भीलवाड़ा: आज आंवला नवमी के अवसर पर महिलाओं ने आंवला के वृक्ष की पूजा कर रोग नाश और पुत्र प्राप्ती की कामना की. इस दौरान महिलाओं ने वृक्ष पर 108 आंवला की माला बनाकर भी चढ़ाई.
निरोगी काया और पुत्र रत्न की प्राप्ती के लिये की जाती है आंवले की पूजा:
पूजा करने आयी महिलाओं ने कहा कि पुरातन काल में काशी में रहने वाले वैश्य दम्पत्ति को पुत्र प्राप्ती नहीं हुई तो महिला को किसी ने बताया कि उसे भैरू बाबा को बच्चे की बली देनी होगी. इस पर महिला ने एक दिन मौका पाकर कुएं में एक बालिका को धक्का देकर उसकी बली दे दी. इसका उस पर विपरित प्रभाव पड़ा और उसे कोढ़ हो गया. उसने इसके निदान के लिए माता गंगा के कहने पर कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमीं को आंवला के वृक्ष की पूजा की और उसे पर 108 आंवला की माला चढ़ाई. जिसके बाद उसका कोढ़ खत्म हो गया और उसे पुत्र रत्न की प्राप्ती हुई. इसी मान्यता के अनुसार यह पूजा निरोगी काया और पुत्र रत्न की प्राप्ती के लिये की जाती है.