लॉकडाउन ने किताबें पढ़ने और खरीदने के तरीके में किया बदलाव- Publishers

लॉकडाउन ने किताबें पढ़ने और खरीदने के तरीके में किया बदलाव- Publishers

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के कारण लगाए गए करीब दो साल के लॉकडाउन ने किताबें पढ़ने और खरीदने के तरीके में खासा बदलाव किया है. पाठक अब ‘डिजिटल पुस्तक’ ज्यादा पढ़ रहे हैं और मुद्रित पुस्तकों को ऑनलाइन माध्यम से ही अधिक खरीद रहे हैं. प्रकाशकों का कहना है कि लॉकडाउन के बाद धार्मिक किताबों में पाठकों की रूचि काफी बढ़ी है.

यहां साहित्य अकादमी परिसर में आयोजित पुस्तक मेले “पुस्तकायन” में आए प्रकाशकों का मानना है कि लॉकडाउन के दौरान और बाद में धार्मिक किताबें पढ़ने वाले पाठकों की संख्या बढ़ी है. इसके अलावा अधिक संख्या में लोग उपन्यास, कहानी व शायरी की पुस्तकें पढ़ने लगे हैं.

डिजिटल किताब पढ़ने में नहीं आता है:
प्रकाशकों का यह भी कहना है कि मेले को प्रतिक्रिया तो अच्छी मिल रही है, लेकिन किताबों की बिक्री ज्यादा नहीं हो रही. उनके मुताबिक, लोग या तो डिजिटल किताबें पढ़ रहे हैं या ऑनलाइन माध्यम से मुद्रित पुस्तकों को खरीद रहे हैं, क्योंकि वहां पर अच्छी छूट मिलती है. हालांकि अब भी लोगों का कहना है कि मुद्रित किताब को पढ़ने और उसके पन्नों को स्पर्श करने और पन्ना पलटने में जो मज़ा आता है, वे डिजिटल किताब पढ़ने में नहीं आता है.

30 से अधिक प्रमुख प्रकाशक हिस्सा ले रहे:
अकादमी के मुताबिक, शुक्रवार से शुरू हुआ पुस्तक मेला 18 नवंबर तक चलेगा. इसकी थीम “ बाल साहित्य” रखी गई है. हालांकि मेले में सभी तरह की किताबें मिल रही हैं. मेले में 30 से अधिक प्रमुख प्रकाशक हिस्सा ले रहे हैं. मेले में आए प्रकाशक ‘पेंगुइन इंडिया’ के मंसूर खान ने ‘पीटीआई-भाषा’ को ऑनलाइन माध्यम से किताबों की अधिक बिक्री होने की वजह बताते हुए कहा कि ऑनलाइन माध्यम से किताब खरीदने पर जितनी अधिक छूट मिलती है, उतनी पुस्तक दुकानदार दे ही नहीं सकता है. इसलिए किताबों की ऑफलाइन बिक्री में गिरावट आई है, लेकिन कुल मिलाकर किताबों की बिक्री बढ़ी है. लोग ज्यादा तादाद में किताबें पढ़ने हैं.“

धार्मिक किताबें ज्यादा पढ़ी, खासकर भगवत गीता:
मेले में आए 22 वर्षीय राहुल अभिनेता बनने के लिए किस्मत आज़मा रहे हैं. उनका कहना है कि ई-पुस्तक पढ़ने की तुलना में पारंपरिक किताबें पढ़ने में ज्यादा अच्छा लगता है, क्योंकि किताब को स्पर्श करने और पन्ने पलटने में एक अलग ही किस्म का सुकून मिलता है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में उनके परिवार के सदस्यों ने धार्मिक किताबें ज्यादा पढ़ी, खासकर भगवत गीता.

खासी संख्या में किताबें खरीदकर पढ़ने लगे:
दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई कर रहे मून ने बताया कि उन्हें किताबें पढ़ने का शुरू से ही शौक है लेकिन लॉकडाउन के दौरान उनके ऐसे दोस्तों ने भी उनसे अच्छी किताबों के बारे में जानकारी लेना शुरू किया, जो पुस्तकें नहीं पढ़ते थे. और अब उनके दोस्त भी अच्छी खासी संख्या में किताबें खरीदकर पढ़ने लगे हैं. थिएटर कलाकार दीपक ने कहा कि मेरे पिता किताबें नहीं पढ़ते थे, लेकिन उन्होंने लॉकडाउन में मुझसे किताबें लेकर पढ़ना शुरू किया. वैसे, मेरे दोस्तों को ऑनलाइन पुस्तकें पढ़ना ज्यादा पसंद है. पेंगुइन इंडिया के खान ने बताया कि लोग धार्मिक किताबें अधिक पढ़ने लगे हैं और हिंदू धर्म से जुड़ी सभी किताबों की बिक्री में इजाफा हुआ है.

उपन्यास, शायरी, कहानी की किताबें खरीद रहे:
‘राजकमल प्रकाशन’ के राजेश ने बताया कि लोग अपने पसंदीद लेखकों की किताबों की तलाश में आ रहे हैं. वे धार्मिक किताबों के अलावा, उपन्यास, शायरी, कहानी की किताबें खरीद रहे हैं.उन्होंने कहा कि लोग प्रगति मैदान में लगने वाले विश्व पुस्तक मेले के बारे में भी पूछ रहे हैं कि वह कब आयोजित होगा. कोविड के कारण 2021 में नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला ऑनलाइन आयोजित किया गया था और 2022 में ये आयोजित नहीं हुआ था.

पुस्तकें पढ़ने वालों की संख्या में इज़ाफा हुआ:
मेले के आयोजक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) की एक अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि ये पुस्तक मेला अगले साल 25 फरवरी से पांच मार्च तक आयोजित होगा. प्रभात प्रकाशन के गौरव सिंह ने बताया कि यह सही है कि लॉकडाउन में किताबें पढ़ने की ललक बढ़ी है और पुस्तक पढ़ने वाले लोगों की संख्या में भी इज़ाफा हुआ है, लेकिन ऑनलाइन किताबों का चलन बढ़ा है. उन्होंने कहा, “ हमने बीते दो साल में करीब 600 नई किताबें निकाली हैं . यह बताता है कि पुस्तकें पढ़ने वालों की संख्या में इज़ाफा हुआ है. सोर्स-भाषा