जयपुर: गोविन्द गुरु की धरती और मामा बालेश्वर दयाल की कर्मस्थली वागड़ की अपनी अलग पहचान है. राजस्थान की इस दक्षिण पट्टी में ना केवल राजस्थान बल्कि गुजरात और एमपी से आने वाली सियासी हवा का असर होता है. बेणेश्वर के किनारे बैठे मावजी महाराज का मंदिर संपूर्ण देश के आदिवासियो का तीर्थ स्थल है तो राजस्थान का जलियांवाला कहा जाने वाला मानगढ़ है आस्था का धाम. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी पवित्र धरती को नमन करने आ रहे राजस्थान. मानगढ़ से जाता है गुजरात की आदिवासी बहुल सीटों पर सीधा संदेश और गुजरात में बह रही है चुनावी बयार.
इसे सियासी संयोग ही कहा जा सकता है कि पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत इन दिनों राजस्थान और गुजरात के बॉर्डर की यात्राएं कर रहे. पीएम मोदी गुजरात और राजस्थान बॉर्डर पर मौजूद आदिवासी तीर्थ मानगद आने वाले है. उधर अमित शाह ने हाल ही में गुजरात चुनावों को लेकर बनास डेयरी पर मीटिंग ली. सीएम गहलोत भी राजस्थान से सटे गुजरात के दौरे पर है,यह आदिवासी बहुल इलाके है. बहरहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानगढ़ आने प्रस्तावित कार्यक्रम कई मायनों से अहम है. बतौर गुजरात सीएम नरेंद्र मोदी ने गोविंद गुरु की धरती मानगढ़ को विकसित करने में योगदान दिया था. इस धरती के महत्व को देश के सामने रखने मे रोडमेप बनाने का कार्य किया था.
---मानगढ़ का महत्व---
- गोविंद गुरु की अगुवाई में यहां देश की आजादी के लिए क्रांति का बिगुल बजा
- अंग्रजी हुकूमत से लोहा लेते हुए हजारों वनवासियों ने मां भारती के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए
- इसके बाद वागढ़ का मानगढ क्रांति का अग्रदूत बन गया और गोविन्द गुरु मिसाल.
भारत की आजादी के लिए. क्रांतिकारी गोविंद गुरु के नेतृत्व में 17 नवम्बर 1913 को मानगढ़ पर हजारों आदिवासियों ने अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लिया और मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति दी. आज हर बरस यहां मेले लगते है और मानगढ़ पर्वत को आदिवासी एक तीर्थ के रुप में पूजते है. गोविंद गुरु को भगवान की तरह पूजा जाता है. चाहे सरकार कांग्रेस की रहे या बीजेपी की. मानगढ़ धाम को विकसित करने में अपना योगदान दिया. गोविंद गुरु का धूना और भव्य स्मारक आज यहां स्थापित है. स्थापित है महान आंदोलन को याद दिलाने वाला पैनोरमा. हाल ही में विश्व आदिवासी दिवस पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मानगढ़ पहुंचकर गोविंद गुरु को नमन किया था और विकास कार्यों की आधारशिला रखी थी.
आदिवासियों के अगुवा गोविन्द गुरु ने स्वराज के लिये कार्य किया और वे गांधी के विचारों पर चलने वाले व्यक्ति थे. गोविन्द गुरु का संदेश था स्वदेशी, सच बोले और दुर्व्यसन मुक्त जीवन जीये. उनके आंदोलन को भगत आंदोलन कहा गया. आदिवासियों के बीच उन्होंने जब इन विचारों की अलख जगाई तो स्थानीय अंग्रेज रेजीडेंट और रियासतों के कान खड़े हो गये. 17 नवम्बर 1913 को गोविन्द गुरु की अगुवाई में दो हजार से अधिक वनवासी मानगढ़ की पहाड़ी पर एकत्रित हुये, स्वराज, स्वदेशी और सामाजिक सुधारों के परिप्रेक्ष्य में सम्मेलन बुलाया गया. यह खबर अंग्रेजों तक पहुंच गई, फिर वो हुआ जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी.
अंग्रेजी फौज ने चारों ओर से घेरकर वनवासियों को गोलियों से भून दिया. जलियावालां बाग में जनरल डायर ने जिस तरह आजादी के वीरों पर गोलियां बरसाई थी उसी तरह मानगढ की पहाड़ी पर निहत्थे आदिवासी स्वातंत्र्य वीरों को अंग्रेजी फौज ने मौत के घाट उतार दिया. पुलिस ने गोविन्द गुरु को गिरफ्तार कर आजीवन कारावास की सजा दी. 1923 में जेल से मुक्त होकर वे भील सेवा सदन, झालोद के माध्यम से लोक सेवा के विभिन्न कार्य करते रहे. 30 अक्तूबर, 1931 को ग्राम कम्बोई (गुजरात) में उनका देहान्त हुआ. प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा को वहां भी उनकी समाधि पर आकर लाखों लोग उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं.मानगढ़ पहाड़ी के गुजरात वाले हिस्से में स्मृति वन बना है.तत्कालीन गुजरात सीएम नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया था. गोविन्द गुरु और आदिवासियों के बलिदान की धरती मानगढ़ आज पूज्यनीय स्थल है गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान तीन राज्यों का एक प्रमुख केन्द्र है.
---पीएम मोदी की मानगढ़ यात्रा के सियासी मायने और गुजरात चुनाव---
- चुनावी राज्य गुजरात में, सभी प्रमुख राजनीतिक दल-बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी आदिवासी समुदाय का वोट पाने के लिए जोर-शोर से तैयारी कर रहे हैं.
- राज्य की 15 प्रतिशत की आबादी के साथ ये समुदाय राज्य की राजनीति में काफी महत्व रखता है
- कई सीटों पर ये समुदाय निर्णायक भूमिका में है
- पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में आदिवासी बहुल सीटों पर बीजेपी का वोट शेयर कांग्रेस के लगभग बराबर था. हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर बढ़कर 52 फीसदी हो गया जबकि कांग्रेस का 38 फीसदी रह गया.
- गुजरात में राज्य की आबादी का लगभग सातवां हिस्सा आदिवासी है
- जो मुख्य रूप से राजस्थान और महाराष्ट्र की सीमा से लगे एक दर्जन प्रमुख जनजातियां, जिनमें भील शामिल हैं,भील एसटी का आधा हिस्सा हैं.
- भील वर्ग के लिए मानगढ़ पवित्र धाम है.