कोटा। लोकसभा चुनावों की तैयारियां जोरों पर चल रही है ऐसे में आज हम कोटा लोकसभा क्षेत्र के बारे में बात करें है , जो जनसंघ के जमाने से बीजेपी के मजबूत गढ के रुप में पहचाना जाने वाला लोकसभा क्षेत्र हैं लेकिन बीच-बीच में कांग्रेस यहां बीजेपी के गढ को भेदने में कामयाब भी रही हैं..लेकिन इस बार यहां कांग्रेस को तगड़ा झटका चुनावों से पहले ही लग चुका हैं। जब दो बार इस संसदीय सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे पूर्व सांसद इज्यराजसिंह पाला बदलकर कांग्रेस से बीजेपी में चले गये..लेकिन इस दलबदल ने बीजेपी की अंदरुनी सियासत को भी गर्माकर रख दिया हैं।
कोटा और बून्दी जिलों को मिलाकर गठित कोटा-बून्दी लोकसभा क्षेत्र में इस बार सियासी समीकरण रोचक हो चले हैं। लोकसभा चुनाव 2014 में इस संसदीय सीट से कोटा के ओमबिरला सांसद निर्वाचित हुये। बिरला को 6 लाख 44 हजार 822 मत मिले जबकि कांग्रेस के उनके प्रतिद्वंदी प्रत्याशी इज्यराजसिंह को 4 लाख 44 हजार 40 मतों से ही संतोष करना पड़ा। लेकिन कोटा की राजनीति ने कुछ ऐसा पलटा खाया कि एक-दूसरे के आमने-सामने लड़ने वाले बिरला और इज्यराजसिंह एक ही पार्टी में रह गये और ऐसा संभव हुआ विधानसभा चुनावों से ऐन पहले इज्यराजसिंह के पत्नी कल्पना देवी के साथ कांग्रेस से पाला बदलकर बीजेपी में आने से।अब कोटा की भाजपा में हर कोई इसी सस्पेन्स को लेकर संशय में हैं कि क्या इज्यराजसिंह भाजपा में लोकसभा टिकट की शर्त मनवाकर पार्टी में आये हैं या फिर कोटा से ओमबिरला ही एक बार फिर से भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी होंगे।
इधर छात्र जीवन से बिरला के साथ ही बीजेपी का राजनीति का सफर तय कर रहे भवानीसिंह राजावत और प्रहलाद गुंजल भी इस बार खुलेआम लोकसभा टिकट के लिये दावेदारी ठोंक रहे हैं लेकिन बीजेपी की इस सियासी उलझन से इतर कांग्रेस प्रत्याशी चयन को लेकर पसोपश में हैं। इज्यराजसिंह इस सीट से लगातार दो बार सांसद प्रत्याशी रहे और इस बार भी कांग्रेस का टिकट उन्ही को मिलना तय था लेकिन ऐन समय पर उनके पाला बदलने से कांग्रेस को भी प्रत्याशी की नये सिरे से खोज करनी पड़ रही हैं।
इत्तेफाक की बात हैं कि फिलहाल निर्वाचित कांग्रेस के दो विधायक शांति धारीवाल और रामनारायण मीणा दोनों कोटा से कांग्रेस के सांसद रह चुके हैं। लेकिन धारीवाल के कोटा से लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावना ना के बराबर हैं तो विधायक को सांसद का चुनाव नहीं लड़ाने की कांग्रेस की नीति से पीपलदा से कांग्रेस के विधायक रामनारायण मीणा भी मैदान से बाहर होते दिख रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस को कोटा लोकसभा सीट से प्रत्याशी की तलाश के लिये माथापच्ची करनी पड़ रही हैं। ऐसे में एक प्रबल संभावना इस बात की भी पैदा हो रही हैं कि इस सामान्य सीट से कोई आरक्षित श्रेणी का प्रत्याशी भी कांग्रेस उतार सकती हैं। रिटायर्ड आरएएस अधिकारी आर.डी. मीणा जैसे कई दावेदारों के नाम इस समीकरण से भी चर्चा में हैं तो कुलमिलाकर कोटा लोकसभा क्षेत्र के लिये इस बार के सियासी समीकरण भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिये उलझे हुये हैं । लेकिन आखिर में आपको परिचय इस लोकसभा सीट की प्रोफाईल से कराते हैं ।
कोटा लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की तादाद करीब 19 लाख हैं।
कोटा की 6 और बून्दी जिले की 2 विधानसभा क्षेत्रों से मिलकर बनी हैं कोटा संसदीय सीट।
कोटा के विधानसभा क्षेत्र--
कोटा उत्तर
कोटा दक्षिण
लाडपुरा
सांगोद
पीपलदा
रामगंजमंडी
बून्दी जिले के विधानसभा क्षेत्र--
केशवरायपाटन
बून्दी
कोटा लोकसभा सीट पर पिछले 11 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को केवल 3 बार सफलता मिल पायी हैं। कोटा लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के ओंकारलाल बैरवा लगातार चार बार सांसद रहे वहीं बीजेपी के दाऊदयाल जोशी लगातार 3 बार और भाजपा के ही केके गोयल और रघुवीरसिंह कौशल 2-2 बार सांसद रहे। फिलहाल यहां से भाजपा के ओमबिरला सांसद हैं।
भंवर सिंह चरण फर्स्ट इंडिया न्यूज कोटा