जयपुर: राजस्थान विधानसभा के लिए तीन उप चुनाव के परिणामों की तस्वीर आज साफ हो जाएगी. इसके लिए सुबह 8 बजे से मतगणना (Counting of votes) शुरू हो गई है. मतगणना के लिये सुजानगढ़ में 30, सहाड़ा में 28 और राजसमंद में 25 राउंड होंगे. मतगणना के दौरान कोविड प्रोटोकॉल (Covid protocol) की सख्ती से पालना करवाई जायेगी. दोपहर 1 बजे तक चुनावी तस्वीर पूरी तरह साफ हो जाएगी कि की जीत का ताज किसके सिर सजेगा. परिवारवाद, अनुभव, दिग्गज नेताओं के साथ सभी कुछ इन तीनों उपचुनाव में दांव पर लगा. जुबानी आरोप और प्रत्यारोप का सिलसिला प्रचंड रूप में देखने को मिला.
बता दें कि उपचुनाव परिणाम में दिवंगत मास्टर भंवर लाल मेघवाल के पुत्र मनोज मेघवाल, दिवंगत कैलाश त्रिवेदी की पत्नी गायत्री देवी और दिवंगत किरण माहेश्वरी की बेटी दीप्ति को सहानभूति उम्मीद है. वहीं रतनलाल जाट और खेमाराम मेघवाल को अनुभव के दम पर जीत की उम्मीद है. तनसुख बोहरा को समाज सेवा के भरोसे से जीत की चाह नजर आ रही. सुजानगढ़ में RLP ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया. कांग्रेस ने दो जगह पर दिवंगत विधायक के परिजनों को टिकट दिया है. जाती य दांव पेंच का पूरा ध्यान रखा गया.
सहाड़ा में गायत्री का मुकाबला रतन लाल जाट से:
सहाड़ा विधानसभा सीट कांग्रेस के पास थी. सहाड़ा से कांग्रेस ने दिवंगत विधायक कैलाश त्रिवेदी की पत्नी गायत्री देवी को मैदान में उतारा , त्रिवेदी के भाई राजेंद्र की दावेदारी सबसे प्रबल थी लेकिन परिवार में अंतर काले होने के कारण स्वर्गीय कैलाश त्रिवेदी की पत्नी को टिकट मिला. कांग्रेस की बुजुर्ग गायत्री का मुकाबला है बीजेपी के अनुभवी और वरिष्ठ नेता रतन लाल जाट से, रतन लाल जाट चुनाव के दौरान कोरोना पॉजिटिव हो गए थे. परंपरागत तौर पर यहां कांग्रेस ने ब्राह्मण और बीजेपी ने जाट चेहरे पर दां व खेला.
राजसमंद में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने नए उम्मीदवार उतारे:
वहीं राजसमंद में कांग्रेस ने नए चेहरे समाजसेवी और मार्बल व्यवसाई तनसुख बोहरा को उम्मीदवार बनाया, उनका मुकाबला दिवंगत किरण माहेश्वरी की बेटी दीप्ति माहेश्वरी से है. दीप्ति की माता किरण माहेश्वरी कद्दावर नेता, पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद रही. किरण माहेश्वरी ने राजसमंद में विकास के कई काम कर आए हो और वो जब तक जिंदा रही यहां से चुनाव नहीं हारी. किरण ने राजसमंद को बीजेपी का अभेद्य दुर्ग बना दिया था. कांग्रेस ने यहां पूरी ताकत लगाई है. राजसमंद में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने नए उम्मीदवार उतारे है. दोनों उम्मीदवार जीवन में पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं.
सुजानगढ़ राजनीतिक नक्शे पर हमेशा चर्चा में रहा:
सुजानगढ़ रिजर्व सीट पर कांग्रेस की और से नए चेहरे मनोज मेघवाल को उतारा है, उनके सामने बीजेपी ने खेमाराम मेघवाल को टिकट दिया है खेमाराम पहले विधायक और मंत्री रह चुके है. शेखावाटी का सुजानगढ़ दिवंगत मास्टर भंवर लाल मेघवाल के कारण राजनीतिक नक्शे पर हमेशा चर्चा में रहता था. लेकिन उनके पुत्र मनोज मेघवाल कभी भी राजनीति में चमकते सितारे नहीं बन पाए, कारण साफ था मास्टर भंवरलाल मेघवाल की राजनीतिक बारिश के तौर पर उनकी बेटी बनारसी मेघवाल को माना जाता था,बीते दिनों मेघवाल परिवार पर वज्रपात हुआ मास्टर साहेब भी इस दुनिया से चले गए और उनकी बेटी बनारसी की चली गई. और कांग्रेस पार्टी को राजनीति में अपरिपक्व मनोज मेघवाल को टिकट देना पड़ा. मनोज मेघवाल को चुनौती मिली अनुभवी नेता खेमा राम मेघवाल से जिन्होंने उनके पिता को भी चुनाव हराया था. सहानुभूति फैक्टर पर सवार होकर चुनाव लड़ रहे मनोज मेघवालऔर खेमाराम मेघवाल अपने अनुभव पर।लेकिन सुजानगढ़ का चुनाव RLP ने त्रिकोणीय बना दिया है.हनुमान बेनीवाल के दलित उम्मीदवार ने गणित बिगाड़ने का काम अभी तक दोनों दलों का किया है ,बेनीवाल ने यहां दो मेघवाल के मुकाबले नायक को उम्मीदवार बनाया है. आरएलपी यहां चुनाव परिणामों पर असर डालती हुई नजर आएगी.