जयपुर: मंत्रियों का स्टाफ और अन्य स्टाफ ही सचिवालय में सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहा है. इससे तंग आकर अब डीओपी की सुरक्षा विंग हरकत में आई है. उसने मंत्रियों और अन्य स्टाफ की ओर से महज फोन पर बताकर वाहनों की एंट्री कराने पर रोक लगा दी है. इसके बजाय पास लेकर प्रवेश की व्यवस्था से सुरक्षा में सुधार आने का दावा तो किया जाता रहा है लेकिन सुरक्षा के लिहाज से अहम सुधार करने वाले कदम नहीं उठाए जाने से अभी भी खासे सवाल उठाए जा रहे हैं. सचिवालय की सुरक्षा ताक पर रख दी गई है. जी हां...मंत्रियों का स्टाफ या अन्य स्टाफ ही यह खिलवाड़ कर रहा है. सचिवालय के तीन अहम गेटों में से यह स्टाफ सुरक्षा अधिकारियों को महज गाड़ी का नंबर लिखाकर एंट्री करवा देता है. चूंकि यह फोन दिन-प्रतिदिन के परिचित स्टाफ की ओर से होता है तो ऐसे में इजाजत दी जाती है, लेकिन इसके चलते सुरक्षा को लेकर खतरा हो रहा है.
क्या है आपत्ति ?
-दरअसल स्टाफ की ओर से फोन पर वाहन नंबर लिखाया जाता है.
-संबंधित सुरक्षा अधिकारी जिस गेट से गाड़ी आ रही है उसके गार्ड को सूचित करता है और वाहन का प्रवेश हो जाता है.
-जब ऐसा होता है तब ही सुरक्षा प्रक्रिया की बड़ी खामी नजर आती है.
-क्योंकि जब वाहन का प्रवेश होता है तो यह नहीं देखा जाता कि वाहन में कितने आदमी है.
-साथ ही इन आगंतुकों में से कितने वैध पासधारी हैं, यह भी पता करने की नहीं उठाई जाती जहमत.
-लिहाजा सिर्फ एक फोन से वाहन में बैठकर कितने भी आगंतुक बिना पास के प्रवेश कर सकते हैं. अक्सर ऐसा होता रहा है जिसे मानी जाती है सुरक्षा की बड़ी खामी.
-हाल ही में जब सचिवालय कर्मचारियों और लेखा सेवा अधिकारियों का टकराव सामने आया तब भी कई बाहरियों की जानकारी आई थी सामने.
-वहीं पूर्व में पटवार संघ,सरपंचों के जुटने का भी मामला सामने आता रहा है.
-यही नहीं, जब तब बेरोजगार संघ से जुड़े पदाधिकारी और प्रतिनिधि चक्कर लगाते देखे जा सकते हैं.
क्या जारी किया आदेश ?:
-अब स्टाफ की ओर से फोन पर गाड़ी नंबर लिखाकर वाहन प्रवेश नहीं दिया जाएगा.
-इस प्रक्रिया पर लगा दी गई है रोक
-सचिवालय के हर आगंतुक को बनवाना होगा वैध तरीके से पास.
-पास से ही हो सकेगी सचिवालय में एंट्री.
-इससे वाहन की 1 बार एंट्री के बाद जिस तरह दिनभर घूमते हैं बाहरी अवांछनीय लोग
उन पर लग सकेगी प्रभावी रोक:
यह सुरक्षा को लेकर उठाया गया महज छोटा सा कदम है लेकिन इसके साथ ही अन्य एहतियाती उपाय क्यों नहीं किए गए, ये सवाल भी सुलग रहे हैं.
सुलग रहे हैं ये सवाल:
-स्वागत कक्ष में आगंतुक हो गया सचिवालय के कर्मचारी सभी के लिए एंट्री और एग्जिट प्वाइंट अलग-अलग होने थे लेकिन ऐसा क्यों नहीं किया गया ?
-इसके बजाय कर्मचारियों के लिए एक एंट्री और एग्जिट प्वाइंट रखा गया है तो आगंतुकों के लिए एक एंट्री पर एग्जिट प्वाइंट रखा गया है
-यह व्यवस्था भी अभी एक्सपेरिमेंटल रखी गई है तो यह प्रयोग कब तक चलेगा ?
यह हुई थी सुरक्षा खामी:
-10 अक्टूबर 2021 को राधेश्याम मौर्य के एक व्यक्ति को पकड़ा गया था.
-यह तब हुआ जब सीएम गहलोत सचिवालय के नए बने रिसेप्शन का उद्घाटन करने वाले थे.
-मौर्य पहले की तरह सुरक्षा को धता बताते हुए पूर्व संयुक्त सचिव,वित्त टीना डाबी के कक्ष में घुस गया था.
-इससे पूर्व 17 अगस्त 2021 को भी वह डाबी के कक्ष में घुसा था.
-तब सचिवालय के सुरक्षा अधिकारियों ने उससे बिना आईडी लिए जाने दिया था.
-तब वह शख्स बिना पास के घुसा था.
-यूपी के सिद्धार्थ नगर के रहने वाले इस शख्स ने सचिवालय के खोखले सिस्टम का फायदा उठाया था.
-तब शख्स को पकड़ा तो सही लेकिन न तो उसकी आईडी ली गई और न ही गहन पूछताछ की गई.
-पकड़ने के बाद पुलिस को नहीं बुलाया और छोड़ने से पहले उच्चाधिकारियों को नहीं बताने की भी चर्चा है.
ऐसे में फिर एक बार आईबी की पुरानी रिपोर्ट के आधार पर सुरक्षा के तमाम उपाय करके व्यवस्था को हाईटेक बनाने की मांग की जा रही है.