जयपुर: प्रदेश कांग्रेस के नये अध्यक्ष को पार्टी फंड की स्थिति से जूझना पड़ेगा, सत्ता में होते हुये भी पीसीसी का खजाना खाली है. कांग्रेस के नेता मंत्री और विधायक बन गए हैं, लेकिन पार्टी फंड में पैसा जमा करवाने में अब भी कंजूस है. करीब 25 फीसदी नेताओं ने ही अभी तक पार्टी फंड में पैसा जमा करवाया है. मनमोहन कमेटी की सिफारिशों के बाद बने हुए नियमों के मुताबिक मंत्री, विधायकों और लाभ के पदों पर बैठे नेताओं को एक महीने का वेतन हर साल पार्टी फंड में जमा करवाने का नियम है. पीसीसी सदस्यों को सालाना 300 रुपए और एआईसीसी सदस्यों को 600 रुपए सालाना पार्टी फंड में जमा करवाना होता है. नियमित रुप से राशि देने में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अव्वल है, सचिन पायलट ने भी समय पर पर पैसा जमा कराया है. करीब 20 विधायकों ने ही राशि दी है.
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मनमोहन कमेटी के मुताबिक 31 दिसंबर तक पार्टी फंड में मंत्री विधायकों को पैसा जमा करवाना था. सीएम अशोक गहलोत नियमित तौर पर अपनी ओर से सहयोग राशि चैक के जरिए जमा करवाते है जिससे संगठन का काम चलें. कांग्रेस के कई मंत्री और नेताओं को भी पार्टी फंड में राशि जमा करानी होती है. अभी जिन प्रमुख मंत्रियों और विधायकों ने जो राशि भेजी है वो इस प्रकार है. संख्या बेहद कम है.
-- उदय लाल अंजना
-- प्रमोद जैन भाया
-- सुदर्शन रावत
-- गुरुमीत सिंह कुन्नर
-- विनोद लीलावाली
-- इंद्राज गुर्जर
-- परसादी लाल मीना
-- प्रशांत बैरवा
----पी सी सी को सहयोग राशि नहीं जमाने कराने वाले दिग्गज---
- डॉ बी डी कल्ला
- लालचंद कटारिया
- हरीश चौधरी
- प्रताप सिंह खाचरियावास
- भंवर सिंह भाटी
- टीकाराम जूली
- भजन लाल जाटव
- राजेन्द्र यादव
खास बात है पार्टी नकद पैसा नहीं लेती, चैक से ही पैसा पार्टी फंड में जमा कराना होता है, किसी भी तरह का चुनाव लड़ने से पहले पार्टी से नो ड्यूज सर्टिफिकेट लेना होता है, ऐसे में कांग्रेस में चुनावों के वक्त ही ज्यादातर नेता पार्टी फंड का बकाया चुकाते हैं. नये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा के सामने चुनौती है पीसीसी का खाली खजाना कैसे भरा जाये.
...फर्स्ट इंडिया के लिये योगेश शर्मा की रिपोर्ट