VIDEO: अधिकारियों और बिचौलियों ने जमकर बांटे लोन, अब वसूली में आ रहे हैं पसीने, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: राजस्थान में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को आर्थिक तौर पर मजबूत करने गरीबी रेखा से उपर उठाने के लिए केन्द्र सरकार और राज्य सरकार लोन योजना लेकर आई लेकिन इस योजना में बड़ा घपला हो गया. राजस्थान अल्पसंख्यक वित एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड की और से पिछले 2 दशकों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगो को जमकर लोन दिया गया लेकिन आधे से ज्यादा लोन बिचौलियौ और विभाग के अधिकारियों ने बंदरबांट कर ऐसे लोगों को बांट दिए जिनके  नाम पते तक सही नही थे यही नही कुछ तो ऐसे भी लोग है जो लोन जमा कराने में समर्थ ही नही है. 

- अल्पसंख्यक लोन के नाम पर बड़ा फर्जीवाड
-टारगेट बढ़ाने के लिए जमकर बाटे लोन
-अब वसूली में आ रहे है विभाग को पसीने
- ना लोनी मिल रहे है ना है बकाया लोन का पैसा
-समुह के नाम पर बाटे गए लोन में भी हुआ जमकर फर्जीवाडा
- ना पता सही...ना नाम सही...जिनकों लोन दिए वो हो गए गायब
- आखिर दोषियों पर कब होगी कार्रवाई
- और जनता की गाड़ी कमाई का पैसा कब होगा वसूल

राजस्थान में अल्पसंख्यक वित एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड की और से अल्पसंख्यक समुदाय के लोगो को लोन बाटा जा रहा है. अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम ने शुरूआती दौर में 2002 से 2009 तक अनुजा निगम की और से अल्पसंख्यक समुदाय के लोगो को लोन बांटने की जिम्मेदारी दी. 2009 में ये अल्पसंख्यक समुदाय को लोन बाटने की जिम्मेदारी अल्पसंख्यक मामलात विभाग को दे दी गई. जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी अपने स्तर पर ही लोन बाटने लगे सरकार का मकसद था कि ज्यादा से ज्यादा अल्पसंख्यक समुदाय के लोगो को लोन देकर आर्थिक तौर पर मजबूत किया जाए. जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों ने इसी बात का फायदा उठाया. लोन के आंकड़े ज्यादा दिखाने के लिए बिचौलियों की मदद से फर्जीवाडा शुरू किया गया. गली गली बिचौलिये ऐसे लोगो के दस्तावेज लेकर अल्पसंख्यक विभाग में लोन के लिए आवेदन करने लगे जिनकों ना तो लोन की जरूरत थी और ना ही लोन के बारे में कुछ पता था. जब पैसा अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने पास कर दिया तो बिचौलियों ने जिसके नाम से लोन लिया उसकों कुछ पैसा देकर सारा पैसा अधिकारियों और खुद के बीच में बांट लिया. ये खेल सालों तक चलता रहा लेकिन किसी ने रोकने की जहमत तक नही उठाई.

पिछले 20 सालों में बाटे गए लोन पर अगर नजर डाले तो 2002 से 2022 तक 29082 अल्पसंख्यक समुदाय के लोगो को 173 करोड़ 43 लाख 78 हजार रू के लोन बाटे गए. ऐसे में लोन रिकवरी नही होने पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम ने राजस्थान को लोन राशि देने से इंकार कर दिया. क्योकि राजस्थान में बांटे गए लोन विभाग की और से वसूले नही गए. ऐसे में राजस्थान  अल्पसंख्यक वित एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड वन टाईम सेटलमेंट की योजना भी लाया लेकिन कोई लाभ नही मिला. वसुंधरा सरकार के समय में भी अल्पसंख्यक ऋण अमाफी  योजना लागू निश्चित अवधी के लिए लागू की गई लेकिन फिर भी कोई लाभ नही मिल पाया फिर वर्तमान सरकार ने भी  अल्पसंख्यक ऋण अमाफी  योजना लागू की इस योजना में अधिकांश लोन लेने वालों अल्पसंख्यक समुदाय के लोगो के लोन की राशि में से  80-70व 60 प्रतिशत अलग अलग समय अनुसार राज्य सरकार ने जमा करवा दी लेकिन इसके बावजूद भी वर्तमान समय में 64 करोड़ 84 लाख रू की रिकवरी नही हो पाई है. क्योकि अधिकांश लोनी ने राशि जमा कराने से इंकार कर दिया और कई लोगो के नाम पते सही नही होने पर लोन की वसूली नही हो पाई.

