जयपुर: आज नवरात्रि का तीसरा दिन है. देशभर में लॉकडाउन के बीच लोग घरों में मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना कर रहे है. इनके सर पर घंटे के आकार का चन्द्रमा है. इसलिए इनको चंद्रघंटा कहा जाता है. इनके दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र हैं और इनकी मुद्रा युद्ध की मुद्रा है. मां चंद्रघंटा तंत्र साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती हैं. मान्यताओं के मुताबिक शेर पर सवार मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों के कष्ट हमेशा के लिए खत्म हो जाते हैं. इन्हें पूजने से मन को शक्ति और वीरता मिलती है. ज्योतिष में इनका संबंध मंगल नामक ग्रह से होता है.
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ऐसे कीजिए मां चंद्रघंटा की आराधना:
मां चंद्रघंटा की पूजा लाल वस्त्र धारण करके करना श्रेष्ठ होता है. मां को लाल पुष्प, रक्त चन्दन और लाल चुनरी समर्पित करना उत्तम होता है. इनकी पूजा से मणिपुर चक्र मजबूत होता है और भय का नाश होता है. अगर इस दिन की पूजा से कुछ अद्भुत सिद्धियों जैसी अनुभूति होती है, तो उस पर ध्यान न देकर आगे साधना करते रहनी चाहिए. आज की पूजा लाल रंग के वस्त्र धारण करके करें. मां को लाल फूल, ताम्बे का सिक्का या ताम्बे की वस्तु और हलवा या मेवे का भोग लगाएं.
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जीवन के सभी दुखों का होगा अंत:
हर देवी के हर स्वरूप की पूजा में एक अलग प्रकार का भोग चढ़ाया जाता है. कहते हैं भोग देवी मां के प्रति आपके समर्पण का भाव दर्शाता है. मां चंद्रघंटा को दूध या दूध से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए. प्रसाद चढ़ाने के बाद इसे स्वयं भी ग्रहण करें और दूसरों में बांटें. देवी को ये भोग समर्पित करने से जीवन के सभी दुखों का अंत हो जाता है.