नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में जारी परिसीमन प्रक्रिया तेज गति से पूरी होनी है ताकि वहां विधानसभा चुनाव कराए जा सकें और एक निर्वाचित सरकार का गठन हो सके जो प्रदेश के विकास को मजबूती दे.
सूत्रों के अनुसार जम्मू-कश्मीर के 14 राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ साढ़े तीन घंटे की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने इसमें शामिल नेताओं को कश्मीर में हर मौत की घटना पर अपना व्यक्तिगत दुख व्यक्त किया, चाहे वह निर्दोष नागरिक की हो, किसी कश्मीरी लड़के की जिसने बंदूक उठाई थी या सुरक्षा बलों के किसी सदस्य की.
मोदी ने बैठक के बाद कई ट्वीट करके कहा कि विचार-विमर्श एक विकसित और प्रगतिशील जम्मू-कश्मीर की दिशा में चल रहे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम था, जहां सर्वांगीण विकास को आगे बढ़ाया गया है. उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना है. परिसीमन तेज गति से होना है ताकि वहां चुनाव हो सकें और जम्मू-कश्मीर को एक निर्वाचित सरकार मिले जो जम्मू-कश्मीर के विकास को मजबूती दे.
Our priority is to strengthen grassroots democracy in J&K. Delimitation has to happen at a quick pace so that polls can happen and J&K gets an elected Government that gives strength to J&K’s development trajectory. pic.twitter.com/AEyVGQ1NGy
— Narendra Modi (@narendramodi) June 24, 2021
मोदी ने कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है कि लोग एक मेज पर बैठकर विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि मैंने जम्मू-कश्मीर के नेताओं से कहा कि लोगों, खासकर युवाओं को जम्मू-कश्मीर का राजनीतिक नेतृत्व देना है और यह सुनिश्चित करना है कि उनकी आकांक्षाएं पूरी हों.
Our democracy’s biggest strength is the ability to sit across a table and exchange views. I told the leaders of J&K that it is the people, specially the youth who have to provide political leadership to J&K, and ensure their aspirations are duly fulfilled. pic.twitter.com/t743b0Su4L
— Narendra Modi (@narendramodi) June 24, 2021
प्रधानमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर बैठक की अध्यक्षता की:
प्रधानमंत्री ने यहां अपने सरकारी आवास पर बैठक की अध्यक्षता की. यह 5 अगस्त, 2019 के बाद से केंद्रीय नेतृत्व और जम्मू कश्मीर की मुख्यधारा की पार्टियों के बीच पहली बातचीत थी, जब केंद्र ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान समाप्त करके जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द कर दिया था और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था.
बैठक में राज्य के चार पूर्व सीएम और डिप्टी सीएम शामिल हुए:
बैठक में भाग लेने वाले तत्कालीन राज्य के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों में नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला, कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती शामिल थीं. चार पूर्व उपमुख्यमंत्री भी बैठक में उपस्थित थे - कांग्रेस के तारा चंद, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता मुजफ्फर हुसैन बेग और भाजपा के निर्मल सिंह तथा कविंदर गुप्ता. माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी, जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी (जेकेएपी) प्रमुख अल्ताफ बुखारी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद लोन, जम्मू कश्मीर कांग्रेस प्रमुख जी ए मीर, भाजपा के रवींद्र रैना और पैंथर्स पार्टी के नेता भीम सिंह ने भी बैठक में हिस्सा लिया.
सुरक्षा बल खुद स्थिति को नहीं बदल सकते:
सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा कि सुरक्षा बल खुद स्थिति को नहीं बदल सकते हैं और उन्होंने सभी नेताओं से व्यक्तिगत रूप से जानमाल के नुकसान को रोकने के लिए खुद को शामिल करने का आह्वान किया. चुनाव के माध्यम से त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रणाली की स्थापना और ब्लॉक एवं जिला विकास परिषद के गठन की पृष्ठभूमि में, जम्मू कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और कैसे बढ़ावा दिया जाए, इस पर इस बैठक में विस्तृत विचार-विमर्श किया गया.
परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद विधानसभा चुनाव तेजी से कराए जाएंगे:
एक सूत्र ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सभी दलों को आश्वासन दिया कि वे परिसीमन प्रक्रिया का एक अभिन्न हिस्सा होंगे और उनके विचारों को साथ लिया जाएगा. तदनुसार, उन्होंने उनसे इसे जल्द से जल्द पूरा करने के लिए प्रक्रिया में भाग लेने का आग्रह किया. सूत्र ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद विधानसभा चुनाव तेजी से कराए जाएंगे. उन्होंने विशेष रूप से कहा कि जन प्रतिनिधियों द्वारा चलायी जाने वाली सरकार का कोई विकल्प नहीं है. बैठक में कई प्रतिभागियों ने राज्य का दर्जा बहाल करने का मुद्दा उठाया. सूत्र ने कहा कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की अपनी पिछली सार्वजनिक प्रतिबद्धताओं को दोहराया. सोर्स- भाषा