भी कहा कि आरटीआई में पूछा गया कि आप सरकार ने कितनी नौकरियां दीं, तो उसके जवाब में बताया कि सिर्फ 440 नौकरियां दी गईं. उन्होंने आरोप लगाया कि इतनी निकम्मी सरकार हिंदुस्तान के इतिहास में कहीं भी नहीं रही. सोर्स-भाषा