समदड़ी(बाड़मेर): जिले को प्रदेश में कहीं पर भी काले पानी की सजा का जिक्र होने पर याद किया जाता है. असल में मरुस्थल के सबसे बड़ा रेगिस्तान बाड़मेर जिले को माना जाता है ,क्योंकि यहां पर पानी के अभाव में दर-दर भटकने को लोग मजबूर रहते हैं. कई किलोमीटर दूर तक पानी की एक-एक बूंद के लिए लोग तरसते हैं, लेकिन इन दिनों इंद्रदेव की मेहरबानी से पाली जिले में जमकर बारिश के बाद तेज तूफान के साथ पहुंची लूनी नदी लोगों के लिए जीवनदान बन कर आई है.
मरूगंगा लूनी नदी ने आकर चारों तरफ हरियाली फैला दी:
वनस्पति का अभाव रेगिस्तान के रेतीले धोरों में जहां नजर घुमाओ वहां मरूभूमि नजर आती है. इसलिए इस लुणी नदी को मरूगंगा का नाम दिया गया. इन दिनों मरूगंगा लूनी नदी ने आकर चारों तरफ हरियाली फैला दी है. मरूगंगा के नाम से प्रसिद्ध लूनी नदी अजमेर से पाली, पाली से धुंधाड़ा, धुंधाड़ा से समदड़ी, समदड़ी से बालोतरा, बालोतरा से सिणधरी होते हुए कच्छ के समुंदर में जा कर के मिलती है. पिछले 1 साल से सुनी पड़ी नदी में इन दिनों पानी की जमकर आवक हुई है जिससे किसानों सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों में मानो जल ही जीवन वाली बात प्रकृति ने सिद्ध कर दी.
कई वर्षों बाद तीनों नदियां एक साथ चली:
लूणी के साथ सुकड़ी और बांडी नदी ने भी परवान के साथ चलकर मिलन किया है. कई वर्षों के बाद यह तीनों नदियां एक साथ मिलकर चली है. ड्रोन के जरिए हमारे फर्स्ट इंडिया न्यूज सवांददाता राजेश भाटी ने पूरी लूनी नदी का विहंगम दृश्य कैमरे में कैद किया, जहां पूरी बंजर भूमि चारों तरफ हरियाली से लहरा उठी है.