आईए अब आपकों बताते है किसी जिले में कितने का लोन है बकाया
जयपुर   16 करोड़ 32 लाख 20 हजार
नागौर    4 करोड़ 66 लाख 72 हजार
जैसलमेर  3 करोड़ 37 लाख
चूरू      3 करोड़ 08 लाख 35 हजार
भरतपुर   3 करोड़ 3 लाख 94 हजार
टोंक     2 करोड़ 3 लाख 55 हजार
अलवर    2 करोड़ 81 लाख 28 हजार
बीकानेर   2 करोड़ 25 लाख 41 हजार
कोटा     2 करोड़ 66 लाख 11 हजार
अजमेर   1 करोड़ 37 लाख 90 हजार
बासवाड़ा  1 करोड़ 25लाख 24 हजार
बारां     1 करोड़ 41लाख 03 हजार
बाड़मेर   1 करोड़ 67लाख 72 हजार
दौसा     1 करोड़ 32 लाख 20 हजार
धौलपुर   1करोड़ 80 लाख 80 हजार
झालावाड 1करोड़ 95 लाख 67 हजार
जोधपुर  1 करोड़ 97 लाख 54 हजार
करौली   1 करोड़ 52 लाख 16 हजार
प्रतापगढ़   1 करोड़ 61 लाख 06 हजार
उदयपुर    1 करोड़ 90 लाख 95 हजार
सिरोही     1करोड़ 37 लाख 15 हजार
भीलवाड़ा   55 लाख 44 हजार
बूदीं       39 लाख 23 हजार
चितौड़गढ़  70 लाख
डुगरपुर    31 लाख 62 हजार
हनुमानगढ़  8 लाख 88 हजार
जालोर      21 लाख 67 हजार
झुन्झुनु   36 लाख 08 हजार
पाली     37 लाख 86 हजार
राजसमंद  76 लाख 83 हजार
सवाई माधोपुर 63 लाख 93 हजार
सीकर       15 लाख 59 हजार
श्री गंगानगर  82 लाख 94 हजार

लोन में फर्जीवाडे के लिए कौन जिम्मेदार

अल्पसंख्यक समूह लोन में क्यो बतरी लापरवाही

आखिर क्यो नियमों को ताक में रखकर बांटे गए लोन

जिम्मेदार अधिकारियों पर कब होगी कार्रवाई

क्यो लोन लेने वालों के खिलाफ नही की गई कानूनी कार्रवाई

आखिर क्यो जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में अपने दूसरे विभाग के लोगो दी प्रतिनियुक्ति

प्रतिनियुक्ति और संविदा पर लगाए गए अधिकारियों ने क्यो बरती लापरवाही

क्या प्रतिनियुक्ति या संविदा पर लगाए गए अधिकारियों पर भी होगी कार्रवाई

ये सवाल इस लिए पूछ रहे है कि राजस्थान में  अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम की ओर से अल्पसंख्यकों को स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए लोन दिए गए अप्रैल, 2013 से समूह के एक सदस्य को 50 हजार तक का लोन 6 प्रतिशत की ब्याज दर पर दिया जा गया. अल्पसंख्यक मामलात विभाग जयपुर के दस्तावेजों की जांच में सामने आया कि वर्ष 2012-15 तक 42 स्वयं सहायता समूह, जिसमें 487 अल्पसंख्यक लाभार्थी शामिल थे, उनको 1.27 करोड़ रुपए का लोन वितरित किया.  मार्च, 2020 तक 28 सहायता समूहों से केवल 17 लाख यानी 13 प्रतिशत राशि ही वसूल की जा सकी. शेष 14 समूहों में से उन्हें वितरित 51 लाख रुपए में से एक भी किश्त जमा नहीं करवाई गई. वजह रही दस्तावेजों में जो नाम-पते बताए गए थे, अधिकारी वसूली के लिए वहां पहुंचे तो वे फर्जी निकले. उनके नाम के कोई व्यक्ति नहीं रहते थे.  ऐसा सिर्फ राजधानी जयपुर में नही बल्कि प्रदेश के अलग अलग जिलों में भी हुआ. मामला सामने आने के बाद विभाग के अधिकारी अपने फर्जीवाड़े पर पर्दा डालने में जुट गए.
लोन से अल्पसंख्यक समुदाय का उत्थान होना था लेकिन अधिकारियों और बीचौलिया ने अपना उत्थान कर लिया ऐेसे में अब सवाल ये उठता है कि दोषियों पर कार्रवाई आखिर कब होगी.

...फर्स्ट इंडिया के लिए जियाउद्दीन खान की रिपोर्ट, जयपुर