जयपुर: आबकारी विभाग के निरीक्षक ही विभाग के बनाए नियमों की धज्जियां उड़ाने में लगे हैं. इससे लघु काशी के नाम से दुनियाभर में पहचान रखने वाले गुलाबीनगर की छवि तो दागदार हो ही रही है शराब कारोबारी धार्मिकस्थलों के आसपास शराब परोसने से भी नहीं हिचकिचा रहे. इससे गुलाबीनगर में कभी भी तनाव की स्थिति बन सकती है. आबकारी निरीक्षकों की मिलीभगत से धार्मिक स्थल, शिक्षा के मंदिर और हमारी विरासत सब बदनुमा होती जा रही है और धर्मनगरी में पनप रही शराब संस्कृति.
शराब संस्कृति कभी भी गुलाबीनगर की पहचान नहीं रही है. पर्यटन नगरी होने के बाद भी पिछले वर्षों तक यहां कभी शराब की दुकानों को धार्मिक स्थल, अस्पताल, शिक्षा के मंदिर सकूल-कॉलेज और मजदूर बस्तियों के पास नहीं खोला गया लेकिन अब हालात अलग हैं. अब आबकारी निरीक्षक मिलीभगत कर धर्म नगरी जयपुर में शराब संस्कृति पनपाने को सहयोग दे रहे हैं और निाशाने पर हैं धामिक स्थल, हमारी विरासत और संवेदनशील क्षेत्र. आबकारी निरीक्षकों का दुस्साहित देखिए पहले तो अस्पताल रोड पर भट्टारक जी की नशियां के ठीक सामने शराब दुकान 'लिकर वर्ल्ड' को लोकेशन मंजूर कर दुकान खुलवा दी और अब आबकारी विभाग के जयपुर ईस्ट के वार्ड संख्या 12, 21, 22, 26, 76 में स्थित दुकान संख्या 7, 8, 9 योजना - A,गोविंदपुरी,रामगढ़ रोड,आमेर रोड पर लाईसेन्सी तुषार चौधरी की लोकेशन बहुत ही संवेदनशील स्थान पर मंजूर कर दुकान खुलवा दी. गब्बर वाइंस नाम की यह दुकान जैन समुदाय की प्रसिद्ध नसिया “श्री दिगंबर जैन नसिया,श्योजी गोधा” और देवस्थान विभाग मे पंजीकृत “रघुनाथजी राधा निवास मंदिर” के सामने ही चल रही है.
ठेकेदारो ने अपना रुतबा दिखाना शुरू कर दिया है
दरअसल विगत दो वर्षो से राज्य सरकार द्वारा शराब की दुकानों की लॉटरी की बजाय नीलामी व्यवस्था शुरू की है जिसके कारण अधिकतर शराब की दुकाने पुराने और बड़े ठेकेदारो द्वारा ही छुड़ायी जा रही है. इसका असर यह हुआ है कि आबकारी विभाग मे इन पुराने ठेकेदारो ने अपना रुतबा दिखाना शुरू कर दिया है. गब्बर वाइंस के नाम से चल रही यह दुकान इसका जीता-जागता उदाहरण है. शराब ठेकेदार के रसूक के चलते आबकारी विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने ना केवल जैन समुदाय की प्रसिद्ध नसिया “श्री दिगंबर जैन नसिया,श्योजी गोधा” और देवस्थान विभाग मे पंजीकृत “रघुनाथजी राधा निवास मंदिर” जो कि विशुद्ध रूप से धार्मिक स्थलो की श्रेणी मे आते है ,को नजर अंदाज कर दिया बल्कि विश्व प्रसिद्ध और एतिहासिक महत्व रखने वाले स्मारक “महारानियों की छतरियाँ” को भी अपनी नजरों से ओझल कर दिया. स्थानीय आबकारी निरीक्षक कर्णिका मेहता की अनुशंसा पर इस दुकान की लोकेशन स्वीकृत की गई है. यदि ऐसा ही रहा तो भविष्य मे आबकारी नियम 75 की धज्जियां उड़ाते हुए अन्य एतिहासिक स्मारकों जैसे सिटी पेलेस,अल्बर्ट हॉल और जंतर मंतर के पास भी शराब की दुकाने खुलते देर नही लगेगी. इसस पहले भी विभाग द्वारा नियमों का हवाला देकर एक शराब दुकान को अति संवेदनशील क्षेत्र में लोकेशन दे दी.
शराब दुकान देने से विभाग की कार्यशैली पर हो गए हैं सवाल खड़े
दरअसल इस शराब दुकान को अस्पताल रोड पर भट्टारक जी की नशियां के ठीक सामने खोला गया है. जहां जैन समाज के धार्मिक कार्यक्रम अकसर होते रहते हैं. यही नहीं 'लिकर वर्ल्ड' नाम की इस दुकान के एक तरफ एसएमएस अस्पतालल, मुख्य सचिव और डीजीपी के बंगले हैं तो दूसरी तरफ राजधानी के व्यस्ततम बस अड्डों में से एक नारायणसिंह सर्किल बस अड्डा. बडी बात यह है कि आबकारी विभाग निरीक्षक ने इन सब तथ्यों को नकार कर इस शराब दुकान की सिर्फ लोकेशन ही पास नहीं की वरन इसका अत्यधिक बड़ा साइज भी पास कर दिया. लिकर वर्ल्ड नाम की इस दुकान को बीस दुकानों के बराबर साइज में खोला गया है. यहां नियमानुसार देशी शराब भी होनी चाहिए है लेकिन वो महज खानापूर्ति के लिए रखी गई है. न यहां रेट लिस्ट है और न ही लाइसेंसी का नाम चस्पा किया गया है. बहरहाल पूरे मामले में अति संवेदनशील इस क्षेत्र में शराब दुकान देने से विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए हैं. अब देखना है कि इस मामले में आबकारी मंत्री और आयुक्त क्या कार्रवाई करते हैं.