मुंबई: जनसंख्या नियंत्रण (Population Control) को लेकर भारत सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के बाद भी आमजन नहीं समझ रहा है. अदालतों में कई बार जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जनहीत याचिकाएं भी लगाई जाती है, उन पर अदालत (Court) सख्ती भी दिखाती है किंतु समाज है कि मानता ही नहीं है. ऐसे में बंबई उच्च न्यायालय (Bambai High Court) ने एक सिविल अदालत के 2018 के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें शिवसेना नेता अनिता मागर (Shiv Sena leader Anita Magar) के महाराष्ट्र में सोलापूर महानगरपालिका (Solapur Municipal Corporation) के पार्षद के तौर पर निर्वाचन को यह पता चलने के बाद रद्द कर दिया था कि उनके दो से ज्यादा बच्चे हैं.
24 मई को दिया गया था जीत रद्द करने का आदेश:
एकल पीठ के न्यायाधीश सी वी भडांग (Single Bench Judge CV Bhadang) ने 2018 के आदेश को चुनौती देने वाली मागर की याचिका खारिज कर दी है. यह आदेश 24 मई को दिया गया जिसकी एक प्रति मंगलवार शाम को उपलब्ध कराई गयी. न्यायाधीश भडांग ने अपने आदेश पर चार हफ्तों के लिए रोक लगा दी ताकि मागर इसे चुनौती के लिए कोई अपील दायर कर सकें और अन्य उपलब्ध कानूनी उपाय का इस्तेमाल कर सकें.
सोलापुर महानगरपालिका चुनाव में जीता था पार्षद:
उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, 2017 में सोलापुर महानगरपालिका चुनाव में मागर तथा तीन अन्य प्रत्याशियों ने वार्ड नंबर 11 (सी) से चुनाव लड़ा था. इनमें से किसी उम्मीदवार के नामांकन (Nomination of Candidate) में कोई आपत्ति नहीं थी और 23 फरवरी 2017 को मागर को निर्वाचित घोषित कर दिया गया. उन्हें सबसे अधिक 4,955 मत मिले थे और उन्होंने भाग्यलक्ष्मी महंत को पराजित किया जिन्हें 3,422 मत मिले थे. महंत ने चुनाव नतीजों को चुनौती दी और सोलापुर अदालत (Solapur Adalat) में एक याचिका दायर कर मागर के चुनाव को रद्द करने की मांग की क्योंकि उनके दो से ज्यादा बच्चे हैं और यह राज्य के दो बच्चे के नियम का उल्लंघन (Rule Violation) है।